Mar 8, 2020

दूर से ही ठीक है



दूर से ही ठीक है 


आज अजीब संयोग हुआ |पत्नी का चाय लेकर बरामदे में आना और तोताराम का बरामदे के पास प्रकट होना |हमारी हालत 'मैं इधर जाऊँ या उधर जाऊँ, बड़ी मुश्किल में हूँ मैं किधर जाऊँ' |चाय थामें या तोताराम की अभ्यर्थना करें |तभी तोताराम ने सब संकोच दूर का दिया, बोला- चाय संभाल | मेरी तो दूर से ही 'राम-राम' ठीक है | 

हमने कहा- यह भी कोई बात हुई |भले ही अडवानी जी कितना ही कुढ़ रहे हों पर क्या उनकी मोदी जी से दुआ-सलाम बंद हो गई ? हमने तेरे साथ ऐसा क्या कर दिया जो एक पल में साठ साल की दोस्ती को धता बताकर दूर से ही 'राम-राम'  ?

बोला- भाई साहब, राष्ट्रहित और जनहित से पहले आत्महित ज़रूरी है |हम बचेंगे तो दोस्ती बचेगी |

हमने कहा- बात साफ़ कर |पहेलियाँ मत बुझा |हुआ क्या ?

बोला- इस साल मोदी जी, अमित शाह, जे पी नड्डा आदि सभी विशिष्ट लोग होली-मिलन से दूर ही रहेंगे |

हमने कहा- प्रेम के इस त्यौहार को नेताओं के कमीनेपन ने खूनी होली बना डाला |अब किस मुँह से होली खेलेंगे ?

बोला- यह तो कोई बात नहीं है |इतना बड़ा देश है |दंगे-फसाद, खून-खराबा तो होते ही रहते हैं | साल में दस-बीस बार कोई सिरफिरा किसी स्कूल-मॉल में गोली चल देता है, सौ-पचास आदमी मर जाते हैं तो क्या ट्रंप साहब क्रिसमस मनाना छोड़ देते हैं या अपने फ्लोरिडा वाले रिसोर्ट में गोल्फ खेलना बंद कर देते हैं |लेकिन अब हमारे सेवकों का  होली-मिलन ठीक नहीं है |

हमने कहा- बड़ा अद्भुत सस्पेंस हैं, बात हजम नहीं हो रही है | कल सुना था, मोदी जी मीडिया को छोड़कर झोला उठाकर चल देंगे |अब किसी गुफा में बैठकर चिंतन करेंगे लेकिन वह टेंशन तो दूर हुआ |अच्छा हुआ जो यह अर्द्ध सत्य निकला | एक दिन में ही  पोपुलैरिटी चेकिंग हो गई  |लाखों निठल्ले युवा बिलख पड़े तो क्या करें मोदी जी को फिर सोशियल मीडिया पर आना पड़ा |पर अब होली मिलन ?तुलसी ने तो होली ही नहीं, सामान्य परिस्थिति तक के लिए  कहा है-
तुलसी या संसार में सबसे मिलियो धाय |
ना जाने किस भेस में नारायण मिल जाय || 

बोला- यह उन्होंने सामान्य परिस्थिति के लिए कहा था | विशेष परिस्थिति के लिए वे कहते हैं-
तुलसी या संसार में भाँति-भाँति के लोग |
सबसे बच कर चालियो लिए फिरत हैं रोग ||
तुझे पता है, आजकल कोरोना वायरस फैला हुआ है |यह कोई शाहीन बाग़ तक करंट पहुंचाने या गोली मारने का सुझाव देने जैसा सामान्य काम थोड़े ही है |जान का खतरा है, भाई साहब !

हमने कहा- हमारे मोदी जी तो सबसे दौड़ कर गले मिलते हैं चाहे चीन के राष्ट्रपति हों, या जापान के प्रधान मंत्री; फ़्रांस के राष्ट्रपति हों या इज़राइल के प्रधानमंत्री |अभी देखा नहीं, कैसे ट्रंप से गले मिल रहे थे ? एक प्राण, दो देह !यदि कहीं कोरोना वगैरह कुछ हो जाता तो ?







बोला- वह बात और है |पहली बात तो नेता लोग खुद ही खतरनाक वायरस होते हैं |उनका कोई वायरस क्या बिगाड़ेगा ? घोड़े की लात के घोड़ा नहीं मरता, आदमी की बात और है | और फिर उनकी चमड़ी इतनी मोटी होती है जिसमें कोई वायरस नहीं घुस सकता | क्या कभी तुमने किसी नेता को भूख, कुपोषण से मरते देखा है ? कभी उसका घर बाढ़ में बहता है, दंगे में जलता है ? | ये सब तो हम पर ही लागू होते हैं | 

हमने कहा- जब यही बात है तो फिर छोड़ ये नेताओं वाले नखरे और आ बैठ |होली की योजना बनाते हैं ?अपन कौन कूटनीति के कोरोना लिए फिरते हैं |



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment