Sep 21, 2019

मोदी जी की अंग्रेजी और ट्रंप की हिंदी



मोदी जी की अंग्रेजी और ट्रंप की हिंदी 


आज आते ही तोताराम हम पर उसी तरह हावी हो गया जैसे नोटबंदी करके मोदी जी ने आतंकवादियों की कमर तोड़ दी और काले धन वालों को सड़कों पर भीख माँगने पर मज़बूर कर दिया |

बोला- अब तो मान गया मोदी जी का जलवा |खुद ट्रंप ने जी-७ सम्मिट में सबके सामने मोदी जी की अंग्रेजी की तारीफ़ की |और अपने यहाँ के खुद को कुछ ज्यादा ही पढ़ा लिखा समझने वाले लोग जिन्हें चार लाइनें हिंदी तक में सही बोलना नहीं आता, मोदी जी की डिग्रियां देखना चाहते हैं |

हमने कहा- तोताराम एक बार तो मोदी जी भी ट्रंप के इस अप्रासंगिक मज़ाक से हकबका गए थे |

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फिर 'अब हम दोनों निजी बातें करेंगे' (पता नहीं, अंग्रेजी में या हिंदी में )कह कर पत्रकारों को टरका दिया |लेकिन हमें समझ नहीं आता कि इस प्रशंसा के लिए ट्रंप साहब का एहसान मानें या मोदी जी की अंग्रेजी पर गर्व करें |हमारा तो यह मानना है कि भाव और कर्म अच्छे होने चाहियें फिर भाषा चाहे कैसी भी हो, कोई फर्क नहीं पड़ता | 

बोला- भैंस-गाय कैसी भी सुन्दर हो लेकिन दूध न दे तो कौन उसे पालना चाहेगा |अपने शशि थरूर भी अंग्रेजी बहुत अच्छी बोलते हैं |उनको सुनने के बाद पत्रकार घर जाकर थरूर फोर्ड डिक्शनरी देखते हैं |लेकिन शशि थरूर की पार्टी के पास विपक्षी दल बनने जितनी भी सीटें नहीं हैं तो उनकी अंग्रेजी को कौन पूछेगा ? मोदी जी के पास स्पष्ट बहुमत है और अमरीका से हथियार खरीदने के लिए बड़ा बजट तो ट्रंप शशि थरूर नहीं, मोदी जी की अंग्रेजी को सुनेंगे, मोदी जी ही हिंदी को सुनेंगे, मोदी जी को गुजराती को सुनेंगे, मोदी जी के मन की बात को सुनेंगे, मोदी जी की कविताएँ सुनेंगे |एक बार नहीं दस बार सुनेंगे |

याद करके बता कि आज तक किस भारतीय नेता की अंग्रेजी की किस अमरीकी राष्ट्रपति ने तारीफ़ की है | गाँधी-नेहरू की अंग्रेजी बहुत अच्छी थी लेकिन क्या उनके पास इसका कोई प्रमाण-पत्र है ? हाँ, इस बारे में फ़िराक गोरखपुरी का एक चुटकुला ज़रूर है जो कहा करते थे कि इस देश में तीन जन ही अंग्रेजी जानते हैं- एक गाँधी जी, दूसरे नेहरू जी और तीसरे वे खुद |

हमने कहा- तो क्या ट्रंप अंग्रेजी के कोई बहुत बड़े जानकर हैं ? उनके तो खुद के ही गलत उच्चारण के बहुत से किस्से अमरीका में प्रचलित हैं |कोई अंग्रेजी का बड़ा विद्वान ऐसा कहता तो भी एक बात थी |

बोला- भले ही ट्रंप अंग्रेजी के बड़े विद्वान न हों लेकिन वे किसी की तारीफ़ बहुत मुश्किल से करते हैं |बहुत से अच्छे-भले लोगों की स्टेज पर ही टोपी उतार देते हैं |ऐसे नखरे वाले और तुनकमिजाज़ ट्रंप जब किसी की तारीफ़ करते हैं तो कोई विशिष्ट बात होती ही है |

हमने कहा- तोताराम, अभी तक तो हम इस बात के अन्य पक्षों पर बात कर रहे थे लेकिन तुझे पता होना चाहिए कि मोदी जी ने पत्रकारों द्वारा अंग्रेजी में पूछे गए प्रश्नों का हिंदी में उत्तर दिया था |पता नहीं, ट्रंप साहब को उस समय कोई पुराना किस्सा याद आ गया या फिर मोदी जी को खुश करके कोई नई डील करने की योजना उनके मस्तिष्क में चल रही थी या फिर मोदी जी के हिंदी वक्तव्य के दुभाषिये द्वारा अंग्रेजी में किए गए अनुवाद से मोदी जी की वक्तृत्व कला की चतुराई से प्रसन्न होकर उन्होंने अंग्रेजी के नाम से उनकी प्रशंसा कर दी हो |फिर भी यह उनका भारत पर बहुत बड़ा एहसान हो गया |क्या इस एहसान का बदला चुकाने के लिए हथियारों की कोई दो-पाँच हजार  करोड़ डालर की डील करनी पड़ेगी ? 

बोला- नहीं | मोदी जी 'हाउ डी मोदी' कार्यक्रम में ह्यूस्टन जाएँगे |वहाँ ट्रंप भी आएँगे तो मोदी जी ट्रंप की हिंदी की प्रशंसा कर देंगे |हिसाब बराबर | 

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हमने कहा- ठीक है |एक किस्सा सुन |१९७५ में राजकोट गुजरात में हमारे साथ विज्ञान के एक अध्यापक थे |वे गुजराती विद्यार्थियों से अंग्रेजी में और हम हिंदी भाषियों से गुजराती में बात करते थे |मज़े की बात यह कि सभी उनके भाषा-ज्ञान की प्रशंसा करते थे | 

 




 

 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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