Oct 16, 2019

चालीस ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था



चालीस  ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था

तोताराम ने ‘भारत की जय’ का नारा कुछ ज्यादा ही जोर से लगा दिया। इस चक्कर में उसे खांसी चल पड़ी। काफी देर तक खांसता रहा। हमने उसकी पीठ को सहलाया, पानी पिलाया और जब उसे थोड़ा सांस आया तो कहा- अब इस उम्र में इतना देश-प्रेम ठीक नहीं है। तुझे कौनसा चुनाव जीतना है जो बिना बात जान हलकान किए जा रहा है।
बोला- शहीदों की मौत किस-किस को नसीब होती है। जैसे यदि लाखों की भीड़ वाली किसी शानदार रैली में भाषण देते-देते कोई नेता मर जाए, एडवांस चेक लेने के बाद किसी कविसम्मेलन में कविता की दो पंक्तियां सुनाने से पहले ही कोई घिसा-पिटा चुटकुला सुनाकर जबरदस्ती तालियां बजवाते ही किसी मंचीय कवि का हार्ट फेल हो जाए, यदि कोई सामान्य व्यक्ति देशभक्ति का नारा लगाते हुए मर जाए तो भले ही उसे कोई पेंशन या परमवीर चक्र न मिले लेकिन वह सीधा स्वर्ग में जाता है जहां अप्सराएं उसका इंतजार कर रही होती हैं।
हमने पूछा- लेकिन आज तुझे इतना जोश कैसे आ रहा था?
बोला- अर्थव्यवस्था के 2042 तक 40 ट्रिलियन डॉलर की हो जाने की आशा से।
हमने कहा- तेरा दिमाग खराब हो गया है? मोदी जी ने ही बहुत डरते-डरते 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का अनुमान पेश किया है तो फिर तू ही ऐसा कौन सा जेतली जी आ गया जो 2042 तक 40 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा देगा।
बोला- मैं 2014 के चुनावों की तरह जुमले नहीं फेंक रहा। मेरे पास मजबूत आधार है इसके लिए।
हमने कहा- तो अर्ज कर जिससे हम मुलाहिजा फरमाएं।
बोला- यदि किसी भाषा के सलीके का ज्ञान न हो तो उसकी टांग तोड़ना ठीक नहीं। खैर, सुन। मोदी जी 2024 तक अर्थव्यवस्था को अढ़ाई से 5 ट्रिलियन डॉलर की कर सकते हैं | इस हिसाब से 2042 में 40 ट्रिलियन का आंकड़ा ही बैठता है।
हमने पूछा- क्या कभी तूने सोचा है कि यह कैसे हो सकता है?
बोला- क्यों नहीं? जब मोदी जी के आधी बांह का कुर्ता पहनने से अढ़ाई ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था छह साल में दुगुनी होकर पांच ट्रिलियन हो सकती है। अब फोन के साथ-साथ फ्री टेलीविजन और फ्री फिल्म-प्रदर्शन का पैकेज लाने वाले मुकेश भाई अंबानी के अनुसार छह साल में फिर दुगुनी हो कर 10 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है। इस हिसाब से जब मैं कुर्ता पहनना छोड़ दूंगा तो 2042 में 40 ट्रिलियन डॉलर भी हो सकती है जो उस समय की अमरीका की जीडीपी के बराबर होगी। और यही स्पीड हमने बरकरार रखी तो हम 2048 में अमरीका की जीडीपी से 10 ट्रिलियन डॉलर आगे निकल जाएंगे।
हमने पूछा- हे महान ज्योतिर्विद, गणितज्ञ और अर्थशास्त्री क्या तुझे पता है एक ट्रिलियन डॉलर में कितने रुपए होते हैं?
बोला- करोड़ के बाद अरब, नील, पद्म। तुलसी ने भी कहा है- पदम् अठारह जूथप बन्दर। इससे आगे उन्हें भी पता नहीं। एक पद्म कितना होता है यह हमें और तुलसी बाबा दोनों को पता नहीं। इससे आगे कानों में शंख और महाशंख बजने लगते हैं। सिर चकराने लगता है।



कार्टून




 जब इस मिलियन-बिलियन- ट्रिलियन वाली गणना की बात आती है तो मुझे लगता है जैसे किसी ने मुझे चंद्रयान से धक्का देकर नीचे फेंक दिया है।
हमने कहा- जब यही बात है तो क्यों इस ढपोरशंखी चर्चा में फंसता है? पहले मुंह धो, उसके बाद चाय पी। और हां आज स्वतंत्रता-दिवस के उपलक्ष्य में पकौड़े भी हैं।
पकौड़ों की बात सुनते ही तोताराम ने हमारे नाम का जयकारा लगाया।

हमने कहा- तोताराम, जय हमारी नहीं उन लोगों की बोल जिनके पुण्य-कर्मों से हम अभी तक इस लायक बचे हैं कि मिल-बैठकर चाय पी सकें, सुख-दुःख बतिया सकें वरना सेवकों ने तो भेदभाव फैलाने में कोई कसर छोड़ नहीं रखी है।


 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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