Mar 13, 2020

आजकल के संकट मोचक

आजकल के संकट मोचक

कल बहू ने खीर बनाई |शाम को जब चौके में पालथी मारकर बैठने लगे तो महसूस हुआ,  घुटना पीछे की ओर घूम रहा है जैसे ज्योतिरादित्य अपनी दादी की तरह कांग्रेस से भाजपा की ओर टिल्ट हो रहे हैं |बहू को बताया तो बोली- आपने आजकल सुबह पालथी लगाकर रामचरितमानस का पाठ करना छोड़ दिया है |खाना भी कुर्सी पर बैठकर ही खाते हैं इसलिए यह सब हो रहा है |थोड़ा-थोड़ा पालथी मारकर बैठना शुरू कीजिए, ठीक हो जाएगा |

बस, इसी प्रक्रिया में पालथी लगाकर 'संकटमोचन'  का पाठ कर रहे थे कि तोताराम आ टपका | हमने कहा- दस मिनट रुक अभी संकटमोचन का पाठ करके आ रहे हैं |

बोला- किस संकटमोचक का पाठ कर रहा है ?

हमने कहा- क्या अब  'लौह पुरुष' आडवानी जी और 'राष्ट्रपिता' मोदी जी की तरह अब हनुमान जी की जगह भी भाजपा के कोई डुप्लीकेट 'संकट मोचन' आ गए  ?

बोला- समस्या के अनुसार विभिन्न देश-कालों में पारंपरिक प्रतीकों के अवतरण होते रहे हैं | राम और हनुमान जी के समय में समस्याएँ कुछ और थीं |उस समय तो यही समस्या थी कि किसी कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को भेजा जाए जो सीता माता का पता लगाकर आए |इसके हनुमान जी से उपयुक्त कोई नहीं हो सकता था |न परिवार का झंझट, न टीए डीए की समस्या |

आजकल की समस्याएँ दूसरी हैं |आजकल सीता की खबर लाने जैसा सामान्य काम नहीं है |आजकल तो किसी कुटनी की तरह लम्पट प्रेमी के लिए किसी सुंदरी युवती को पटाकर लाने जैसा संश्लिष्ट और गर्हित काम है |आजकल सभी राजनीतिक दल एक दूसरे के विधायकों पर डोरे डालकर उन्हें भगा ले जाना चाहते है फिर अपना 'ओपरेशन' पूरा करना चाहते हैं |

हमने- तोताराम, यह तो बहुत ही निकृष्ट काम है |लोकतंत्र का मतलब है जहां आपका मन मिले उस राजनीतिक पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ो और जीतने के बाद उसके कार्यक्रम को लागू करने में पूरी ताक़त लगा दो |यदि किसी पार्टी के सिद्धांतों या नीतियों में आपका विश्वास नहीं है तो कोई बात नहीं उससे और अपनी विधायकी या सांसदी से इस्तीफा दे दो |अपनी पसंद की जिस पार्टी से चाहो चुनाव लड़ो |जिन्हें तुम संकट मोचक कहते हो ये तो भडुए हैं, लुच्चे हैं, दलाल है, रंडी से भी गए-गुजरे बिकाऊ लोग हैं और ऐसे ही वे विधायक और सांसद |

बोला- ठीक है, हनुमान जी ने ईमानदारी से माता सीता का पता लगाया लेकिन वे भी तो आते-आते विभीषण को राम की पार्टी का सदस्य बना ही आए |

हमने कहा- तोताराम भले ही तेरे ये नेता राम के सच्चे या झूठे जैसे भी भक्त हों लेकिन हम हनुमान जी की इनसे तुलना कतई पसंद नहीं  करते |हनुमान जी ने राम के लिए दलाली नहीं की थी |विभीषण तो पहले से ही राम के भक्त थे | लेकिन तेरे इन विधायक और तथाकथित संकट मोचक नेताओं का बहुत ही गैरजिम्मेदाराना भूतकाल है |ये खुद अब तब स्वार्थ के लिए इधर-उधर होते रहे हैं |नरेश अग्रवाल और कुलदीप सेंगर का क्या भाजपा और सिंधिया का क्या कांग्रेसी |

वैसे आजकल कौनसे संकट मोचक बाज़ार में चल रहे हैं ?

बोला- भाजपा के एक संकटमोचक तो अरविन्द लिम्बावली हैं जो मध्य प्रदेश के कांग्रेस से बागी विधायकों को बंगलुरु के किसी रिसोर्ट में बंधक बनाकर रखे हुए हैं |अब कांग्रेस का संकट मोचन करने पहाड़ से हरीश रावत उतर आए हैं |मध्य प्रदेश के गोपाल भार्गव कांग्रेस विधायकों को भाजपा की 'कुटनियों' और 'भगावतों' से बचाने के लिए जयपुर के किसी रिसोर्ट में ठहरे हुए हैं |

हमने कहा- यदि पार्टियों को अपनी विधायक रूपी पत्नियों पर इतना भी विश्वास नहीं है तो कब तक करेंगे रखवाली ? ले लें तलाक और बसाएं अपनी नई सुखी गृहस्थी |पति पत्नी और पत्नी पति पर निरंतर शंका करे तो चल ली गृहस्थी |

बोला- आजकल न तो पति एक पत्नी निष्ठ हैं और न ही पत्नियां पतिव्रता |  एक से बढ़कर एक छिनाल और  ज़ार हैं | सब एक दूसरे की बीवी और प्रेमिका को ले भागने की फ़िराक में है |इसीलिए सब टेंशन में हैं |कोई न सेवक है, न ईमानदार |

हमने कहा- तो फिर यह चुनाव का नाटक करने की क्या ज़रूरत है ? कोई भी, कहीं से भी चुनाव लड़े, जो जीत जाए उसकी पैसे वाले बोली लगाएं और बना लें सरकार |

बोला- वास्तव में यही हो रहा है |तू इसे लोकतंत्र और जनता की सरकार और खुद को सरकार निर्माता मानकर खुश होना चाहे तो तेरी मर्ज़ी |वरना तो पैसे और गुंडागर्दी का खुला और बेशर्म खेल चल रहा है |

हमने कहा- तो फिर ये कैलाश विजयवर्गीय क्या हैं ? किस चक्कर में गुरुग्राम में घूम रहे हैं ?

बोला- वे भी भाजपा के संकट मोचक ही हैं लेकिन आजकल अपने विधायकों को लेकर गुरुग्राम में  पर्यटन करवा रहे हैं |सुना नहीं, कह रहे थे कि फेस्टिव मूड में हैं |छुट्टियां मनाने आए हैं |


Story image for विधायकों के साथ दिल्ली में विजयवर्गीय from Oneindia Hindi




हमने कहा- लेकिन तोताराम,  फोटो में तो वे बहुत टेंशन में लग रहे हैं |एकदम चौकन्ने, जैसे कोई चोरी का माल ले जा रहे हों ? और फिर यह भी कोई समय है पर्यटन का ? लोग तो होली पर दूर-दूर से चलकर घर आते हैं और कैलाश जी इन्हें पर्यटन करवाने लाए हैं पत्नी-बच्चों से अलग |परिवार से दूर कैसी मौज-मस्ती ? और फिर पर्यटन की करना था तो केरल कश्मीर, अंडमान आदि जाते |गुरुग्राम भी कोई पर्यटन की जगह है ? न प्राकृतिक सुन्दरता, न कोई ऐतिहासिक या धार्मिक स्थान |बस, प्रदूषण, धूल, गर्मी और बड़ी-बड़ी कंपनियों के कार्यालयों के अलावा क्या है गुरुग्राम में ?

बोला-  लेकिन हरियाणा में अपनी सरकार तो है इसलिए इनकी प्रेमिकाओं/अविश्वसनीय पत्नियों को भगा लिए जाने का खतरा कम है |



 

 



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