Mar 22, 2020

कोरोना का उद्भव

कोरोना का उद्भव 

तोताराम ने आते ही कहा- चाय अभी नहीं, ब्रेक में पिएंगे |

हमने पूछा- क्या आज मन की किसी लम्बी बात के बहाने हमें बोर करने का इरादा है ?

बोला- दुःख की बात है कि मस्तिष्क के दरवाजे बंद रखने वाले कुछ लोग ज्ञान से भी बोर होते हैं |अरे, ज्ञान के लिए तो जिज्ञासुओं ने गुरुओं की सेवा में जन्म खपा दिए और एक तू......

हमने कहा- तोताराम, दुनिया में ज्ञान की कमी नहीं है और अपने भारत में तो उसका अजीर्ण हो रहा है |कमी है तो आचरण की है |लोग दुनिया को दिन में सौ बार हाथ धोने का उपदेश दे रहे हैं लेकिन खुद किसी का खून करके भी हाथ नहीं धोते हैं |

बोला- यह तो वही बात हो गई, जब रोजगार और शिक्षा की मांग करने वाले से पूछा जाए कि महमूद गज़नवी सोमनाथ का मंदिर तोड़ रहा था तब तू कहाँ था ? विषय से भटका मत | तुझे पता होना चाहिए कि हिंदी में शोध के लिए विषयों की बड़ी कमी चल रही है |अब तो नौबत यहाँ तक आ गई है कि लोग रामचरित मानस में मच्छर की भूमिका, गौमूत्र में नवरस, मन की बात के साहित्यिक आयाम,  चरित्र हनन का साहित्यिक महत्त्व आदि पर विषयों शोध करवाने लगे हैं |हो सकता है कुछ दिनों में  'भारतीय साहित्य में कोरोनावाद' जैसे विषयों का भी नम्बर आ जाए |इसलिए आज हम कोरोना के उद्भव पर चर्चा करेंगे  |  

हमने कहा- इसमें क्या तय करना है ? सभी कहते हैं कि सबसे पहला केस चीन के वुहान शहर में मिला |इसे मोदी जी की तरह अनुप्रासात्मक बनाते हुए ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारी इसे 'वुहान वायरस' भी बता चुके हैं |और अब तो ट्रंप भी अपने ट्वीट में कोरोना वायरस को चीनी वायरस बता चुके हैं |ऐसे में इसके बारे में क्या चर्चा करना |अभी तो सभी बातें साफ़ हैं, हमारे सामने हो रही हैं, नोट कर ले |

बोला- लेकिन इससे पहले चीन अंदेशा जता चुका है कि कहीं चीन में कोरोना को लाने का काम अमरीकी सैनिकों ने तो नहीं किया है ? चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के एडीटर हू शिनजिन ने भी लिखा है- अमरीकी शेयर बाज़ार गिरने से ट्रंप की टीम को बड़ा झटका लगा है | अमरीका के पास इस महामारी से निबटने का कोई प्रभावी तरीका तो है नहीं |डर के इस माहौल में वे खुद को बचाने के लिए चीन को बलि का बकरा बना रहे हैं |

हमने कहा- सभी अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए किसी न किसी को तो दोष देते ही हैं | वैसे यूनेस्को ने सही कहा है कि वायरस का कोई देश नहीं होता |कोरोना के खिलाफ जंग में हमें विज्ञान की ज़रूरत है न कि एक दूसरे पर कलंक लगाने की |

बोला- बात तो यूएनओ ने ठीक ही कही है लेकिन धंधा करने वाले हर मौके को अपने लाभ के लिए भुनाने का अवसर बना लेते हैं जैसे कुछ देश भक्त कहने लगे कि राहुल गाँधी इटली होकर आए हैं इसलिए उनकी भी जाँच करवाई जाए |कुछ ने इसे सी ए ए विरोधियों को खदेड़ने का बहाना बनाना चाहा |कुछ गौभक्तों ने पेशाब पार्टी करके विदेशों से आने वालों का शुद्धीकरण करने के लिए ज़बरदस्ती उन्हें गौमूत्र पिलाने का प्रस्ताव पास कर दिया |कुछ 'कोरोना भस्म' बाँटने लगे हैं |

हमने कहा-  हम तो चीन और अमरीका के बीच में पड़ते हैं  |ऐसे में यह वायरस भले ही चीन से आए या अमरीका से हमें तो लपेट में आना ही था |वैसे हम इसके प्रभाव से कुछ बच सकते थे यदि शी जिन पिंग के साथ झुला न झूलते या  ट्रंप से बार-बार भाग-भाग कर झप्पी-झप्पी नहीं करते |



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Image result for शी जिन पिंग से गले मिलते मोदी का फोटो

बोला- हमें क्या लार टपकती है |अपने स्वार्थ के लिए दोनों ही हमसे लिपटा-चिपटी करते रहते हैं |किसी को लहसुन, पतंग का मंझा, दिवाली की लड़ियाँ और देवी-देवताओं की मूर्तियों से लेकर दवा, फोन और इलोक्ट्रोनिक सामान बेचने हैं तो किसी को आधुनिक विमान और हथियार |

हमने कहा- तो मना कर दो |अपने यहाँ बना लो |विदेशी मुद्रा और स्वाभिमान दोनों बचेंगे | 

बोला- ऐसा नहीं हो सकता |यदि एक को नाराज़ कर दिया तो वह डोकलाम में आ बैठेगा या खुले आम पाकिस्तान की मदद करने लगेगा |दूसरे को नाराज़ कर दिया तो हमें 'राष्ट्र का बाप' कौन बनाएगा ? 






























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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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