Jul 11, 2020

हेल्प अस टू हेल्प यू



हेल्प अस टू हेल्प यू 



६ जून २०२० को मोदी जी का मेल आया |भिड़ते ही बाईं तरफ लिखा था 'myGov' और नीचे हिंदी अनुवाद 'मेरी सरकार' |प्रेमी अपनी अपनी प्रेमिका को और फिर बाद में बीवी को उल्लू बनाने के लिए कूटनीतिकली 'सरकार' कहते हैं |

अब यह मोदी जी की 'सरकार' कहाँ से आ गई ? वे भी खुद को फकीर कहते हैं और जनता ने भी स्वीकार कर लिया है |बाद में लोगों ने बताया कि 'मोदी जी की सरकार' का मतलब 'भारत सरकार' होता है |  वैसे भी सच्चे सेवक सरकार के साथ 'चन्दन और पानी' की तरह इतने एकाकार हो जाते हैं कि उन्हें अलग करना, देखना और समझना संभव नहीं होता |अब मोदी जी भी 'इंदिरा इज इण्डिया' की तरह साक्षात चलते-फिरते भारत हो गए हैं |भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं तो इण्डिया तो हो नहीं सकते |फिर भी जैसे परमात्मा में सभी आत्माएं समाई रहती हैं वैसे ही हम भी खुद को भारत और मोदी जी दोनों में मान लेते हैं |

जैसे आजकल सेवक जनता से मिलने की बजाय ट्वीट कर देते हैं वैसे ही जब से स्मार्ट फोन मिला है, तोताराम भी विस्तार से बताने की बजाय किसी ट्वीट या मेल का सन्दर्भ दे देता है |आज बोला- मोदी जी का ६ जून वाला ट्वीट देखा ? 

हमने कहा- छह जुलाई आने वाली है और तू ६ जून के मेल की बात कर रहा है ! अब तक तो मोदी जी जाने कितने ट्वीट, स्टेटमेंट, वक्तव्य और सन्देश दे चुके होंगे |कोई नई बात कर |

बोला- हम केवल बात करने वाले नहीं हैं |हम वही बात करते हैं जिस पर एक्शन लेना होता है |जैसे मोदी जी घर में घुसने और आँख दिखाने की बात ही नहीं करते घर में घुस कर मारते भी हैं और लाल आँख दिखाते भी है |परिणाम साफ़ दिखाई दे रहा है |चीन, पाकिस्तान और नेपाल को पतले दस्त क्या ऐसे ही लगने लगे हैं ?

हमने कहा- छोड़, लाल आँखें |तू तो मोदी जी की छह जून वाली बात बता | हमें कुछ याद नहीं पड़ रहा है |



MyGov 
बोला- उसमें कोरोना में लॉक डाउन के बाद अनलॉक-१ के सन्दर्भ में बताते हुए मोदी जी ने सरकार की हेल्प करने की बात लिखी थी जिससे कि सरकार हमारी मदद कर सके-  'help us to help you' . 

हमने कहा- हेल्प करने का यह कौनसा तरीका है ? हमीं से लेकर, हमारी हेल्प | जब सब कुछ ही हमारा है तो सरकार का कैसा एहसान ? हम खुद ही ना अपने साधनों से अपनी हेल्प कर लेंगे |सरकार जब हेल्प करेगी तो कौन सी सीधे-सीधे हेल्प करेगी | हेल्प के साथ भी अपना चुनाव चिह्न चिपकाएगी |देखा नहीं, बनारस में एक सज्जन मोदी जी द्वारा सुझाए गए मास्क के विकल्प के रूप में गमछे बाँट रहे थे लेकिन उन गमछों पर 'कमल का निशान' बना था और लिखा था 'मोदी गमछा' |

बोला- देख मास्टर, मैं किसी सरकार को नहीं जानता |मैं तो मोदी जी को जानता हूँ |वे गंगा की तरह पवित्र और सूर्य की तरह निष्कलंक हैं |भ्रष्टाचार करेंगे भी तो किसके लिए ? वैसे भी वे परिवारवाद में विश्वास नहीं करते |उनके लिए तो कांग्रेस को छोड़कर सब  'वसुधैव कुटुम्बकम' है |कांग्रेस को छोड़ना इसलिए ज़रूरी है कि उसने इस देश का विनाश और अहित विदेशी आततायियों से भी अधिक किया है |इसलिए मैं तो सरकार की हेल्प ज़रूर करूँगा |

हमने कहा- हम तुझे किसी की भी हेल्प करने से मना नहीं कर रहे हैं | हमारी तो स्थिति ऐसी है नहीं  कि सरकार की हेल्प कर सकें |सरकार ने तो पहले ही हमारा डी.ए. बंद करके ज़बरदस्ती हेल्प ले ही ली |वैसे तुझे पता होना चाहिए कि यह दुनिया हेल्प के चक्कर में ही दुखी और परेशान है, और लुट रही है |जंगल में कोई भ्रष्टाचार नहीं होता क्योंकि वहाँ कोई किसी की सेवा करने का धंधा नहीं करता |

बोला- आज तू यह क्या कह रहा है, मास्टर ? आदमी आदमी की हेल्प नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा ?

हमने कहा- तोताराम, समाज के चतुर, मक्कार और हरामखोर लोगों ने हेल्प करने का एक विकट धंधा और बड़ा शक्तिशाली तंत्र खड़ा कर लिया है |तुझे पता होना चाहिए देश में ३१ लाख एन जी ओ हैं और अगर एक में दस-दस मुफ्तखोर भी घुसे हुए हैं तो तीन करोड़ हो गए |कम से कम इतने ही सभी धर्मों के धार्मिक स्थान भारत में हैं |इसी तरह ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं, परिषदों और निगमों में जन सेवा के लिए चुने गए लाखों सेवकों के अतिरिक्त माननीय विधायक, सांसद आदि भी सेवारत हैं | इससे दोगुने भूतपूर्व होंगे तो चारगुना भावी जनसेवक होंगे |फिर इन सबके चमचे भी होंगे क्योंकि सभी लोकप्रिय और हृदय सम्राट जो होते हैं |  देश में सेवा के नाम पर हेल्प करने वाले कम से कम बीस करोड़ लोग सक्रिय हैं | इन सबका का खर्च जनता द्वारा दिए गए पैसे से ही तो चलता है |सेवा करने वाले को मेहनत-मजदूरी करने का समय ही कहाँ मिलता है ? फिर भी यदि तेरा मन है तो दे दे प्रधान मंत्री राहत कोष में एक दिन की पेंशन |

बोला- मैं किसी प्रधानमंत्री को नहीं जानता | लोग कांग्रेस को नहीं, गाँधी जी को जानते थे और उन्हीं के नाम से कुछ देते और काम करते थे |एक बार प्रसिद्ध लेखक और क्रांति में विश्वास करने वाले शरच्चंद्र चटर्जी को कांग्रेस अधिवेशन में सूत कातते देखकर गाँधी जी ने कहा- शरत बाबू, आप तो बहुत बारीक सूत कातते हैं ! शरत बाबू ने कहा- बापू, यह तो मैं आपको प्रेम करता हूँ इसलिए कात रहा हूँ वैसे मेरा खादी -वादी में कोई खास विश्वास नहीं है |सो मुझे भी सरकारों में कोई विश्वास नहीं है लेकिन मेरा विश्वास है कि मोदी जी को देश सेवा के लिए दिया गया सब कुछ सुरक्षित है और उसका सदुपयोग होगा | इसलिए मैं जो दूँगा वह प्रधानमंत्री राहत कोष में नहीं, 'पी एम केयर' फंड में दूँगा | 

हमने पूछा- इन दोनों में क्या अन्तर है ?

बोला- 'पी.एम केयर्स' में इतनी औपचारिकताएं नहीं हैं | और उसका 'प्रधानमंत्री राहत कोष ' की तरह किसी ऑडिट का भी चक्कर नहीं है | सीधा और तत्काल जनता तक पहुंचेगा | 

हमने फिर शंका की- तो फिर  इसमें PM क्यों लगा हुआ है ?

बोला- इसका फुल फॉर्म है- प्रिय मोदी जी केयर्स | मतलब मोदी जी सबकी केयर करते हैं | फिर इसके बाद सोचने विचारने को क्या रह जाता है ? निश्चिन्त होकर 'हेल्प देम, टू हेल्प यू' |

हमने फिर पूछा- तो फिर यह भी बता दे कि तेरे पास देने के लिए है क्या ?

बोला- तीन चीजें हैं- मेरी बत्तीसी, दोनों आँखों के दो लेंस और एक स्टेंट |किसी आयुष और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा में कवर न होने वाले के काम आ जाएँगे |

हमने कहा- ठीक है, अपने पास दिमाग जैसा तो कुछ दान देने के लिए न पहले था और न अब; तो यही सही |









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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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