Mar 10, 2020

कोई ऐसे ही जगद्गुरु थोड़े बन जाता है

कोई ऐसे ही जगद्गुरु  थोड़े बन जाता है


आज थोड़ा देर से उठे |इसलिए नहीं कि रात को होली का अतिरिक्त हुड़दंग मचाया था बल्कि इसलिए कि इस बार रंग लगाने के लिए किसी के आने की संभावना सामान्य से कम थी |इसके कई कारण हो सकते हैं | ठण्डी सुबह, लोगों में घटती सामाजिकता और बढ़ता अहंकार तथा नेताओं की तरह सब कुछ ट्वीट या मेसेज के द्वारा निबटा सकने की तकनीकी सुविधा |

आज हम उठे क्या, तोताराम ने ही उठाया, बोला- अरे आलसी, लोग तो मकर संक्रांति की ठण्ड में भी सूर्योदय से पहले गंगा-स्नान कर लेते हैं और तू धुलेंडी के दिन भी बिस्तर नहीं छोड़ना चाहता |अरे, यह तो वासंती मस्ती में तन-मन के सभी कल्मष और कुंठाएं विसर्जित करने का दिन है |प्रेम की नई इबारत लिखने का मुहूर्त है |

हमने कहा- तोताराम, रटी-रटाई बातें दुहराने से कुछ नहीं होता |हम तो सामान्य आदमी हैं |इस देश के सुपर स्मार्ट और घर में 'घुसकर मारने वाले' वीर पुरुष तक कोरोना से डरकर घर में छुपे हुए हैं |भारतीय संस्कृति और परंपरा  के नाम पर किसी को भी हड़काने और सिर फोड़ डालने वाले सच्चे हिन्दू और देशभक्त भयभीत होकर दुबके बैठे हैं |

बोला- डरने की कोई बात नहीं |
'यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का,
 इस देश का यारो क्या कहना, होय |

लेकिन डरने वालों से तेरा इशारा कहीं अपने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री की तरफ तो नहीं है ?

हमने कहा- कुछ भी समझ ले लेकिन जहाँ डरने की बात है तो दुनिया के महाबली नंबर वन श्री डोनाल्ड ट्रंप महोदय ने भी कहा है कि वे कोरोना के डर के एक हफ्ते से अपना चेहरा नहीं छू रहे हैं |अब सोच, जो अपना चेहरा छूने से डरते हैं वे किसी और के आँसू क्या पोंछेंगे ?

बोला- तू जिन लोगों के कोरोना से भयभीत होने की बात कर रहा है वे सब वीर हैं |वे कोरोना के बाप से भी नहीं डरते लेकिन उन्हें मानवता की सेवा के लिए डरना पड़ता है |सबसे पहले खुद को बचाना ज़रूरी है जिससे दूसरों को बचा सकें |और जहां तक घर में घुसकर मारने की बात है तो वह पकिस्तान के लिए है जो आतंकवाद का केंद्र है |अब चूंकि यह वायरस चीन से आया है इसलिए घर में घुसकर मारने का प्रश्न नहीं उठता |हम तो यही खैर मनाते रहते हैं कि कहीं वह फिर से डोकलाम  में न घुस आए | चीन पर घुसकर मारने वाली वीरता नहीं चल सकती |

हमने कहा- इसीलिए तो हम तुझे भी कहते हैं कि थोड़ी सावधानी रखा कर |तुझे बीमार होने पर नेताओं की तरह कौन-सी एम्स में इलाज़ की सुविधा मिलेगी |

बोला- मास्टर, हम भारतवासी है |जिसे जगद्गुरु कहा जाता है |और जगद्गुरु कोई ऐसे ही थोड़े बन जाता है |दुनिया डरती रहे लेकिन अपने यहाँ मुम्बई में कल होलिका दहन के साथ-साथ इस बीमारी की जड़, कोरोना वायरस को फैलाने वाले 'कोरोनासुर' का दहन कर दिया गया है |अब यह चाहे किसी को भी परेशान करे लेकिन भारतीयों को और उनमें भी हिन्दुओं को परेशान नहीं कर सकता |

वर्ली इलाके में बना 'कोरोनासुर' का पुतला।

हमने कहा- तोताराम, यह केवल कोरोना वायरस को समाप्त करने का मामला ही नहीं है |यह भारत के प्राचीन और वेद-पुराणों में संचित ज्ञान-विज्ञान का एक बहुत बड़ा प्रमाण है |हमारे पुराणों में विभिन्न असुरों की उत्पत्ति और विनाश के लिए यही मुम्बई वाली तकनीक अपनाई जाती थी |

खैर, आज हम तो रंग खेंलेंगे नहीं क्योंकि अन्दर से थोड़ी-सी ठण्ड की फुरफुरी-सी अनुभव हो रही है |लेकिन तू चाहे तो देश हित के लिए आतंकवादासुर, इस्लामिक कट्टरासुर, सीएए विरोधासुर, कांग्रेस के भड़कावासुर आदि विभिन्न असुरों के पुतले जलाकर सस्ते में मीडिया में पब्लिसिटी प्राप्त कर सकता है और देश को वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ा सकता है |

बोला- तो आज शाम को राष्ट्रभक्ति का यही कार्यक्रम सही लेकिन शर्त है कि इसकी अध्यक्षता तुझे ही करनी पड़ेगी |

हमने कहा- देश के बड़े-बड़े सेवक कोरोना के डर से होली ही तो नहीं खेल रहे हैं, रिमोट से दहन तो कर ही सकते हैं |यदि कोई नहीं मिलेगा तो हम लगा देंगे इन 'असुरों' को पलीता लेकिन इसमें एक पुतला 'सांप्रदायिक सद्भाव खंडनासुर' का भी होना चाहिए |

बोला- इसके बारे में तो अपने इलाके के 'देश भक्ति सेल' वाले भैय्या जी से पूछना पड़ेगा |


 





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