Jul 11, 2020

कौनसा विकास



कौनसा विकास


हम विनम्रतापूर्वक अपनी प्रशंसा करने का मौका निकाल ही लेते हैं जैसे मोदी जी अपने अभावग्रस्त बचपन और कैशौर्य का उल्लेख किसी न किसी बहाने कर ही देते हैं विशेषरूप से चुनावों और गाँधी-नेहरू परिवार को लपेटने के लिए |

यह सच है कि हमारे पिताजी कोई व्यापार या दुकानदार तो दूर, कोई छोटी-मोटी नौकरी नहीं करते थे |यजमानों से प्राप्त दान-दक्षिणा का ही सहारा था |और भारत में दान-दक्षिणा के मामले में धनिक लोगों की नीयत कैसी होती है इसका उदाहरण प्रवासी श्रमिकों के पलायन के समय, शादियों में हजार-पाँच सौ करोड़ खर्च कर देने वाले, गाँठ के पूरे और संवेदना से कंगाल धनिकों के आचरण में देश ने देख ही लिया |अरबों कमाकर देने वाले श्रमिकों के लिए दो महिने का राशन नहीं जुटा सके | 

उस युग में छोटे-मोटे सामाजिक दान-पुण्य से सरकारों की कृपा प्राप्त नहीं होती थी |वैसे भी उस काल के सेठों के पास आजकल के धनपतियों की तरह नेताओं और सरकारों को खरीदने के लिए लाखों करोड़ रुपए होते भी नहीं थे | सत्ता की कृपा  खरीद सकने जितने पैसे हमारे यजमानों के पास थे भी नहीं | हाँ, जाति से ब्राह्मण और सेठों के पंडित होने के कारण एक झूठा भभका ज़रूर था |इसलिए अपनी गरीबी और संघर्ष का ज़िक्र करके हम कभी सहानुभूति प्राप्त नहीं कर सके | जैसे ही भाई साहब ने १९५२ में हाई स्कूल पास की उन्हें पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी पड़ी थी |उस समय बालविवाह और किशोरों का नौकरी करना कानूनन मान्य था | 

हमारे पास आत्मप्रशंसा करने का पिछले आठ वर्षों से एक बहाना है |हम पिछले २० वर्षों से भारत-अमरीका के बीच प्रवास करते रहने के दौरान एक अमरीकी संस्था  'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति' के संपर्क में आए और २०१२ से उसके त्रैमासिक हिंदी मुखपत्र  'विश्वा' के संपादक हैं |अब हम जब भी किसीसे बात करते हैं तो अमरीका से बाहर ही नहीं निकलते |

आज ४ जुलाई है, अमरीका का २४४ वाँ स्वाधीनता दिवस |वैसे यह काम हम घर के अन्दर भी कर सकते थे लेकिन जानबूझकर लोगों को दिखाने लिए बरामदे में लैपटॉप रखा और मेजिक जैक की मदद से अमरीका में बैठे भारत मूल के अपने परिचितों को बधाई देने लगे | जोर-जोर से बोल रहे थे कि आते-जाते लोग सुन लें कि हम अमरीका बात कर रहे हैं |

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने जानबूझकर उसे देखकर अनदेखा करते हुए  बातचीत जारी रखी |दो चार मिनट तो वह हमें देखता रहा फिर बोला- हे विदेशविहारी जोशी, कभी तो इस भारत भूमि पर भी ध्यान दे लिया कर | जब देखो तब अमरीका, अमरीका |तू तो ऐसे व्यस्त हो रहा है जैसे दो-चार दिन बाद तुझे ट्रंप द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'हाउ डी जोशी' अटेंड करने के लिए अमरीका जाना है |


तोताराम ने हमारे सामने एक 'विश्वसनीय अखबार' रखाऔर बोला- देख-सुन, मोदी जी का सिंहनाद |साफ़ कह दिया है चीन से |यह विस्तारवाद का नहीं, विकास का युग है |कैसे भी महाबली रहे हों लेकिन विस्तारवादी इस दुनिया से मिट गए हैं |

हमारी निगाह मोदी जी के समाचार के ठीक नीचे छपे- विकास दुबे वाले कानपुर में  आठ पुलिस कर्मियों को शहीद कर दिए जाने के समाचार पर पड़ी |



नीतीश कटारा हत्याकांड: SC ने विकास यादव की परोल याचिका की खारिज, कहा- आपकी 25 साल की सजा बरकरार है


हमने पूछा- कौनसा विकास ? यह 'विकास' दुबे वाला विकास ? या फिर किसी डी पी यादव का सुपुत्र कोई 'विकास' यादव आ गया ? कभी-कभी 'हड़बड़-विकास' के चक्कर में ऐसे-वैसे 'गड़बड़-विकास' भी हाथ में पड़ जाते हैं |

बोला- मैं ऐसे विकासों की नहीं बल्कि 'सबका साथ : सबका विकास' वाले विकास की बात कर रहा हूँ |

हमने कहा- लेकिन आजकल जिताऊ उम्मीदवारों के लालच में राजनीति तरह-तरह के कुख्यात अपराधियों का अड्डा बन गई है | कुलदीप सेंगर ने दोनों-तीनों कुलों को देदीप्यमान कर दिया वरना क्या भाजपा वाले जानते नहीं थे बसपा और सपा में इसका इतिहास |और यदि यही विकास किसी पार्टी, विशेषरूप से सत्ताधारी पार्टी का एम.एल.ए. या एम.पी. होता तो ? 

हमने किसी फिल्म का पार्ट टू बनाने की संभावना की तरह वाक्य और विषय बीच में ही छोड़ दिये |















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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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