Mar 3, 2020

साबरमती आश्रम में ट्रंप



साबरमती आश्रम में ट्रंप 


२४ फरवरी २०२० को 'नमस्ते ट्रंप' नाम के एक सौ करोड़ी, अभूतपूर्व, वर्ल्ड रिकार्ड वाले स्वागत समारोह से पहले ट्रंप अपनी तीसरी मॉडल पत्नी मेलानिया के साथ गाँधी के साबरमती आश्रम में पधारे |धन्य भाग |आश्रम के, गाँधी के, अहमदाबाद के, गुजरात के, जगद्गुरु भारत के |पिछले ६० वर्षों में कई अमरीकी राष्ट्रपति भारत आए लेकिन इस आश्रम में आने वाले ट्रंप पहले हैं |और मज़े की बात कि उन्हें गाँधी ही याद नहीं रहा |

हमने कहा- तोताराम, यह भी कोई बात हुई कि गाँधी के आश्रम में कोई अमरीकी राष्ट्रपति पहली बार आए, गाँधी जी को सूत की माला अर्पित करे,  झुककर खादी का अंगवस्त्रम स्वीकार करे, चरखा चलाने का अभिनय करे, जूते उतारकर गाँधी के कक्ष में जाए लेकिन 'पर्यटक पुस्तिका' में गाँधी के बारे में एक शब्द भी नहीं लिखे 

बोला- इसमें आश्चर्य की क्या बात है |ये गोरे हैं जर्मनी वाले, असली आर्य-रक्त |और गोरों ने हमेशा इस दुनिया पर राज किया है |इनके लिए 'काले' मनुष्य की श्रेणी में ही नहीं आते |तभी तो अंग्रेजों के समय में कई स्थान कुत्तों और भारतीयों के लिए निषिद्ध थे |याद है, चर्चिल ने तो गाँधी को अधनंगा फकीर कहा था |

हमने कहा- भले ही गाँधी जी अमरीका नहीं गए लेकिन भारत से बाहर गाँधी जी की सबसे अधिक प्रतिमाएं अमरीका में ही हैं | इनसे पहले ओबामा और उनसे भी पहले मार्टिन लूथर किंग साबरमती आश्रम तो नहीं आए लेकिन राजघाट की पर्यटक पुस्तिका में उन्होंने जो लिखा है वह अद्भुत है |

किंग कहते हैं-  ईसा मसीह ने हमें राह दिखाई थी और गाँधी ने भारत में हमें दिखाया कि वह राह सच में काम करती है |
मैं बाकी देशों में किसी तरह पर्यटक की तरह जा सकता हूँ  मगर भारत तो मैं तीर्थयात्री बनकर आया हूँ  |  

बोला- ट्रंप साहब का तो प्रोपर्टी का पुश्तैनी धंधा रहा है जिसमें व्यक्ति नहीं, जगह का मौका और मार्किट वेल्यू देखी जाती है |वे गाँधी के बारे में क्या जानें | तभी तो उन्होंने २०१९ में ह्यूस्टन में 'हाउ डी मोदी' कार्यक्रम में मोदी जी को 'भारत का बाप' बता दिया था |हो सकता है गाँधी की मुद्रा में चरखा चलाते मोदी जी का फोटो देखकर उन्होंने मोदी जी को ही गाँधी समझ लिया हो |और फिर मोदी जी ने ही तो उनके स्वागत का  का विश्व रिकार्ड बनवाया है |ऐसे में उनके अलावा और किसके बारे में लिखते | 

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 हमने कहा- अच्छा हुआ जो ये शुद्ध आर्य दम्पती गाँधी के जिंदा रहते नहीं आए अन्यथा वह बूढ़ा इन्हें फ़र्श पर बैठाकर अपने अल्यूमिनियम के कटोरे में जाने कौनसा दाल-दलिया खिला देता |और मेलानिया को तो ज़रूर ही चर्खा चलाना सिखा देता जैसे न्यूयार्क टाइम्स की फोटोग्राफर मार्गरेट व्हाईट १९४६ में जब गाँधी जी का फोटो लेने आई तो उन्होंने शर्त रखवाई कि पहले चर्खा चलाना सीखो तो फोटो खिंचवाऊँगा |

बोला- लेकिन तू ट्रंप साहब की इस बात के लिए प्रशंसा में एक शब्द भी नहीं कहेगा कि २००६ में जहाँ बुश के सुरक्षाधिकारी कुत्ते राजघाट पर विस्फोटक सूंघने के लिए चढ़ गए थे वहाँ ट्रंप साहब ने साबरमती में गाँधी की मूर्ति की केवल मेटल डिटेक्टर से ही चेकिंग करवाई |

हमने कहा- तोताराम, पता नहीं इन महाशक्तियों को उस निहत्थे फकीर की मूर्ति से भी क्यों इतना डर लगता है ?

बोला- जहाँ प्यार नहीं होता वहाँ डर नहीं होगा तो और क्या होगा ?





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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