सस्ती यात्रा बनाम अच्छे दिन
हमने 'अच्छे दिन' को जाने कब का एक जुमला मानकर रोना-झींकना बंद कर दिया है |
केंद्रीय विद्यालयों के रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए सातवें पे कमीशन के आदेश देकर मोदी जी ने 'अच्छे दिनों' का टीज़र तो आउट कर दिया लेकिन यू ट्यूब पर फ्री में पूरी फिल्म पता नहीं, कब देखने को मिलेगी |फिर भी मन नहीं मानता तो फोन का बिल जमा करवाने के बहाने बैंक भी चले जाते हैं | 'जियो' वाले की तो 'मुट्ठी में दुनिया' हो गई है, ग्राहकों का पता नहीं |हमारे पास तो बीएसएनएल का लैंड लाइन है नेट के साथ |
आज बिल जमा करवाकर आईटीआई के सामने उतरने लगे तो ऑटो वाले ने कहा- मास्टर जी, बैठे रहिए | आज आपकी कॉलोनी के अन्दर की सवारी है तो आपको भी घर के आगे छोड़ दूँगा |
लगा जैसे किसी बड़ी कंपनी के सीईओ की तरह 'सोफर ड्रिवन कार' में बैठे हैं |
जैसे ही ऑटो से उतरे तोताराम ने एक चुभते कमेन्ट के साथ हमारी अगवानी की |
बोला- क्या ठाठ हैं ? मोदी जी, अमित जी, राहुल जी तो बेचारे प्लेन में धक्के खा रहे हैं और साहब ऑटो से चले आ रहे हैं |यह तो पे कमीशन का एरियर नहीं मिला है |उसके बाद तो पता नहीं, क्या गुल खिलाएँगे |
हमारे तन-बदन में आग लग गई |एक तो सरकार, महँगाई, कानून-व्यवस्था, विकास, गौरव और अस्मिता के मारे वैसे ही जान साँसत में है और ऊपर से तोताराम का यह व्यंग्य |
हमने कहा- तोताराम, क्यों जले पर नमक छिड़कता है |यदि गुस्से में मुँह से कुछ निकल गया तो पता नहीं कोई 'अर्बन नक्सल' कह कर जेल में डाल देगा तो सड़ते रहेंगे |हमारी तो खबर भी मीडया में नहीं आएगी कि पुलिसिया कोई लिहाज कर ले |
बोला- भाई साहब, मैं कोई व्यंग्य नहीं कर रहा हूँ |मैं तो सिन्हा जी के एक स्टेटमेंट की रोशनी में बात कर रहा हूँ |
हमने कहा- कौन सिन्हा जी ? क्या यशवंत सिन्हा जी ?
बोला- अब उन्हें कौन पूछता है |मैं तो नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा जी की बात कर रहा हूँ |
हमने पूछा- क्या वे ही तो नहीं जिन्होंने 'मोब लिंचिंग' वालों का स्वागत किया था ?
बोला- बात को गलत दिशा में मत मोड़ |उन्होंने कहा है कि हवाई यात्रा ऑटो रिक्शा से भी सस्ती हो गई है |अब और क्या अच्छे दिन होंगे ? गरीब लोग अब हवाई यात्रा कर रहे हैं |और तू ऑटो जैसे महँगे साधन से यात्रा करता है | अब आगे से हमारी सरकार में कोई कमी निकालने की ज़रूरत नहीं |
तभी हमें याद आया कि पास बुक तो बैंक में ही भूल आए |यदि खो गई तो नई बनवाने के बैंक वाले पता नहीं क्या चार्ज कर लें ? हम कोई नीरव मोदी तो हैं नहीं कि कोई 'लेटर ऑफ़ अंडर स्टेंडिंग' जारी कर दें |
इसलिए कहा- तोताराम, अब हम सस्ती यात्रा ही करेंगे |अपने जयंत जी को फोन कर कि फटाफट एक प्लेन भिजवा दें बैंक तक जाने के लिए | हम पास बुक भूल आए हैं |ऑटो वाला बैंक तक के दस रुपए लेता है |हम राष्ट्र-हित में बीस दे देंगे |
बोला- इतने छोटे रूट के लिए प्लेन थोड़े ही मिलता है |
हमने कहा-दुनिया के सबसे छोटे प्लेन रूट स्कॉटलैंड के 'ओर्केनी द्वीप से पापा वेस्टरे तक' के रूट से हमारा रूट तो बड़ा ही हैं |
बोला- अब बात को और मत खींच |लम्बे रूट जैसे हजार-पाँच सौ किलोमीटर की बात कर |उसमें प्लेन सस्ता पड़ता है |जैसे कि मंगल पर जाने के लिए 'मंगल यान' ऑटो से सस्ता पड़ता है |अगर बैंगलोर जाना है तो बता |अभी फोन मिलाता हूँ सिन्हा से |
हमने कहा- तो फिर हमारे लिए यह महँगी यात्रा ही ठीक है |सस्ती यात्रा गरीबों को करने दे |
बोला- यदि हवाई यात्रा सस्ती नहीं होती तो पिछले पाँच साल में हवाई यात्रियों की संख्या दुगुनी कैसे हो गई ?
हमने कहा- इसमें नोट बंदी के कारण सुधरी अर्थव्यवस्था का भी कुछ योगदान तो ज़रूर है जिसका सारा श्रेय तुम्हारी सरकार को जाता है |
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
No comments:
Post a Comment