Oct 27, 2019

मैं राम हूँ



मैं राम हूँ 


कहते हैं दिवाली पर रात को दरवाजे खुले छोड़कर सोना चाहिए |दरवाजे बंद हुए तो लक्ष्मी कैसे आएगी ?इस चक्कर में प्रायः यह होता है कि लक्ष्मी आए न आए चोर-उचक्के ज़रूर कुछ न कुछ उठा ले जाते हैं |और फिर नगर निकाय के चुनाव आने वाले हैं |क्या पता, दिवाली के बहाने वोट माँगने वाला कोई सेवक जाते समय जूते ही न उठा ले जाय |सावधानी हटी और दुर्घटना घटी- ऐसे ही मांगलिक अवसरों के लिए कहा गया है | इसलिए दरवाजा बंद किए हुए थे |कहीं ज्यादा तेल न पी जाएँ इसलिए दीयों को पानी में भीगने के लिए रखकर दिया और बत्तियाँ बनाने बैठ गए |

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई |हमने बैठे-बैठे ही पूछा- कौन है ? 

उत्तर आया- राम |

हमने कहा-  तेरी तुला राशि है इसलिए तेरे लिए तो सभी लग्न और मुहूर्त एक जैसे हैं लेकिन हम पोती के जन्म लग्न 'मेष' के हिसाब से पौने छह से सात बजे तक पूजा करेंगे इसलिए थोड़ा व्यस्त हैं |बत्तियाँ बना रहे हैं | या तो आ जा बत्तियाँ बनवा दे या फिर पूजा कर आ, फिर बैठेंगे |

प्रत्युत्तर आया- मैं राम हूँ |

हमने कहा- क्या हमें पता नहीं है ?खुद को राम कह या बलराम, जगजीवन राम कह या राम नाइक क्या फर्क पड़ता है |रहेगा तो तोताराम ही |अपने मुँह मिट्ठू बनने वाला |

फिर उत्तर आया- मैं तोताराम नहीं, राम हूँ |अयोध्या वाला राम |

हमने कहा- भगवन कहीं हमसे कोई छल तो नहीं हो रहा है ? पता नहीं आप कौन हैं ?
कहीं अन्दर आकर हमारी आँखों में मिर्च झोंककर या कनपटी पर तमंचा रखकर कुछ उठा-उठू न ले जाओ |

घर आए के लिए दरवाज़ा न खोलना भी तो गलत है; सो हिम्मत की, बजरंगबली का स्मरण किया, राम का नाम स्मरण कर आगंतुक को अन्दर लिया |कमरे से प्लास्टिक वाली कुर्सी लाकर रख दी |आगंतुक बैठ गए |

हमने पूछा- प्रभु विश्वास नहीं हो रहा कि आप हैं ? शबरी और गीध की तरह हमारी सुध लेने चलकर आए हैं |लेकिन आप ?  किसके राम ? वाल्मीकी के राम, तुलसी के राम, कबीर के राम, तोगड़िया-अडवानी या योगी जी के राम ? केवल राम ?न श्री राम, न मर्यादा पुरुषोत्तम, न रघुकुलतिलक, न रघुवंश शिरोमणि |बस राम ? 

बोले- क्या मैं कलियुग के संतों की तरह बेशर्म होकर खुद ही अपने नाम से पहले  श्री-श्री, श्री-श्री एक सौ आठ, एक हजार आठ, ....शिरोमणि, ....सम्राट विशेषण लगाऊँ |तुलसी 'मानस' में मुझसे कहलवाते हैं-नाम राम लछिमन दोउ भाई |
और सच्चे भक्त भी मुझे राम ही कहते हैं |और फिर घट-घट में वास करना रघुकुल तिलक, दशरथनंदन, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि भारीभरकम नामों के साथ संभव नहीं है |

कुछ देर बात करने के बाद विश्वास हो गया |बत्तियाँ बनाना भूल गए और पूछा- प्रभु, इस समय तो आपको अयोध्या में होना चाहिए था, यहाँ कैसे ?
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 बोले- इस समय अयोध्या में किसे फुर्सत है ?मेरे अयोध्या पहुँचने से पहले ही सरयू पार से हेलिकोप्टर पर सवार होकर पूरा राम-मंत्रीमंडल स्वागत-स्थल  पर पहुँच गया था |सो विशिष्ट जन तो स्वागत,फोटो खींचने-खिंचवाने में व्यस्त हो गए |शेष लोग दीये गिन रहे थे, जला रहे थे और तेल का हिसाब लगा रहे थे |

वैसे मुझे अभी अयोध्या जाना भी नहीं है |पहले तो एक रावण था |आज तो गली-गली में तरह-तरह के रावण में तरह-तरह के गर्हित कामों में लगे हुए हैं |उस रावण ने तो प्रतिशोध के लिए सीता का केवल हरण किया था लेकिन आज महिलाएँ ही क्या, कन्याएँ तक घर-बाहर, स्कूल कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं | सरकार तक को 'बेटी बचाओ' का नारा देना पड़ रहा है |और लोग हैं समझ नहीं पा रहे हैं कि बेटियों को किस-किस से बचाएँ ? 

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई |हमने कहा- अब कौन ? हनुमान, लक्ष्मण, सुग्रीव, जामवंत, कौन है ?

तभी तोताराम अन्दर प्रवेश करते हुए बोला- क्या अयोध्या की तरह 'राममय' हो रहा है ? यहाँ कहाँ राम ? यहाँ तोताराम के अतिरिक्त कौन राम हो सकता है ?

हमने कहा- तोताराम, हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं |तुम्हारे सामने कुर्सी राम ही तो बैठे हैं |

तोताराम तो तोताराम |बोला- अच्छा किया प्रभु, जो यहाँ चले आए |अब कुछ दिन यहाँ रुकिए |जब अयोध्या में सब कुछ सामान्य हो जाए तब जाइएगा |दीयों के फैले तेल से फिसलने का भी डर है | और इस समय तो वहाँ बहुत प्रदूषण हो रहा होगा, सवा पाँच दीये जो जलाये गए हैं |

हमने कहा- पोल्यूशन तो कोयला, पेट्रोल-डीज़ल, टायर-पोलीथिन आदि जलाने से होता है | अयोध्या में तो घी के दीये जल रहे होंगे वे भी गाय के घी के |इससे तो हवा शुद्ध होगी |

बोला- कुछ भी जले, थोड़ा या कम कार्बन निकलेगा तो ज़रूर |और फिर आजकल पानी-हवा तक तो शुद्ध मिलते नहीं और तू शुद्ध घी की बात कर रहा है | तभी तो मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र में कहा था- भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए |इसके अनुप्रास में वे 'शुद्ध' नहीं कह सके क्योंकि उन्हें पता है कि जिस देश में गाँधी में गोडसे की मिलावट की जा रही हो, वहाँ शुद्ध के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए |हाँ, एक बात ज़रूर है कि इस कार्यक्रम से उतना प्रदूषण नहीं फैलेगा जितना तू सोचता है |

हमने पूछा- क्या इसलिए कि यह एक धार्मिक कार्यक्रम है ?

बोला- नहीं |यह एक सरकारी कार्यक्रम है इसलिए | पाँच लाख की जगह दो लाख दीये जलाए जाएँगे और तेल डाला जाएगा ५० मिलीलीटर की बजाय १५ मिलीलीटर |

लगता है प्रभु बोर हो गए थे, बोले- तो अब क्या कार्यक्रम है भगतो ?

हमने कहा- प्रभु, थोड़ी-सी खीर खा लें | |कुछ भी नकली नहीं है |सुबह ही आँखों के आगे निकलवाकर दूध लाए हैं |चावल, चीनी में मिलावट की संभावना नहीं |उसके बाद खिड़कियाँ बंद करके विश्राम करें क्योंकि यहाँ भी प्रदूषण कम नहीं है ||दिवाली की सफाई के नाम पर लक्ष्मी भक्तों ने 'स्वच्छ भारत' के अंतर्गत घर का साल भर का कूड़ा सड़क पर डाल दिया है और नगर परिषद 'स्वच्छ भारत का इरादा' वाले कैसेट बजवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है |









रमेश जोशी प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए.








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