Dec 12, 2019

तो लन्दन ही चल जा




तो लन्दन ही चला जा 


हम अमरीका से निकलने वाले एक हिंदी त्रैमासिक का संपादन क्या करने लगे कि जब तोताराम के पास चर्चा के लिए कोई विषय नहीं होता तो यही पूछ लेता है- अमरीका कब जा रहा है ? जैसे कि जब देश भक्तों को कोई काम नहीं होता तो वे नेहरू जी को गालियाँ निकालने लग जाते हैं वैसे ही जैसे कोई काम न होने पर निठल्ले  अन्त्याक्षरी खेलने लग जाते हैं |

आज भी उसने वही किया, पूछने लगा- मास्टर, अमरीका कब जा रहा है ?

हमने कहा- बन्धु, हम कोई मोदी जी हैं जो एक दिन देश में और चार दिन विदेश में रहेंगे |हमें तो यहीं कोई काम नहीं तो अमरीका जाकर क्या करेंगे ? 

बोला- क्यों ? अमरीका में चुनाव नहीं होते क्या ? क्या ट्रंप को चुनाव जीतने के लिए टिप्स नहीं चाहियें ? 

हमने कहा- क्या दुनिया के सभी चुनाव मोदी जी के भरोसे ही जीते जाते हैं ? 

बोला- फिर भी यदि कोई दवा किसी बीमारी में काम कर रही तो उसे बदलने की क्या ज़रूरत है ?जैसे कि अपने यहाँ राम-मंदिर और हिन्दू-मुसलमान |अब अमरीका में जब 'अबकी बार, ट्रंप सरकार' से काम चल रहा है तो चलने दो |फिर भी समय-समय पर सलाह लेते रहना चाहिए | यहाँ मोदी जी ने जल-संरक्षण का नारा दिया तो ट्रंप ने उसी के अनुकरण पर अमरीका के शौचालयों में फ्लश के लिए पर्याप्त पानी की विकट समस्या पर अगला चुनाव केन्द्रित कर दिया कि नहीं ?

हमने कहा- यदि ट्रंप को कोई राजनीतिक सलाह देनी है तो वह काम मोदी जी का है हमारा नहीं |

बोला- तो फिर इंग्लैण्ड चला जा |

हमने कहा- क्या जाना ज़रूरी है ? काम मोदी जी का और जाएं हम ?वैसे भी इस समय भाजपा में एक से एक महान नेता भरे पड़े हैं |राम से बड़ा राम का नाम |किसी भी शाखा से, किसी भी बन्दर को उतार कर भेज दे, जला आएगा विपक्ष की लंका |अभी तो स्पष्ट बहुमत है |कुछ भी किया जा सकता है |

बोला- इस समय संसद का महत्त्वपूर्ण सत्र चल रहा है | 'नागरिकता बिल' जैसे 'दूरगामी नीतिगत मसले'  में पूरी राम-सेना व्यस्त है | वैसे तो चुनाव में बोरिस जॉनसन के साथ मोदी जी का फोटो काम में लिया ही जा रहा जैसे 'जियो' के विज्ञापन में लिया गया था |

यह थोड़ा साहित्यिक मामला है | वहाँ भी चुनाव थोड़ा काव्यात्मक हो गया है | इसलिए तुझे कह रहे हैं |वहाँ एक वीडियो-गीत भी चल रहा है, बोल है-




"जागो.... जागो......जागो, चुनाव फिर से आया है 
बोरिस को जिताना है, देश को बचाना है
कुछ करके हमें दिखाना है "

हमने कहा- तोताराम, यह तो 'अबकी बार, मोदी सरकार' की तरह  बहुत ही गूढ़- गंभीर और दार्शनिक-आध्यात्मिक रचना है |हम तो काका हाथरसी की तरह छोटे-मोटे कुण्डलिया छंद लिख लेते हैं |ऐसे श्रेष्ठ काव्य के लिए तो प्रसून जोशी उपयुक्त रहेंगे |

बोला- उपयुक्त तो वे ही रहते लेकिन क्या किया जाए वे तो सबसे विश्वसनीय अखबार के साथ किसी टेस्ट ट्यूब बेबी, योनो, डिस्काउंट मास्टर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में व्यस्त हैं |

हमने कहा- तो फिर हम भी कोई 'एवजी' नहीं हैं | नहीं जाते इंग्लैण्ड |            




  
धन्यवाद,रमेश जोशी प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए.
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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