Mar 19, 2020

कोरोना का वेद-पुराण सम्मत नुस्खा



कोरोना का वेद-पुराण सम्मत नुस्खा   


आज तोताराम ने हमारे हाथ पर एक छोटी-सी पुड़िया रखते हुए कहा- मास्टर, भले ही केरल की जनता ने हमारे राष्ट्रवाद और देशभक्ति को नहीं समझा लेकिन वह है तो हमारे ही देश का एक भाग |हम तो हर हालत में उनके प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करेंगे |यह मुम्बई में दहन किए गए 'कोरोनासुर' की भस्म |कोरोना की अचूक दवा- 'सहस्र पुटी कोरोना भस्म' | इसे केरल के मुख्यमंत्री को भिजवा दे | वे इसमें और बहुत सी राख मिलाकर सभी अस्पतालों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर छिड़कवा दें | जिन्हें कोरोना का ज्यादा भय लगता है वे थोड़ी भस्म एक ताबीज में रखकर दाहिने हाथ में बाँध लें |कोरोना का प्रकोप शांत हो जाने तक अपने माथे पर सवा पाँच इंच चौड़ी और सवा दो फुट लम्बी भगवा पट्टी बांधें जिससे कोरोना वायरस भयभीत होकर निकट नहीं आएगा |यदि किसी को कोरोना हो गया है तो उसे एक-एक ग्राम कोरोनासुर भस्म बनारस के गंगाजल के साथ दिन में तीन बार दें |

हमने कहा- यदि ठीक नहीं  भी होगा तो कम से कम बनारस का गंगाजल पीकर शीघ्र ही एक झटके में संसार के समस्त कष्टों से मुक्त होकर ऊपर चला जाएगा |वैसे क्या तू गोबर और गाय-पट्टी की तरह सारे भारत को ही अन्धविश्वासी समझता है ?

बोला- सो बात नहीं है लेकिन इसमें बुराई भी क्या है ? फायदा नहीं तो नुकसान भी क्या है ? 

हमने कहा- जब फायदा होने की संभावना ही नहीं है तो आदमी का समय  फालतू कामों में क्यों बर्बाद करवाया जाए |क्यों उसे वैज्ञानिक सोच से भटकाकर अंधविश्वास की ओर ले जाया जाए |जब भूत-प्रेत होते ही नहीं तो किसी को  'संकट मोचन' के चक्कर में डाला ही क्यों जाए ?

बोला- लेकिन यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक चिकित्सा तो हो सकती है |मन को थोड़ी तसल्ली मिल जाए तो क्या बुरा है ?

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हमने कहा- ये सब झुनझुने हैं |इनसे बच्चे को थोड़ी देर बहलाया जा सकता है लेकिन अंततः उसे दूध चाहिए ही |वैसे केरल वालों को तुम्हारे इस अन्धतावादी उपचार की ज़रूरत नहीं है |वे अपने संकट सुलझाने में सक्षम हैं |पिछली बार जब बाढ़ आई थी और केंद्र सरकार ने मदद में नाटक किया था तब वहाँ की जनता के आपसी सहयोग और समझ से उससे पार पा लिया था |और अब इस कोरोना से भी वे अपनी समझ, तत्परता. सफाई, सघन जाँच और वैज्ञानिक दृष्टि से निबट रहे हैं |एक भी मौत कोरोना से नहीं हुई है |तीन लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं |शेष भी ठीक हो जाएंगे |

बोला- कहीं तू अपने हिंदी भाषी इलाके को पिछड़ा हुआ कह कर देश का अपमान तो नहीं कर रहा ?तुझे पता होना चाहिए कि राम और कृष्ण यहीं हुए हैं | 

हमने कहा- ठीक है लेकिन हम उनके आदर्शों पर चलने की बजाय उनके नाम पर भेदभाव की घटिया राजनीति कर रहे हैं |जिन राज्यों में यह राजनीति नहीं है वहीँ इस देश के नोबल पुरस्कार विजेता और शीर्ष बुद्धिजीवी हुए हैं |केरल में शिक्षा की दर सबसे ज्यादा है | केरल वाले ही कमाकर सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा देश में भेज रहे हैं |सभी धर्मों के लोग वहाँ है लेकिन कभी उत्तरप्रदेश और दिल्ली जैसे दंगे वहाँ नहीं हुए और न ही होंगे |अच्छा हो, उनको कुछ सिखाने की बजाय उनसे कोई ढंग की बात सीखो | 

बोला- कोई बात नहीं |लेकिन हम तो उसी प्रकार उनके लिए वेद-पुराणों वाले वैज्ञानिक उपाय सुझाते रहेंगे जैसे कि ट्रंप बिना कहे ही जब-तब पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता की अपनी इच्छा व्यक्त करते ही रहते हैं |








 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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