Oct 13, 2019

लोकतंत्र में लालबुझक्कड़ी

 लोकतंत्र में लालबुझक्कड़ी 







हम और तोताराम दोनों ने ही कोई तीन साल पहले आंखों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाकर लेंस लगवाए थे। डॉक्टर ने दावा किया था कि ये लेंस लगवाने के बाद आप 150 किलोमीटर तक देख सकेंगे। हमने शंका की तो डॉक्टर बोला-मास्टर जी, त्रेता युग में जटायु के भाई सम्पाती को ये ही लेंस लगाए थे जिससे उसने कन्याकुमारी में बैठे-बैठे ही लंका में अशोक वाटिका में बैठी सीता को देख लिया था। संजय को भी ये ही लेंस लगाए गए थे।

हमने पूछा- कौन संजय ? संजय दत्त ?
डॉक्टर ने कहा था- नहीं। वह तो अपने घर से मुम्बई के पुलिस मुख्यालय तक भी नहीं देख सका, नहीं तो अपनी ए.के. 47 कहीं ठिकाने नहीं लगा देता।
मैं तो महर्षि व्यास के शिष्य, धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य, विद्वान गावाल्गण नामक सूत के पुत्र और जाति से वह बुनकर संजय की बात कर रहा हूं, जिसने इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) में धृतराष्ट्र के दरबार में बैठकर वहां से १५० किलोमीटर दूर कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में चल रहे युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाया था।

डॉक्टर के दावे के अनुसार कुछ भी नहीं हुआ। हम और तोताराम कभी अपने घर से दो किलोमीटर दूर बैंक तक भी नहीं देख पाए कि खुला है या नहीं? संबंधित बाबू आए हैं या नहीं? आए हैं तो सुबह-सुबह की धूप-बत्ती, चायपान करके अपने सिंहासन पर आसीन हुए हैं या नहीं ?
यदि आयुष योजना के अंतर्गत लेंस लगवाए होते तो बात और थी। संतोष कर लेते लेकिन दोनों ने जेब से पंद्रह-पंद्रह हजार खर्च किए तो दुःख तो था ही। हमने तो भोली-भाली भारतीय जनता की तरह पंद्रह लाख के वादे को जुमला मानकर मन को समझा लिया लेकिन तोताराम स्थिति से समझौता नहीं कर सका। जब-तब चाय के साथ अपनी इस पीड़ा का ज़िक्र भी कर दिया करता। दरअसल तोताराम का हमसे कुछ अधिक खर्चा हो गया। हुआ यह कि ओपरेशन के कुछ महिनों बाद उसे थोड़ा धुंधला दिखाई देने लगा तो वह डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने बताया कि कुछ लोगों के लेंस पर एक फिल्म सी बन जाती है जिसे हटवाना पड़ता है। इस चक्कर में डाक्टर ने उससे तीन हजार रुपए और झटक लिए।
आज फिर यही चर्चा चली।
बोला- मास्टर, वह फिल्म हटवाने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा।
हमने कहा- यदि कभी दिल्ली जाना हो या किसी रैली या चुनाव सभा में मोदी जी इधर आएँ तो उनसे मिल लेना। उनके पास वेदों से ढूंढ़कर निकाले गए, कुछ शर्तिया, अनुभूत, खानदानी नुस्खें हैं, जिन्हें वे जब-तब जनहित में मुफ्त बांटते रहते हैं।
बोला- तो क्या उनके पास दृष्टि का धुंधलापन दूर करके उसे तेज और स्पष्ट करने का कोई मुफ्तिया नुस्खा है? क्योंकि मेरा भामाशाह कार्ड तो है नहीं।


हमने कहा- मोदी जी के सभी नुस्खे मुफ्तिया ही होते हैं। वे खुद बहुत गरीबी से उठकर आए हैं। उन्होंने खुद को भी ऐसे ही नुस्खों से फिट रखा हुआ है। सुन, दो महीने बाद शरद पूर्णिमा आने वाली है। उसकी चांदनी में सुई में धागा डालने की कोशिश करना। उससे दृष्टि तेज हो जाती है। उससे तुझे भी मोदी जी और उनके मंत्रियों की तरह देश का निकट-दूर का सारा भविष्य उज्ज्वल दिखाई देने लगेगा।
बोला- मुझे देश का भविष्य नहीं, टूटी-फूटी सड़कों पर रास्ता साफ़ देख सकने वाली दृष्टि चाहिए।
हमने कहा- जिस नुस्खे से देश का भविष्य दिखाई दे सकता है उस नुस्खे से गिर पड़ने के बाद बिना एक्सरे के ही तुझे अपनी टूटी हुई हड्डी भी दिखाई दे सकती है।
बोला- आजकल जब चाहे सर्दी-जुकाम और खांसी जब हो जाती हैं और फिर कई दिनों तक ठीक नहीं होती।

हमने कहा- इसके दो कारण हैं। ऑक्सीजन की कमी और रोग प्रतिरोधक क्षमता का क्षीण होना। मोदी जी ने अपनी हिमालय यात्रा के दौरान एक जड़ी खोजी थी जिसे ‘सोलो’ कहते हैं। शायद इसे ही त्रेता में संजीवनी भी कहते थे। इसे खाने से ऊंचाई वाले स्थानों में ऑक्सीजन की कमी अनुभव नहीं होती और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हो सके तो अभी स्टॉक करके रख ले? मोदी द्वारा रहस्योद्घाटन के बाद इसके दाम ज़रूर बढ़ने वाले हैं।
बोला-क्या मेरे कम होते जा रहे और पूर्णतया सफ़ेद हो चुके बालों के लिए भी कोई नुस्खा है ?
हमने कहा- मोदी जी ने तो कभी इसकी चर्चा नहीं की लेकिन उनसे भी ज्यादा ज्ञानी रामकृष्ण यादव उर्फ़ रामदेव हैं। उन्होंने बताया है कि दोनों हाथों की अंगुलियों को मोड़कर नाखूनों को आपस में घिसो।
  बोला- यह बात तो कुछ जमी नहीं। यह भी कोई इलाज है? मुझे तो यह अंधविश्वास जैसा लगता है।


हमने कहा- अगर ऐसा होता तो मोदी जी अपने किसी न किसी भाषण में इस बात को ज़रूर लपेट लेते। वे बहुत वैज्ञानिक दृष्टि वाले व्यक्ति हैं। तभी तो उन्होंने 2017 में नोएडा मेट्रो ट्रेन के उदघाटन के दौरान अंधविश्वास का मज़ाक उड़ाते हुए कहा था- ‘आपने देखा होगा कि एक मुख्यमंत्री ने कार खरीदी। किसी ने कार के रंग के संबंध में कुछ बता दिया तो उन्होंने कार के ऊपर नींबू, मिर्च और जाने क्या-क्या रख दिया। मैं आधुनिक युग की बात कर रहा हूं।’‘ये लोग देश को क्या प्रेरणा देंगे ? ऐसे लोग सार्वजनिक जीवन का बहुत अहित करते हैं।’
बोला- यदि रामदेव का यह उपाय अंधविश्वास नहीं है तो मोदी जी, जो इस उम्र में भी इतने स्मार्ट और फिट हैं, क्या अंगुलियों के नाखून आपस में रगड़कर अपनी दाढ़ी और बालों को काला नहीं रख सकते थे?
हमने कहा- रख सकते थे लेकिन मोदी जी के पास तो जवानी में भी समय फालतू नहीं था। तभी तो समय बचाने के लिए अपने कुर्तों की बांहें आधी कर दीं। और अब तो ऐसे तुच्छ कामों के लिए उनके पास समय होने का प्रश्न ही नहीं उठता।
बोला- वैसे मास्टर, सभी समस्याओं की जड़ है गरीबी। आदमी के पास अनाप-शनाप पैसा हो तो न कोई बीमारी हो, न दृष्टि कमजोर हो, न बुढ़ापा सताए।
हमने कहा- उसका भी उपाय है और बहुत सरल भी।
बोला- बता ना, फिर देर किस बात की है।
हमने कहा- 6 अप्रैल 2019 को ओडिशा में मोदी जी ने एक चुनाव सभा में घोषित किया था- ‘गरीबी हटाने की सबसे बेहतर जड़ी-बूटी है कांग्रेस हटाओ’।
बोला- लेकिन भारत ‘कांग्रेस मुक्त’ हो तो चुका है। फिर गरीबी अभी तक क्यों नहीं मिटी।
हमने कहा- तोताराम, विजेता वास्तव में विजेता तब बनता है, जब सामने वाला अपनी पराजय स्वीकार कर ले लेकिन सामने वाले ने अभी तक अपनी पराजय स्वीकार नहीं की है।





  

 
  












 

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