Dec 24, 2019

चल, अपना पासपोर्ट दिखा



चल, अपना पासपोर्ट दिखा 


दिल्ली की बारिश का कुछ असर इधर भी आ गया | |महँगाई की उमस की तुलना में डीए की तरह दो चार बूँदें गिरीं |बरामदे में बैठने जैसा मौसम नहीं था | तोताराम अन्दर कमरे में ही चला आया और बैठने की बजाय बोला- चल, अपना पासपोर्ट दिखा |

हमने कहा- उधर राष्ट्रपति जी के विधेयक पर किए गए हस्ताक्षरों की स्याही सूखी नहीं कि तू सबसे पहले हमसे ही अनुपालना करवाने के लिए आ गया |लगता है, राष्ट्रपति जी को हमारी ही नागरिकता पर शक है |लगता है हमारे लिए ही यह कानून बनाया गया है |तुझे पता होना चाहिए हम कोविंद जी से तीन, मोदी से आठ और अमित जी से बाईस वर्ष पहले इस भारत भूमि पर आए थे |

बोला- शांत, मास्टर शांत |तू तो इस तरह उछल रहा है जैसे भारत में घुसपैठ करते रँगे हाथों पकड़ लिया गया है |पहले पूरी बात तो सुन |आजकल बहुत से पासपोर्ट नकली भी मिल रहे हैं |इसलिए दिखा, कहीं तेरा पासपोर्ट भी नकली तो नहीं ?

हमने कहा- हमने किसी एजेंट से नहीं बनवाया है | हम इस पासपोर्ट से छह बार अमरीका आ जा चुके हैं |लेकिन तुझे आज अचानक हमारे पासपोर्ट के असली-नकली होने की फ़िक्र कैसे हुई ? और तू कैसे पता करेगा कि हमारा पासपोर्ट असली नहीं है |

बोला- यदि उसके प्रत्येक पेज में शरीर में आत्मा की तरह  'कमल' का वाटरमार्क नहीं हुआ तो समझ कि असली नहीं है |उस स्थिति में तेरा हिन्दू होना भी संदिग्ध हो सकता है |

हमने कहा- तोताराम, भाजपा के बनने से पहले भी पासपोर्ट में वाटर मार्क हुआ ही करता था |हमारे पासपोर्ट में अशोक स्तम्भ का वाटर मार्क है |उसमें क्या खराबी है ? 
और जहां तक नकली की बात है तो मोदी जी ने कहा था कि नोटबंदी से नकली नोटों पर भी रोक लगेगी |और हुआ क्या ? नोटबंदी के दौरान ही नए नोटों का रंग उतरने लगा |बाज़ार में फोटो स्टेट किए हुए नोट चल पड़े थे |और फिर कमल ही क्यों ?

Image result for भारतीय पासपोर्ट का वाटर मार्क कमल


बोला- कमल हमारा राष्ट्रीय पुष्प है |उसमें क्या बुराई है ?

हमने कहा- बुराई तो कुछ नहीं लेकिन जहां तक कमल के 'राष्ट्रीय पुष्प' होने की बात है तो राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत जैसा स्पष्ट उल्लेख इसके बारे में कहीं नहीं मिलता | और फिर कमल ही क्यों ? क्या इसलिए कि यह भाजपा का चुनाव चिह्न है ?वाटर मार्क तो कुछ भी हो सकता ? शिव,विष्णु, बुद्ध, लक्ष्मी, गणेश आदि का आशीर्वाद वाला 'हाथ' वाटर मार्क क्यों नहीं हो सकता ? गणेश का प्रतीक 'हाथी' क्यों नहीं ?  कृषि और कौशल वाले हँसिया-हथौड़े क्यों नहीं ? धनुष-बाण भी ठीक है |  सूरज-चाँद क्या बुरे हैं ? 

बोला- इनमें कमल वाली बात नहीं |कमल ब्रह्म-ज्ञान का, अनहद का, सात्त्विकता,  पवित्रता, निस्पृहता और सम्पूर्ण भारतीयता का प्रतीक है |कबीर भी कहते हैं- अष्ट कमल दल चरखा डोले, पञ्च तत्त्व गुण बीनी चदरिया |

हमने कहा- कुछ भी कह तोताराम, इसमें निस्पृहता नहीं है |यदि किसी कुंठा के तहत ऐसा करना ही था तो थोड़ा पर्दा, थोड़ा धीरज रखते |अभी मोर को लेते, फिर बरगद और बाघ को लेते |फिर कमल को भी ले सकते थे |तब अजीब भी नहीं लगता |शुरुआत ही कमल से | हमें तो इस 'कमल' में कबीर के अनहद से ज्यादा राजनीति का कीचड़ नज़र आता है |


बोला- मास्टर, ज़माना खराब है |क्यों बिना बात तीन-पाँच लगाता है |तुझे पता है, अब नागरिकता विधेयक के नए नियमों के अनुसार यदि किसी ने झूठ-मूठ ही तेरी नागरिकता के बारे में पुलिस को शिकायत कर दी तो लगाता रहना चक्कर थानों और दफ्तरों के |  

-रमेश जोशी 

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