Sep 28, 2018

एक बार फिर नोटबंदी



   

एक बार फिर नोटबंदी   



सरकार के कल्याण कार्यों की माहात्म्य-कथा रोज़ विभिन्न सरकारी और सरकार-समर्थक मीडिया द्वारा अहर्निश चालू है |हजारों करोड़ के बड़े-बड़े चार-चार पेज के विज्ञापन देश के स्थानीय,प्रांतीय और राष्ट्रीय अखबारों में दिए जा रहे हैं | अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और अखबारों का हमें पता नहीं |लेकिन जनता है कि विश्वास करने को तैयार नहीं |अब विकास, उपलब्धियाँ और गौरव कोई ऐसी चीजें तो हैं नहीं कि किसी को न दीखें तो हाथ में थमाकर यकीन दिला दो |बड़ी परेशानी है |

कुछ महिनों पहले राहुल अमित जी और मोदी जी से तीन साल का हिसाब माँग रहे थे तो अमित जी उनसे तीन पीढ़ियों का हिसाब माँग रहे थे |हिसाब तो हमारा भी बाकी है मोदी जी पर लेकिन वे सुन ही नहीं रहे हैं |देश के सभी केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें पे कमीशन का फिक्सेशन और एरियर मिल चुका है लेकिन हम केंद्रीय विद्यालय संगठन के रिटायर्ड कर्मचारियों के मामले में सब कान दबाकर बैठे हैं |छोटा या बड़ा, हिसाब तो हिसाब है |हिसाब साफ रखना चाहिए | हाथोंहाथ निबटाते चलो |

अब हमने और तोताराम ने इस विषय में चर्चा करना ही बंद कर दिया है |आज जैसे ही बैंक जाकर कुछ पैसा निकलवाया और पास बुक पूरी  करवाई तो पता चला कि फिक्सेशन का एरियर इस बार भी नहीं आया |जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, हमें लगता है कि वसीयत बनवा ही लें |

कहने लगा- हाँ, यह काम भी ज़रूरी है |कर ही ले |देश-विदेश में बिखरी इतनी विशाल सम्पदा ? इन सब की गणना, हिसाब-किताब और बँटवारा काफी लम्बा-चौड़ा काम है |

हमने कहा- यह मज़ाक की बात नहीं है |यह तुम भी जानते हो कि हमारे पास चार जोड़ी कपड़ों, दो-चार सौ किताबों, कुछ खाली कागज,एक पंद्रह साल पुराना नोकिया का सबसे सस्ते वाला मोबाइल, एक जोड़ी चप्पलें, एक पुराना लैपटॉप, कुछ लिफाफे, कुछ ए फॉर साइज़ के खाली कागजों के अलावा है क्या ? और ये चीजें आज किसी को भी नहीं चाहिए |ये वैसे ही हैं जैसे लैंड लाइन वाला फोन |

कहने लगा- भाई, तू तो सीरियस हो गया |मैं तो मजाक कर रहा था |अब बता वसीयत का विचार कैसे आया ? अभी तो २०२२ में अस्सी साल के होकर सवाई पेंशन लेंगे (यदि मोदी जी की कृपा हुई तो )और मोदी जी का विकसित भारत भी देखेंगे |

हमने कहा- हमें लग रहा है कि मोदी जी यह एरियर वाला मामला अपने प्रधान मंत्रित्त्व काल तक लटकाए रखेंगे |उस वक्त तक क्या पता, रहें या न रहें |कौन जीता है मोदी जी ज़ुल्फ़ के सर होने तक |इसलिए सोच रहे थे कि तुम्हारी भाभी के नाम एरियर की वसीयत कर जाएँ अन्यथा किसे पता कौन क्या चक्कर डाल दे |

बोला- अब ज्यादा देर नहीं है |अगले महिने एरियर मिल जाएगा |अभी तक मोदी जी, अमित जी और जेतली जी नोट बंदी का हिसाब-किताब तैयार कर रहे थे |अब वह तैयार हो गया है |

हमें उत्सुकता हुई, पूछा- तो क्या नोटबंदी के परिणाम स्वरूप काले धन वाले, भ्रष्टाचारी और आतंकवादी समाप्त हो गए ?

बोला- उसका तो पता नहीं लेकिन जितने नोट देश में थे उनमें से ९९.३% नोट वापिस आ गए |केवल दस हजार करोड़ के नोट वापिस नहीं आए |मतलब इतना ही काला धन था जिसका लौटकर न आना एक प्रकार से सरकार का फायदा समझ | इतना ही रुपया नए नोट छापने में लग गया | खर्चा और आमद बराबर, हिसाब साफ़ |खेल ख़त्म, पैसा हजम |

हमने कहा-लेकिन नीरव मोदी जो ले भागा उसका हिसाब कौन देगा ?

बोला-  इससे ज्यादा साफ़ और क्या हिसाब चाहिए तुझे ? फिर भी हिसाब चाहता है तो सुन- लोग मोदी जी को घेरने के बहाने बेचारे नीरव को व्यर्थ में ही परेशान कर रहे हैं | नीरव मोदी जो लेकर भागा था वे पुराने नोट थे जो अब किसी काम के नहीं |बेचारा बिना बात बदनाम हो रहा है |बदनामी के कारण जमा जमाया धंधा और ख़राब हो गया |भारत में होता तो रद्दी में बेचकर ही दस-पाँच लाख तो मिलते |लन्दन और अमरीका में रद्दी कोई लेता नहीं |यदि आप पर्यावरण के प्रति सजग है और चाहते हैं कि इन्हें रीसाइकल किया जाए तो खुद अपनी गाड़ी में लादकर किसी डंप यार्ड में छोड़कर आओ |खैर, कोई बात नहीं भगवान के घर देर हैं, अंधेर नहीं |उसे भी इस देश के न्याय पर विश्वास रखना चाहिए |मैंने नीरव, माल्या और चौकसे की जन्मपत्री दिखवाई है |देख लेना जून २०१९ में तीनों बाइज्ज़त वापिस भारत आ जाएँगे |


हमने कहा- जब कुछ घाटा हुआ ही नहीं तो मोदी जी चाहें तो देश से बचा-खुचा काला धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद ख़त्म करने के लिए २०१९ में एक बार फिर नोटबंदी कर सकते हैं |







पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment