Sep 14, 2019

मोदी जी ने ग्रिल्स को ही ग्रिल कर दिया होगा



मोदी जी ने ग्रिल्स को ही ग्रिल कर दिया होगा 



तोताराम ने चाय की चुस्की लेते हुआ कहा- मास्टर, इन गोरे लोगों के नाम भी बड़े अजीब होते हैं। अब मोदी जी पर फिल्म बनाने वाले का नाम ही देख- बेयर ग्रिल्स। बेयर माने भालू, उजड्ड, खूंख्वार और ग्रिल्स मतलब पकाता है, भूनता है।
हमने कहा- यह अपने हिसाब से खूंख्वार दिखने की एक्टिंग करता है, वास्तव में तो यह एक स्काउट है जो लोगों को यह सिखाता फिरता है कि जंगली और बीहड़ इलाकों में जहां कुछ भी साधन उपलब्ध नहीं हो वहां कैसे काम चलाया जाए? जैसे हमारे यहां स्काउटों के कैम्प लगाए जाते हैं जहां उन्हें विषम परिस्थितियों में काम चलाना सिखाया जाता है। यह बात और है कि ऐसे कैम्प किसी सुरक्षित स्थान पर बड़े आराम से लगाए जाते हैं।
इस इंग्लिश भालू का वास्तविक नाम एडवर्ड माइकल ग्रिल्स है। हो सकता है इसके पूर्वज मांस भूनने का धंधा करते रहे हों। वैसे इसके नाम की स्पेलिंग (GRYLLS) जैसा कोई शब्द कोश में नहीं मिलता।
बोला- लेकिन यह है तो खूंख्वार। कहते हैं सांप के सिर-पूंछ काटकर उसे कच्चा चबा जाता है।
हमने कहा- इसमें क्या है? अपना-अपना भोजन है। हम भी तो गाजर-मूली को कच्चा चबा जाते हैं कि नहीं? फिर भी हम समझते हैं कि मोदी जी को इसके चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। बिना बात घनघोर जंगल, हिंसक जानवरों का खतरा।
बोला- इसकी चिंता मत कर। सब कुछ फिल्मों और सर्कस की तरह व्यवस्थित था। यदि कोई स्टंट जैसा कुछ दिखाया जाता तो हीरो की तरह मोदी जी का भी कोई डुप्लीकेट ले लिया जाता हालांकि वे तो अवतारी पुरुष हैं। उनका विकल्प तो हो नहीं सकता।
हमने कहा- फिल्म बनाता है तो रीटेक करा-कराकर ही मोदी जी को ग्रिल कर दिया होगा।
बोला- उसकी फिक्र मत कर। मोदी जी को कौन डायरेक्ट कर सकता है? उन्होंने तो ग्रिल्स को ही ग्रिल कर दिया होगा। देखा नहीं, जब उस बालचर ने एक लकड़ी से चाकू बांधकर मोदी जी को दिया और कहा- यदि कोई जंगली जानवर मिल जाए तो उससे बचाव के लिए इसे रख लें। तो मोदी जी ने कहा- हम अहिंसक हैं। हमें शस्त्र की जरूरत नहीं है।
उसे पता नहीं हम भारतीय भरत के वंशज हैं। वह भरत जो अपने बचपन में जंगल में बाघों का सर्वे किया करते थे। यहां तक कि शेरों के दांत तक गिनकर पूरा रिकॉर्ड रखा करते थे। क्या भारत के अतिरिक्त किसी देश में शेर की सवारी करने वाली कोई देवी है? और भाषण, कविता और मन की बात के द्वारा शेर क्या उसके बाप को भी पकाया जा सकता है। और फिर खतरे जैसा कुछ था भी तो नहीं।
हमने कहा- जब वास्तविक कुछ था ही नहीं तो इस नाटक की क्या जरूरत थी?

बोला- यही तो तुझे पता नहीं। आजकल दुनिया में ‘माचो मैन’ की छवि का फैशन है जैसे फिल्मों में सिक्सपैक बॉडी के प्रदर्शन का। तभी तो रूस का राष्ट्रपति अपने मसल्स का प्रदर्शन करते हुए घोड़ा दौड़ाते हुए फोटो खिंचवाता है।









 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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