Mar 26, 2020

ताली बजा, थाली बजा और नहीं तो गाल बजा



ताली बजा, थाली बजा और नहीं तो गाल बजा  


हम और तोताराम तो वैसे ही 'अकाल-पुरुष' हैं |इस शब्द का विशेषरूप से अनावृष्टि से फसल न होने का कोई संबंध नहीं है | हमारा किसी 'अकालासुर' से भी कोई संबंध नहीं जोड़ा जा सकता जैसे अभी होली पर कोरोना बीमारी का भारत की 'पुराण-तकनीक' द्वारा व्याख्या करते हुए 'कोरोनासुर' का दहन किया गया |'अकालपुरुष' से हमारा मतलब ईश्वर से भी नहीं है |हम भी अन्य सामान्य प्राणियों की तरह नश्वर जीव हैं |अकालपुरुष तो हम अपने को इस अर्थ में मानने लगे हैं कि हम पर काल अर्थात समय की कोई बाध्यता नहीं है |हम सामान्य जीवों की तरह घड़ी से बंधे हुए नहीं हैं कि इतने बजे उठना ही पड़ेगा या इतने बजे किसी ड्यूटी पर जाना ही पड़ेगा या इतने बजे सो ही जाना है |हम अपना कोई भी रुटीन बना सकते हैं |

आजकल कोरोना के चक्कर में जनता का बाहर जाना, लोगों से अनावश्यक निकटता  से मिलना-जुलना बंद या कम किया जा रहा है क्योंकि पता ही नहीं चलता कि कौन कोरोनासुर बना घूम रहा है |यहाँ तक कि खुद उसे भी नहीं मालूम कि वह किस चीज को छूकर अपने साथ कोरोना के विषाणु लेकर घूम रहा है |एहतियात के तौर पर 'जनता कर्फ्यू' का विचार आया |इसीको गहनता से लागू करके चीन ने इस महामारी पर काबू पा लिया है |इसलिए भारत ने भी आज से यही तरीका अपनाया है |

वैसे भी हम और तोताराम न तो बहुत बाहर जाने के लिए बाध्य हैं और फिर जब मन की बात रोज ही कर लेते हैं तो किसी और के प्राण खाने के लिए जाने की आवश्यकता भी कम ही पड़ती है |सो आज सुबह से घर में ही कैद थे |रविवार के कारण बहू की छुट्टी थी |बेटा भी तीन घंटे अपने अस्पताल जाकर लौट आया |

यह मानव स्वाभाव है कि जिस बात से मना किया जाता है उसके लिए अधिक उत्सुकता अधिक हो जाती है |बेचारे आदम और हव्वा को वर्जित फल ने ही चक्कर में डाल दिया था | चूँकि मोदी जी ने सुबह सात से रात नौ बजे तक के कर्फ्यू का आदेशात्मक सुझाव दिया था इसलिए गली में शांति थी |हम भी बिना बात ही उत्सुकतावश और वर्जना को तोड़ने की छुपी कुई कुंठा के तहत सुनसान गली को कई बार देख आए थे |रोज नींद आती थी लेकिन आज वह भी नहीं आई |इस समय को बिताने के लिए हमारे पास स्मृति ईरानी की तरह अन्त्याक्षरी जैसा कोई बौद्धिक काम तो है नहीं सो समय का उपयोग यूट्यूब पर 'तीसरी क़सम' देखने में किया | 

अचानक मोहल्ले में छतों पर थालियाँ बजने की ज़बरदस्त समवेत ध्वनि सुनाई दी |आजकल तो डिलीवरी अस्पतालों में होने लगी है जहां थालियाँ बजाने का प्रावधान नहीं है |वैसे भी यह तो हो नहीं सकता कि मोहल्ले के दस-बीस घरों में एक साथ ही पुत्र-जन्म हो |बाहर निकल कर देखा- पूछा तो पता चला कि मोदी जी के निर्देशानुसार कोरोना से लड़ने वाले वीरों के प्रति सम्मान स्वरूप ये थालियाँ बजाई जा रही हैं | 

अन्दर आकर बैठे ही थे दरवाजे पर जोर-जोर से थाली बजाने की ध्वनि सुनाई दी |हम सब तो घर में हैं फिर यह थाली कौन बजा रहा है ? और यदि मोदी जी के आदेश का पालन करना है तो अपने घर की छत पर चढ़कर करे |यहाँ हमारे दरवाजे पर क्यों ?

इसी उधेड़बुन में दरवाज़ा खोला तो देखा कि तोताराम 'तीसरी क़सम' के गाने 'चलत मुसाफिर मोह लियो रे पिंजरे वाली मुनिया' में हीरामन की तरह बेतहाशा थाली पीटे जा रहा है |हमने उसे झकझोरते हुए कहा- क्या थाली को फोड़कर ही छोड़ेगा ?

बोला- जब तक मोदी जी का मेसेज नहीं आ जाता कि उन्हें थाली बजाने की आवाज़ सुन गई है तब तक यह थाली बजती रहेगी |और हाँ, तू थाली बजाते हुए मेरे पाँच-सात फोटो भी ले ले |पिछली बार न अंगुली पर अमिट स्याही लगाए फोटो मोदी जी को भेजा और न बेटी के साथ सेल्फी भेजी; पता नहीं मोदी जी क्या सोच रहे होंगे ?



 Embedded video

Coronavirus: 'जनता कर्फ्यू' के बाद लोगों ने ताली, थाली और शंख बजाकर PM मोदी की अपील का किया पालन, दिग्गजों ने भी लिया हिस्सा, देखें VIDEOS



Embedded video

हमने कहा- मोदी जी के थाली बजाने का मतलब प्रतीकात्मक था कि देश किसी बहाने एकजुट हो |और अच्छी बात है कि देश इस समय कुछ मूर्खों और कुछ अधिक चतुर लोगों के नाटकों को छोड़कर एकजुट हो भी  रहा है |तू मोदी जी को सुनाने-दिखाने के लिए थाली बजा रहा है या इस एकजुटता में मन से शामिल हो रहा है ?और फिर मोदी जी ने रात नौ बजे तक इस जनता कर्फ्यू की बात की थी |तुझे नौ बजे तक घर रहना चाहिए था |अभी क्यों आगया ? यह तो मोदी जी के 'जनता कर्फ्यू' की मूल भावना का उल्लंघन है |

बोला- तू मुझे ही क्यों कह रहा है |अपने लेपटोप में देख कैसे राजनाथ जी, योगी जी और नड्डा जी घंटा, घड़ियाल, शंख और थालियाँ बजा बजाकर कर फोटो खिंचवा रहे हैं |और पता नहीं अखबार वाले भी इस राष्ट्रीय महत्त्व के काम के लिए वहां ठीक पांच बजते ही पहुँच गए या फिर इन नेताओं ने उन्हें कह रहा था कि ठीक समय पर आकर फोटो लेना और अपनी साईट पर डाल देना |जैसे कि कोई बहुत अर्जेंट और जनहित की सूचना हो |और कल अपने स्थानीय अखबार में सांसद और विधायक की फोटो देख लेना थाली बजाते हुए |

हमने कहा- लेकिन तेरी क्या मज़बूरी है ? तुझे कौनसा सरकार में कोई बड़ा लाभ का  पद चाहिए जो फुदक रहा है |हाँ, यदि तू उचित समझे तो हम अगले पंद्रह दिन के लिए अपनी 'बरामदा चाय-चर्चा' पर भी 'जनता कर्फ्यू'  लगा दें |

बोल- क्यों ? हम कौनसा किसी बड़े सेठ की पार्टी में सत्ताधारी पार्टी के बहुत से नेताओं की तरह कनिका कपूर के गाने के द्वारा कोरोना के प्रति जागरूकता फ़ैलाने जैसा कोई आपराधिक काम कर रहे हैं जिसे स्थगित कर दें |हम तो  मन की दो बात करके मन बहला लेते हैं |

अंध भक्तों और भारत के पौराणिक ज्ञान-विज्ञान के कुंठाग्रस्त स्वयंसेवकों की तरह बिना बात गाली और गाल बजा-बजाकर दुनिया में भारत की मूर्खता का प्रदर्शन तो नहीं करते |

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment