१९९८ का प्याज संकट और ड्रोपसी की जुगलबंदी
(आशा है पाठकों को १९९८ में दिल्ली का प्याज संकट याद होगा और उसके चलते भाजपा की करारी हार भी |इन्हीं दिनों सरसों के तेल में अर्जीमोन की मिलावट से ड्रॉप्सी नामक खतरनाक बीमारी का आतंक भी फैला था | उस समय की कुछ कुंडलियों का पुनर्पाठ करें )
१. प्याज का इत्र
(प्रधानमंत्री अटल जी ने केबिनेट सचिव से प्याज की कीमतें घटाने के उपाय सुझाने को कहा-८-१०-१९९८)
साठ रुपय्या प्याज है, बीस रुपय्या सेव ।
कैसा कलियुग आ गया हाय-हाय दुर्दैव ।
हाय-हाय दुर्दैव, हिल उठी है सरकारें ।
बिना प्याज के लोग जन्म अपना धिक्कारें ।
कह जोशी कविराय प्याज का इत्र बनाओ ।
इज्ज़त कायम रहे मूँछ पर इसे लगाओ ।
२. प्याज और ड्राप्सी
आसमान में चढ़ गए तुच्छ प्याज के दाम ।
साहिब सिंह से अटल तक सब की नींद हराम ।
सब की नींद हराम, तेल-फेक्ट्री में जाओ ।
ड्राप्सी वाला वो ही नुस्खा लेकर आओ ।
कह जोशी कविराय ड्राप्सी 'गर हो जाये ।
कीमत अपने आप प्याज की नीचे आये ।
३. प्याज -ध्वज
(समन्वय समिति की मीटिंग में प्याज का मुद्दा छाया रहा- ९-१०-१९९८)
व्यर्थ मनुज का जन्म है नहीं मिले 'गर प्याज ।
रामराज्य को भूलकर, लायँ प्याज का राज ।
लायँ प्याज का राज, प्याज की हो मालाएँ ।
छोड़ राष्ट्रध्वज सभी प्याज का ध्वज फहराएँ ।
कह जोशी कविराय स्वाद के सब गुलाम हैं ।
सभी सुमरते प्याज, राम को राम-राम है ।
४. दलित-उद्धार
(प्याज की कीमत एक सप्ताह में ६० रुपये किलो होने की संभावना- ८-१०-१९९८ )
छिलके-छिलके देह है, रोम-रोम दुर्गन्ध ।
सात्विक जन के घरों में था इस पर प्रतिबन्ध ।
था इस पर प्रतिबन्ध, बिका करता था धड़ियों ।
अब दर्शन-हित लोग लगाते लाइन घड़ियों ।
कह जोशीकविराय दलित-उद्धार हो गया ।
कल का पिछड़ा प्याज आज सरदार हो गया ।
५.प्याज और मज़े
(मुज़फ्फरनगर के पास लोगों ने प्याज से भरा एक ट्रक लूटा- २८-८-१९९८)
जैसा जिसका मर्ज़ है वैसा करे इलाज ।
आप लूटते मज़े औ' लोग लूटते प्याज ।
लोग लूटते प्याज, उतरेंगे कल छिलके ।
ए मेरी सरकार! रहें अब ज़रा सँभल के ।
कह जोशी कविराय भले ही अणुबम फोड़ें ।
पर भूखों के लिए प्याज-रोटी तो छोड़ें ।
६. नई सदी में
पाँच दशक में हो गया सारा राज सुराज ।
घुसी तेल में 'ड्राप्सी', दुर्लभ आलू-प्याज ।
दुर्लभ आलू-प्याज, दूध पानी से सस्ता ।
पतली होती कभी तो कभी हालत खस्ता ।
कह जोशी कविराय देखना नई सदी में ।
मछली बचे न एक, ग्राह ही ग्राह नदी में ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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