Dec 27, 2019

अपराधियों का ड्रेस कोड





अपराधियों का ड्रेस कोड 

किसी का भी सुराज-कुराज हो लेकिन हमारे इलाके में सर्दी और गरमी दोनों ही रिकार्ड बनाती हैं | चूरू-फतहपुर सर्दी और गरमी के मामले में दूरदर्शन के मौसम के समाचारों में आ ही जाते हैं | इन दिनों सर्दी के मामले में 'अच्छे दिन' आए हुए हैं | ब्राह्मण होने पर भी भले कोई दान-दक्षिणा न मिले पर कितनी भी सर्दी हो, लोकलाज के लिए दो लोटे पानी के डालने ही पड़ते हैं |हाँ, जब से मोदी जी प्रधान मंत्री बने हैं; जैकेट की तरह दाढ़ी आलस्य नहीं बल्कि शोभा और फैशन स्टेटमेंट हो गई है |इसी धुप्पल में दाढ़ी बढ़ गई |

हमारे सीकर के बारे में कहा जाता- सीयाळो सीकर भलो |अर्थात में सर्दी की ऋतु में सीकर में निवास अच्छा रहता है |कारण- यहाँ भले रात कितनी ही ठंडी हो लेकिन दिन में सुहावनी धूप निकलती है |सो दोपहर में आँगन में खटिया डालकर धूप सेवन करते-करते वही लुंगी-कुरता पहने ही अपनी पालतू कुतिया मीठी को पेशाब करवाने के लिए  पैरों में चप्पल डालकर रास्ते पर निकल आए |

जैसे ही लौट रहे थे, तोताराम टकरा गया- बोला, मियाँ, आदाब अर्ज़ है |

हमने कहा- क्यों राम-राम कहने में कोई परेशानी है ? अब तो प्रभु का ५० हजार करोड़ का मंदिर और दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति बनाने वाली है |मुसलमान भी सहमत है और पुनर्विचार याचिकाएँ भी निरस्त कर दी गई हैं |ऐसे में तुम्हारा हमें 'आदाब अर्ज़' कहने का क्या अर्थ और मंतव्य है ?

बोला- मंतव्य कुछ नहीं | लुंगी और दाढ़ी में तू पक्का मुल्ला जी लग रहा है | 

हमने कहा- मुल्ला इस्लाम का धर्माचार्य होता है |उसके लिए पढ़ाई करनी पड़ती है |ऐसे तो कुछ और बड़ी दाढ़ी-मूंछे और पगड़ी रख लेंगे तो ज्ञानी जी और ग्रंथी जी (सिक्ख) बन जाएँगे ? यदि माला-तिलक-छापा कर लेंगे, धोती और अंगवस्त्रम धारण कर लेंगे तो पंडित जी (हिन्दू) बन जाएँगे ? क्या यह कोई फेंसी ड्रेस शो का खेल है ? और इससे क्या फर्क पड़ता है ? हैं तो सभी इंसान ही |गीता में शरीर को वस्त्र कहा गया |विभिन्न रूपों में दिखते हुए भी सभी जीव  एक हैं | शरीर बदलने पर भी आत्मा एक ही रहती है | ऐसे में तरह-तरह के वस्त्र ही क्या, शरीर भी आदमी की पहचान नहीं है |

बोला- इतनी ज्यादा पंचायत की कोई ज़रूरत नहीं है |मोदी जी ने एन आर सी के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई आगजनी को लेकर कहा है- ये जो लोग आग लगा रहे हैं, टीवी पर उनके दृश्य देखने को मिल रहे हैं। उनके कपड़ों से ही पता चल रहा है कि ये प्रदर्शनकारी कौन हैं?

अब तू तेरा चंदरमा सोच ले |यदि किसी देशभक्त पुलिस वाले ने मुसलमान समझ कर धर लिया तो मुश्किल हो जाएगी |

हमने कहा- तोताराम, वस्त्रों की बात बड़ी बचकानी है |मोदी जी कुर्ता-पायजामा पहनते हैं लेकिन यह हिन्दू पहनावा नहीं है |राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कुछ विशिष्ट लोगों को छोड़कर शेष तो पहले पुलिस जैसा ढीला-ढला निक्कर पहनते थे और अब फुल पेंट |तो क्या उनको ईसाई समझ लें या कुरता पायजामा पहनने वालों को मुसलमान | ऐसे तो ममता बनर्जी ने कुछ अखबारों के हवाले से कहा है- बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी के सदस्य 21 वर्षीय अभिषेक सरकार को पांच अन्य युवकों के साथ रेलवे पटरी के पास कपड़े बदलते हुए देखा गया था | इसके बाद इन सभी युवकों ने एक ट्रेन के इंजन पर पत्थर बरसाए थे | गांव वालों ने इन युवकों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था |

ऐसे में कानून और अपराध विज्ञान पढ़ने की ज़रूरत ही नहीं है |कपड़े देखो और फैसला दे दो |इसी को कहते हैं- अंधेर नगरी, चोपट राजा |हमारे हिसाब से तो सभी अपराधी अपराध करने के लिए अवसरानुकूल वस्त्र बदलकर जाते हैं |फिर चाहे वह सीता-हरण के लिए रावण का साधु वेश धारण करना हो या नेताओं द्वारा शरीफों वाला वेश |  


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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