पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में हमारा योगदान
मास्टरी में नौकरी के दौरान १५ अगस्त और २६ जनवरी को प्रभात फेरी में 'उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत' गाते और गवाते थे लेकिन सामान्य दिनों में कभी छह बजे से पहले नहीं उठे |अब रिटायर होने के बाद हम सुबह साढ़े चार बजे उठ जाते हैं | इसलिए नहीं कि गठरी में चोर लगा हुआ है |गठरी में लगे चोर से तो जागते हुए भी नहीं बच सकते | जागते रहें तो भी पुलिस चोरों के जयपुर पहुँचने के बाद आती है |ऐसे में अज्ञात चोरों के नाम ऍफ़ आई. आर. लिखने से अधिक कुछ नहीं हो सकता |
वैसे भी रिटायर होने के कारण हम अडवानी जी की तरह अकाल-पुरुष हो गए हैं |अकाल-पुरुष मतलब ईश्वर,अजर-अमर, शाश्वत ईश्वर नहीं बल्कि अपनी मर्ज़ी के मालिक |जब चाहें सोएँ, जब चाहे जागें |निर्देशक मंडल वालों को कोई पूछने वाला नहीं |फिर भी हम सुबह साढ़े चार बजे जाग जाते हैं- कारण एक तो अपनी पालतू 'मीठी' को घुमाने ले जाना होता है अन्यथा वह मोदी जी के स्वच्छ भारत के सभी नियमों को धता बताकर खुले में शौच कर सकती है |हालाँकि स्वच्छ भारत के लिए उत्तरदायी लोग जानते हैं कि देश में करोड़ों कुत्ते हैं जो खुले में ही यह नेचुरल कॉल (प्राकृतिक आह्वान )निबटाते हैं |
साढ़े चार बजे उठाने के बाद शौच गए, खुले में नहीं |पानी पिया, आँखों में दवा डाली, एक चम्मच आँवला चूर्ण लिया |कहते हैं आँवला चूर्ण का सेवन करने से बुढ़ापा देर से आता है |यदि किसी असाध्य और कष्टकर बीमारी के ग्रसित न हों तो पेंशन पाने वालों के लिए दीर्घायु होने में बड़ा मज़ा है |अभी अठत्तर में घुस गए हैं |यदि जिंदा रहे तो अस्सी के होते ही एक झटके में ही पेंशन सवाई हो जाएगी |आयकर का तो खैर, इस जीवन में अब मौका आने से रहा |
सुबह का दूसरा राष्ट्रहित का महत्त्वपूर्ण काम है दूध लाना |दूध तो कहीं से भी मिल सकता है |आजकल कई तरह के असली-नकली दूध दुकानों पर मिल जाते हैं लेकिन गाय के अपने सामने निकलवाए हुए दूध से एक प्रकार का मानसिक बल मिलता है कि असली और शुद्ध दूध पी रहे हैं |यह बात और है कि त्रेता में, जब घी-दूध की नदियाँ बहती थीं, तब भी उस समय के प्रसिद्ध गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी को अपने पुत्र को दूध की जगह आटा घोलकर पिलाना पड़ता था | यदि थोड़ा विलंब हो जाए तो शक होता है कि कहीं पानी तो नहीं मिला दिया |अपने सामने दूध निकलवाकर लाने वालों और दूध निकालकर देने वालों में यह साँप-छछूंदर का खेल आदि काल से चला आ रहा है |
हम जैसे ही 'मीठी' को लेकर बाहर निकले तोताराम टकराया |हमने कहा- क्या बात है ? लगता है सोया नहीं |सरप्राइज़ के ज़रा से लालच में नींद हराम हो गई |
बोला- वास्तव में मास्टर, सारी रात नींद ही नहीं आई |शायर ने ठीक ही कहा है-
गज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया |
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया ||
और
तेरे वादे पे जिए हम तो ये जान झूठ जाना
के ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता ||
वास्तव में मुझे तो मोदी जी पर ऐतबार नहीं था; नहीं तो खाते में १५ लाख के वादे पे मर न जाता ! अब सोचता हूँ, जिनको ऐतबार था उनका क्या हाल हुआ होगा ?
हमने कहा- कोई बात नहीं, चल थोड़ी देर घूम आते हैं |फिर तसल्ली से नाश्ता करेंगे और सरप्राइज़ भी देंगे |चल, यदि अधिक देर हो गई तो 'मीठी' ओ. डी. ऍफ़. का आपराधिक उल्लंघन कर देगी |
खैर, जैसे ही बरामदे में स्थापित हुए तोताराम ने कहा- तो ला अब मिठाई |देर किस बात की है ?
हमने कहा- नहाकर आता तो अच्छा रहता | तेरी मर्ज़ी |लेकिन मिठाई तो आई.आई.टी. के पास वाले हनुमान जी को प्रसाद लगाने के बाद ही मिलेगी |
खैर, हर भविष्यत को वर्तमान और फिर भूतकाल होना ही है |सो मंदिर होकर आने के बाद तोताराम को प्रसाद दिया और फिर हमने ग्रहण किया |
बोला- अब तो उद्घाटित कर दे वह सरप्राइज़, वह सस्पेंस |क्यों पे कमीशन के एरियर की तरह लटकाए हुए है |
हमने कहा- तो बस, समझ ले यही वह खुशखबरी थी जिसके लिए यह प्रसाद खाया है |
बोला- तो इस बात को कल क्यों नहीं बता दिया ?
हमने कहा- मोदी जी को संयुक्त अरब अमीरात में मिला सम्मान और जेतली जी के निधन के कारण हमारी हालत भी 'रोऊँ या हँसूँ' जैसी हो रही थी |अब प्रसाद की इस मिठाई के साथ सब कटुता थूक दे और फिर कभी मोदी जी कंजूस मत कहना |इतने सारे काम, इतना बड़ा देश और सारी दुनिया की ज़िम्मेदारी | कोई बात नहीं, अगर साढ़े तीन साल का विलंब हो गया |
बोला- ठीक है | बचपन में लड़ाई के बाद फिर दोस्त बन जाने वाला छंद आधा सुना देता हूँ-
लड़ाई-लड़ाई माफ़ करो.........
कोई बात नहीं जो मोदी जी ने चुनावी वादे के अनुसार किसी भारतीय के खाते में पंद्रह लाख रुपए नहीं पहुँचाए | मैं तो एक लाख रुपए के एरियर का अढ़ाई साल का ब्याज पंद्रह हजार रुपए प्रधान मंत्री राहत कोष में दिए देता हूँ जिससे अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन डॉलर की बनाने में कुछ तो सहायता मिलेगी |
हमने भी कहा-तथास्तु !
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
मास्टरी में नौकरी के दौरान १५ अगस्त और २६ जनवरी को प्रभात फेरी में 'उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत' गाते और गवाते थे लेकिन सामान्य दिनों में कभी छह बजे से पहले नहीं उठे |अब रिटायर होने के बाद हम सुबह साढ़े चार बजे उठ जाते हैं | इसलिए नहीं कि गठरी में चोर लगा हुआ है |गठरी में लगे चोर से तो जागते हुए भी नहीं बच सकते | जागते रहें तो भी पुलिस चोरों के जयपुर पहुँचने के बाद आती है |ऐसे में अज्ञात चोरों के नाम ऍफ़ आई. आर. लिखने से अधिक कुछ नहीं हो सकता |
वैसे भी रिटायर होने के कारण हम अडवानी जी की तरह अकाल-पुरुष हो गए हैं |अकाल-पुरुष मतलब ईश्वर,अजर-अमर, शाश्वत ईश्वर नहीं बल्कि अपनी मर्ज़ी के मालिक |जब चाहें सोएँ, जब चाहे जागें |निर्देशक मंडल वालों को कोई पूछने वाला नहीं |फिर भी हम सुबह साढ़े चार बजे जाग जाते हैं- कारण एक तो अपनी पालतू 'मीठी' को घुमाने ले जाना होता है अन्यथा वह मोदी जी के स्वच्छ भारत के सभी नियमों को धता बताकर खुले में शौच कर सकती है |हालाँकि स्वच्छ भारत के लिए उत्तरदायी लोग जानते हैं कि देश में करोड़ों कुत्ते हैं जो खुले में ही यह नेचुरल कॉल (प्राकृतिक आह्वान )निबटाते हैं |
साढ़े चार बजे उठाने के बाद शौच गए, खुले में नहीं |पानी पिया, आँखों में दवा डाली, एक चम्मच आँवला चूर्ण लिया |कहते हैं आँवला चूर्ण का सेवन करने से बुढ़ापा देर से आता है |यदि किसी असाध्य और कष्टकर बीमारी के ग्रसित न हों तो पेंशन पाने वालों के लिए दीर्घायु होने में बड़ा मज़ा है |अभी अठत्तर में घुस गए हैं |यदि जिंदा रहे तो अस्सी के होते ही एक झटके में ही पेंशन सवाई हो जाएगी |आयकर का तो खैर, इस जीवन में अब मौका आने से रहा |
सुबह का दूसरा राष्ट्रहित का महत्त्वपूर्ण काम है दूध लाना |दूध तो कहीं से भी मिल सकता है |आजकल कई तरह के असली-नकली दूध दुकानों पर मिल जाते हैं लेकिन गाय के अपने सामने निकलवाए हुए दूध से एक प्रकार का मानसिक बल मिलता है कि असली और शुद्ध दूध पी रहे हैं |यह बात और है कि त्रेता में, जब घी-दूध की नदियाँ बहती थीं, तब भी उस समय के प्रसिद्ध गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी को अपने पुत्र को दूध की जगह आटा घोलकर पिलाना पड़ता था | यदि थोड़ा विलंब हो जाए तो शक होता है कि कहीं पानी तो नहीं मिला दिया |अपने सामने दूध निकलवाकर लाने वालों और दूध निकालकर देने वालों में यह साँप-छछूंदर का खेल आदि काल से चला आ रहा है |
हम जैसे ही 'मीठी' को लेकर बाहर निकले तोताराम टकराया |हमने कहा- क्या बात है ? लगता है सोया नहीं |सरप्राइज़ के ज़रा से लालच में नींद हराम हो गई |
बोला- वास्तव में मास्टर, सारी रात नींद ही नहीं आई |शायर ने ठीक ही कहा है-
गज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया |
तमाम रात क़यामत का इंतज़ार किया ||
और
तेरे वादे पे जिए हम तो ये जान झूठ जाना
के ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता ||
वास्तव में मुझे तो मोदी जी पर ऐतबार नहीं था; नहीं तो खाते में १५ लाख के वादे पे मर न जाता ! अब सोचता हूँ, जिनको ऐतबार था उनका क्या हाल हुआ होगा ?
हमने कहा- कोई बात नहीं, चल थोड़ी देर घूम आते हैं |फिर तसल्ली से नाश्ता करेंगे और सरप्राइज़ भी देंगे |चल, यदि अधिक देर हो गई तो 'मीठी' ओ. डी. ऍफ़. का आपराधिक उल्लंघन कर देगी |
खैर, जैसे ही बरामदे में स्थापित हुए तोताराम ने कहा- तो ला अब मिठाई |देर किस बात की है ?
हमने कहा- नहाकर आता तो अच्छा रहता | तेरी मर्ज़ी |लेकिन मिठाई तो आई.आई.टी. के पास वाले हनुमान जी को प्रसाद लगाने के बाद ही मिलेगी |
खैर, हर भविष्यत को वर्तमान और फिर भूतकाल होना ही है |सो मंदिर होकर आने के बाद तोताराम को प्रसाद दिया और फिर हमने ग्रहण किया |
बोला- अब तो उद्घाटित कर दे वह सरप्राइज़, वह सस्पेंस |क्यों पे कमीशन के एरियर की तरह लटकाए हुए है |
हमने कहा- तो बस, समझ ले यही वह खुशखबरी थी जिसके लिए यह प्रसाद खाया है |
बोला- तो इस बात को कल क्यों नहीं बता दिया ?
हमने कहा- मोदी जी को संयुक्त अरब अमीरात में मिला सम्मान और जेतली जी के निधन के कारण हमारी हालत भी 'रोऊँ या हँसूँ' जैसी हो रही थी |अब प्रसाद की इस मिठाई के साथ सब कटुता थूक दे और फिर कभी मोदी जी कंजूस मत कहना |इतने सारे काम, इतना बड़ा देश और सारी दुनिया की ज़िम्मेदारी | कोई बात नहीं, अगर साढ़े तीन साल का विलंब हो गया |
बोला- ठीक है | बचपन में लड़ाई के बाद फिर दोस्त बन जाने वाला छंद आधा सुना देता हूँ-
लड़ाई-लड़ाई माफ़ करो.........
कोई बात नहीं जो मोदी जी ने चुनावी वादे के अनुसार किसी भारतीय के खाते में पंद्रह लाख रुपए नहीं पहुँचाए | मैं तो एक लाख रुपए के एरियर का अढ़ाई साल का ब्याज पंद्रह हजार रुपए प्रधान मंत्री राहत कोष में दिए देता हूँ जिससे अर्थव्यवस्था को पाँच ट्रिलियन डॉलर की बनाने में कुछ तो सहायता मिलेगी |
हमने भी कहा-तथास्तु !
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