Jul 3, 2020

नेता नहीं, आदमी



नेता नहीं, आदमी 


आज इतवार है |वैसे निठल्लों के लिए तो हर दिन ही इतवार होता है |रखने को तो हमें भी निठल्लों की श्रेणी में रखा जा सकता है |निठल्लों और बेरोजगारों में फर्क होता है |बेरोजगार रोजगार चाहता है लेकिन निठल्ले को न रोजगार की चिंता है और न ही काम मिल जाने के बाद उसके प्रति गंभीरता की भावना |बेरोजगारों के प्रति सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है | हाँ, कभी चुनाव आता है तो दिखाने के लिए लाखों नौकरियों की भर्ती की सूचना निकाली जाती है लेकिन टेस्ट और इंटरव्यू के बावजूद नियुक्तियाँ नहीं होतीं | हम रिटायर्ड लोग तो ऐसे अनुत्पादक लोग हैं जिन्हें सरकार हर महिने कुछ न कुछ देने को विवश है |दिल में तो हर सरकार चाहती है कि ये खूंसट कब मरें और कब पीछा छूटे लेकिन ये ऐसे चीमड़ हैं कि कोरोना तक से बचे हुए हैं |

जब कोई किसी निठल्ले से कुछ काम कहता है तो उसका यही उत्तर होता है- अजी टाइम नहीं है | 

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, यदि बाज़ार की तरफ जाना हो और समय मिले तो  'प्रधान मंत्री जन औषधि भण्डार' से हमारी हार्ट वाली दवाइयाँ लेते आना ?

तो बोला- क्या कहा ? समय ? समय किसके पास है ? साँस तो ले नहीं पा रहा हूँ | 

हमने कहा- क्या कहा ? साँस नहीं ले पा रहा है? साँस लेने में दिक्कत कोरोना का प्रमुख लक्षण है |हमारा कहा माने तो सब काम छोड़कर सबसे पहले टेस्ट करवा |  

बोला- टेस्ट ? क्या मुफ्त में होता है ? पहले प्राइवेट में साढ़े चार हजार रुपए लगते थे |अब सरकार ने निजी क्षेत्र वाली प्रयोगशाला वालों की दीन-दशा से द्रवित होकर उन्हें रेट बढ़ाने की छूट दे दी है |ऐसे में पता नहीं वे टेस्ट का क्या चार्ज कर लें |और फिर टेस्ट का भी क्या ठिकाना है ? ऐसे ही कुछ भी लिखकर दे देंगे |अहमदाबाद में देखा नहीं, खोखा वेंटीलेटर सप्लाई कर दिए |पीपीई किट तक घटिया पेल दिए |मास्क घोटाला भी पकड़ा गया है |क्या टेस्ट करवाना है ? जब आएगी तो कोई नहीं बचा सकेगा | ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और कनाडा के प्रधानमंत्री की पत्नी को कोरोना हो ही गया |और ट्रंप कोरोना को धता बताकर बिना मास्क के रैली करते घूम रहे हैं |


एम्बेडेड वीडियो

(वेंटी लेटर हटा दिए जाने के बाद मरने से पूर्व हैदराबाद के रवि की सेल्फी )


हमने कहा- फिर भी टेस्ट करवाने में क्या बुराई है ? 

बोला- यदि दुर्भाग्य से कोरोना निकल आया तो कोई देशभक्त मुझे तबलीगी या कोरोना संक्रमित होकर मोदी जी को बदनाम करने वाला कांग्रेसी बताकर लपेट लेगा तो मुश्किल हो जाएगी |वैसे सच तो यह है मास्टर, तूने मुझे बोलने का अवसर ही नहीं दिया |मुझे कोरोना वाली साँस की दिक्कत नहीं है |मेरा मतलब तो यह था कि मेरे पास समय का अभाव है | 

हमने कहा- वैसे यदि कोरोना हो भी जाता तो क्या फर्क पड़ता था |सुना है,  भारत सरकार कोरोना से मरने वाले के परिजनों को चार लाख का पॅकेज देती है |

बोला- वह तो कोरोना के प्रारम्भिक काल में कुछ ज्यादा जन-प्रेम दिखाकर वाहवाही लूटने के लिए कह दिया था | जैसे देश कोरोना से डरा हुआ है और सरकार चुपके से रोजाना डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाती रहती है वैसे ही चार लाख मुआवजे वाला नियम भी चुपके से वापिस ले लिया गया है |अब तो अस्पताल का पूरा बिल दिए बिना डेड बॉडी भी नहीं देते |कोई नहीं ले जाता तो शव को कहीं भी ले जाकर गड्ढे में पटक देते हैं |  

हमने कहा- भई, हमें तो ऐसा नहीं लगता |ब्रिटेन के प्रधान मंत्री, कनाडा के प्रधानमंत्री की पत्नी और संबित पात्रा को भी तो कोरोना हुआ लेकिन वे तो ठीक होकर फिर से देश सेवा कर रहे हैं |

बोला- मैं नेताओं की नहीं, आदमियों की बात कर रहा हूँ |















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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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