Jul 29, 2020

बहुत भोला है बेचारा ...ट्रंप का दिल



बहुत भोला है बेचारा ...ट्रंप का दिल 


आज तोताराम  'है अपना दिल तो आवारा ...'  की आधी पंक्ति  'बहुत भोला है बेचारा ......'  नाक में गुनगुनाता हुआ प्रकट हुआ लेकिन पंक्ति के अंत में तीन शब्द भी बोल रहा था- 'ट्रंप का दिल' |

हमने कहा- तोताराम, यह धुन तो देवानंद और वहीदा रहमान की प्रसिद्ध
फिल्म  'सोलहवाँ साल'  के प्रसिद्ध गीत- है अपना दिल तो आवारा .... की है लेकिन अंत में यह ट्रंप कहाँ से आगया ? 

बोला- 'दिल' और वह भी 'आवारा दिल' हो तो सलमान रुश्दी, ट्रंप और शशि थरूर न आएँगे क्या मोदी जी आएँगे ? बड़े रसिक और दिल फेंक हैं ये तीनों ही प्राणी | लोगों से ज़िन्दगी भर एक नहीं पटती और ये लोग माशा अल्लाह .....|और अभी तो क्या बिगड़ा है ? हफीज जालंधरी की तरह  'अभी तो मैं जवान हूँ' | 

हमने कहा- तोताराम, तू चाहे कुछ भी कर लेकिन किसी साहित्यिक रचना की दुर्गति मत कर |तुलसीदास जी ने 'हनुमान चालीसा' लिखा भक्तशिरोमणि हनुमान जी के लिए और अब उसकी तर्ज़ पर लोग जाने किस-किस पर चालीसा लिख मारते हैं ? इससे उन तथाकथित नेताओं और उनके टुच्चे और स्वार्थी भक्तों का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन इससे हनुमान जी का अपमान ज़रूर होता है | तुलसी बाबा के दिल पर क्या गुजरती होगी, इसे तो समझने वाला ही कौन है ? यह गंगाजल को गटर में मिलाना है, गाँधी को गोडसे से जोड़ना है |ऐसे टुच्चे, स्वार्थी और नकली भक्त-कवि केवल हनुमान की जगह उस घटिया आराध्य नेता का या किसी पार्टी आदि का नाम मात्र जोड़कर काम चला लेते हैं |फिर भी छंद दोष | 

यदि नाम ही लेना है तो तीनों का ले |अकेले ट्रंप के पीछे क्यों पड़ा है ?

बोला- रुश्दी अपने लेखकीय स्टेंड और शशि थरूर अपनी पार्टी के प्रति ईमानदार हैं लेकिन ट्रंप का तो ३० दिन में २८ झूठ बोलने का रिकार्ड है |

हमने कहा- आज चाहे राजनीति हो, चाहे इश्क; एक वाक्य में चार झूठ बोले काम नहीं चलता |राजनीति को तो हमारे मनीषियों ने कहा ही 'वारांगना' है |और श्रेष्ठ वारांगना वह होती है जो एक साथ बाप और बेटे दोनों को उलझाकर रखती है |ट्रंप और शी जिन पिंग तो इस कला के मास्टर हैं |

बोला- कैसे ? 

हमने कहा- कल ट्रंप चीन को भारत की ओर से हड़का रहे थे और जैसे ही ७५ लाख करोड़ रुपए के सिक्योरिटी सिस्टम की बात पक्की हो गई तो अब कह रहे हैं- भारत-चीन दोनों से प्यार है |

इधर जितनी देर ट्रंप भारत के प्रति प्यार की कसमें खा रहे थे तब तक उधर शी जिन पिंग ने पिछवाड़े में जाकर भारत से ईरान को चाबहार बंदरगाह में महबूब के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपए के फूल बेचने का सौदा हथिया लिया |

अब फिर वही 'नमस्ते ट्रंप' और 'बिरज में झूला झूलें नन्दलाल' |मतलब बेशर्मी से  लिपटम चिपटम |यथास्थिति और वार्ता |




बोला- बातों की बात और है लेकिन इस मामले में फ़्रांस का राष्ट्रपति मेक्रों पक्का संत है |अपने से २५ साल बड़ी अपनी टीचर से इश्क किया, ब्याह किया और शान से निभा रहा है |









पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment