Oct 19, 2019

राफाल मतलब आँधी



 राफाल मतलब आँधी

आज तोताराम ने आते ही बड़ा अजीब प्रश्न किया |प्रश्न क्या, एक ऐसा विकल्प दिया जो 'काटे-चाटे श्वान' की तरह 'दुहूँ भाँति विपरीत' था | जैसे हमारे कालेज के प्रिंसिपल जो जिस कर्मचारी को निकालना होता था, उसे विकल्प देते थे- इस्तीफ़ा दोगे या बर्खास्त करें ? जैसे खुला पत्र लिखने वाले किसी बुद्धिजीवी को विकल्प दिया जाए- मुँह बंद रखना पसंद करोगे या राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा झेलोगे |

तोताराम का विकल्प था- दिल्ली चलोगे या टावर पर चढोगे ?

हम क्या ज़वाब देते |कहा- तोताराम, हमारे लिए तो दोनों काम ही 'तलवार की धार पे धावनो है' |दिल्ली सबको रास नहीं आती |जो सबसे आँखें फेर सके उसकी बात और है वरना अपनों को छोड़ कौन दिल्ली जाना चाहेगा क्योंकि दिल्ली जाकर आदमी किसी का और कहीं का नहीं रहता |रही बात टावर पर चढ़ने सो हमें किसी बसंती या उसकी मौसी को प्रभावित नहीं करना |क्या जो थोड़ा-बहुत जीवन शेष बचा है वह यहीं इस बरामदे में यापन नहीं किया जा सकता ?

बोला- सो तो हो सकता है लेकिन 'राफाल-पूजन' करके,  फ़्रांस से उड़कर राजस्थान के ऊपर से दिल्ली जाते हुए राजनाथ जी को टा-टा कर देते तो अच्छा रहता |लेकिन तूने कोई सा भी विकल्प नहीं माना | अपनी देशभक्ति सिद्ध करने का अच्छा मौका है |

हमने कहा-  हम कोई मुसलमान थोड़े ही हैं | हम हिन्दू और ब्राह्मण हैं | स्वतः सिद्ध देशभक्त और श्रेष्ठ |

बोला- शुभ अवसर है |ऐसे में राजनाथ को उतरते ही दो श्रेष्ठ ब्राह्मणों के दर्शन हों तो उन्हें बहुत अच्छा लगेगा |

हमने कहा- तो उन्हें कह दे, दिल्ली जाते हुए अपने राफाल को आधे घंटे के लिए यहीं अपने बगल में मंडी में उतार दें दर्शन-मेला करके, चाय पीकर चले जाएँ |

बोला- वे कोई राफाल उड़ाकर थोड़े ही ला रहे हैं |विमान तो २०२० में आएगा |

हमने कहा- तो फिर अभी से यह तमाशा करने की क्या ज़रूरत थी ? 

बोला- यह वैसे ही है जैसे संस्कृत में वाग्दान होता है |वैसे ही जैसे पिछले साल १८ अगस्त को प्रियंका चोपड़ा की 'रोके' के रस्म हुई थी | 

राफेल की शस्त्र पूजा पर बवाल


 टायरों के नीचे नीबू रखना, प्लेन के पंखों पर सिंदूर से  'ॐ'  लिखना, अन्दर धागे से हरी मिर्चें लटकाना, माला-धूप-बत्ती करना आदि उसी रस्म के तो आवश्यक वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और लोकतांत्रिक कार्यक्रम थे |


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भारत आने के बाद 



हमने कहा- कहीं यह महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया कार्यक्रम तो नहीं ?   

बोला- तू हर बात में राजनीति क्यों देखता है ?

हमने कहा- भारत ने आज से पहले अणुबम बना लिया, मिसाइलें बना लीं, मंगलयान  बना और छोड़ दिया, अब चंद्रयान भी लगभग सफलतापूर्वक छोड़ दिया, बिना किसी समारोह और तमाशे के |

बोला- यह भी कोई बात हुई ? इतना पैसा भी खर्च करो और कोई धूमधड़ाका नहीं |क्या कोई चोरी थोड़े कर रहे हैं |

हमने कहा- तोताराम, हम तो इन बातों में विश्वास नहीं करते | यह भी कोई बात हुई ? दिखा अब दिया और देंगे २०२० में |क्या पता, वहाँ किसी तरह उड़ाकर दिया कुछ और, और अगले साल टिका देंगे कुछ और |हम तो कहते हैं- इस हाथ दे, उस हाथ ले |
तुझे पता है १९६२ में वी.के.कृष्णा मेनन कुछ जीपों के पैसे इंग्लैण्ड में एडवांस में दे आए थे तो लोगों ने इतना आसमान सिर पर उठा लिया था कि नेहरू जी को मेनन से इस्तीफ़ा लेना पड़ा था |

बोला- वह ज़माना गया |अब मज़बूत सरकार है |मोदी जी घर में घुसकर मारने वाले हैं, किसीको छोड़ेंगे  नहीं |

हमने कहा- लेकिन जब राफाल वास्तव में आएगा तो हमें पता कैसे चेलेगा ?

बोला- मास्टर, यह राफाल है जिसका मतलब होता है 'आँधी' |और आँधी भी विदेशी |जब आएगा तब १८०० किलोमीटर प्रति घंटा से आएगा |जैसे किसी तेज़ गति वाहन के टायरों के साथ सूखे पत्ते उड़ते हैं वैसे ही पेरिस से दिल्ली के रास्ते में जो-जो भी स्थान पड़ेंगे वहाँ-वहाँ ऐसा सूँ-साँट मचेगा कि बस पूछ मत | समझ ले वही गति होगी जिस गति से हनुमान जी कन्याकुमारी से उड़कर लंका गए थे |और यहाँ आने के बाद भी बड़े और भव्य कार्यक्रम होंगे |उसके आगे सभी प्रान्तों में लोक और सांस्कृतिक नृत्य होंगे |आगे-आगे पूरी केबिनेट का रोड़ शो होगा | ऐसी दुर्लभ घटनाएँ छुपी रहती हैं ? और फिर मोदी जी कोई काम छुपा कर नहीं करते |सब कुछ पारदर्शी है |सर्जीकल स्ट्राइक भी की तो सारी दुनिया को बता दिया, फोटो तक दिखाए |

हमने कहा- तुझे डर नहीं लगता ? मेरे कानों में तो अभी से भूं-भूं की सी आवाज़ आने लगी है |इस वेग को कैसे बर्दाश्त करेंगे ?

बोला- जो देश सत्तर साल जितना विकास सात महिने में झेल सकता है उसके  लिए राफाल जैसी आँधियाँ क्या हस्ती रखती हैं | 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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