Dec 15, 2019

अगले चुनाव में ट्रंप की जीत पक्की



अगले चुनाव में ट्रंप की जीत पक्की          


दुनिया का सच्चा लोकतंत्र शौचालय में ही होता है |बड़े- से बड़ा फन्ने खां भी पूर्णतया पारदर्शी हो जाता है | जब पद, प्रतिष्ठा और प्राणों पर आकर पड़ती है तब अच्छे-अच्छों को लूज मोशन हो जाते हैं |और यदि यह स्थिति लम्बी खिंचे तो फिर आदमी ज़रा भी संग्रह करने योग्य नहीं रहता और उसे संग्रहिणी हो जाती है |उस स्थित में तो कमरे ही नहीं बल्कि पृष्ठभूमि से ही अटेच्ड शौचालय चाहिए |संकट आने पर बड़े से बड़ा अधिकारी भी शौचालय में जा छिपता है |अब चूंकि धर्म का सदाबहार और सुरक्षित मौसम चल रहा है तो लोग शौचालय की बजाय पूजा में पाए जाते हैं |

शौचालय की भी ज़रूरत तभी पड़ती है जब थोड़ा बहुत तो खाने को मिले अन्यथा शौचालय की ज़रूरत की क्या ? यह बात और है कि जो न खाने और न ही खाने देने का दावा करते हैं वे ही शौचालय का हल्ला ज्यादा मचाते हैं |देवालय से पहले शौचालय की प्राण प्रतिष्ठा कर देते हैं |जब खाते ही नहीं हैं तो पता नहीं शौचालय में कौन सी गुह्य साधना करते होंगे ?

आहार तो सभी जीवों के साथ लगा हुआ है और जब आहार करेंगे तो कम या ज्यादा, ठोस या तरल, खुले या बंद दरवाजे में लेकिन शौच के लिए तो जाना ही पड़ता है |इसलिए यह न मानने का कोई कारण नहीं कि जगद्गुरु भारत यह शुचिता वाला कार्य  प्राचीन काल में नहीं करता था | लेकिन कभी इस नितांत निजी महत्त्व के काम का इतना चर्चा नहीं सुना |

आज जैसे ही तोताराम आया तो हमने कहा-  कुछ भी हो मोदी जी ने शौचालय जैसे दलित और उपेक्षित कर्म-स्थल को लोक और तंत्र के बड़े सन्दर्भ से जोड़ दिया |वास्तव में बहुत अनुपम, अभूतपूर्व और अलौकिक काम किया है |

बोला- यह बात और है कि शौचालय की चर्चा विशद और वैश्विक स्तर पर नहीं हुई |कृष्ण ने भी गीता में इसके बारे में कोई चर्चा नहीं की और न ही इस देश के संविधान निर्माताओं ने इसका कहीं उल्लेख किया लेकिन बात तो महत्त्वपूर्ण है ही |अन्न को हमारे शास्त्रों ब्रह्म कहा गया है लेकिन क्या यह अन्न-ब्रह्म गले की गंगोत्री से चलकर पेट रूपी चेकपोस्ट पर टोल टेक्स चुकाए बिना गटर तक की यात्रा कर सकता है ? यही जीवन के लोकतंत्र का शौचालयीन सन्दर्भ है |

अन्न का वास्तविक भंडारण-स्थल शरीर का यही मध्य भाग है |यही लोक और तंत्र का केंद्र बिंदु है |लोक अन्न उगाता है और खाना भी चाहता है लेकिन तंत्र  सारा ही हड़पना चाहता है |लोक और तंत्र का यही मिलन-बिंदु है और संघर्ष-बिंदु भी |

हमने कहा- यही तो हम तुझे कहना चाहते थे | आज तक जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया मोदी जी ने उस शौचालय को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के केंद्र में स्थापित कर दिया |इसी का परिणाम है कि अब शौचालय दुनिया के सबसे धनवान देश का भी  मुख्य चिंत- बिंदु बन गया है | अब अमरीका में भी शौचालय के अतिरिक्त सभी समस्याएँ हल हो गई हैं जैसे इस देश के इतिहास में शौचालय बनाने के बाद बलात्कार समाप्त हो गए हैं |महिलाएं सुरक्षित हो गई हैं |सभी लोग स्वस्थ हो गए हैं |एक परिवार के कम से कम हर वर्ष चिकित्सा पर खर्च होने वाले लाखों रुपए बचने लग गए हैं | 

बोला- इस मामले में तो मुझे लगता है भारत अमरीका से भी बहुत विकसित हो गया है |अभी ट्रंप ने बताया कि उनके देश में शौचालय में मल को बहाने के लिए दस-पंद्रह बार फ़्लश चलाना पड़ता है तब कहीं काम हो पाता है |वे हर हाल में देश को इस समस्या से मुक्ति दिलाकर रहेंगे | और वहाँ के रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल संरक्षण की अपील भी की है |

देख लेना, ट्रंप अगला चुनाव इसी मुद्दे पर जीत जाएंगे |

हमने कहा-  ऐसे मामलों में तो अपने मोदी जी विश्व-गुरु हैं |जिस बात को ट्रंप अब अनुभव कर रहे हैं उसे मोदी जी ने २०१९ का चुनाव जीतते ही शौचालय के फ्लश में पानी की कमी की समस्या आने से पहले ही जल-संग्रहण को मुख्य राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया और रिज़र्व बैंक के रिज़र्व फंड में से डेढ़ लाख करोड़ निकाल लिए हैं |अब आगे भले ही शिक्षा के लिए पैसे कम पड़ें लेकिन शौचालय में अबाध जल-प्रवाह बना रहेगा |

बोला- भाई जान,  दुनिया ऐसे ही फ़िदा नहीं है मोदी जी पर |
  


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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