Jul 14, 2020

दिल्ली में टिड्डे-टिड्डियाँ



दिल्ली में टिड्डे-टिड्डियाँ

बाहरी दिल्ली के सभी गाँवों में खेती की ज़मीन पर अवैध कोलोनियाँ कट गई हैं जिन्हें अब नियमित कर दिया गया है | जब कोई गलत शब्द बहुत प्रचलित हो जाता है तो अंततः उसे स्वीकृति मिल ही जाती है जैसे अंग्रेजों के समय में सेना में कम पढ़े लिखे सिपाहियों ने  all correct को ओल करेक्ट और फिर संक्षिप्तीकरण के तहत OK बना दिया तो उसे भी ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में स्थान मिल ही गया |  तो चलो खेती नहीं तो पर्यावरण मंत्री ही सही, पद तो चाहिए | वैसे पर्यावरण भी बेचारे पर्यावरण मंत्री के पास कहाँ होता है ? उसमें प्रदूषण फ़ैलाने वाले तो परिवहन और उद्योग मंत्री होते हैं और बदनाम होता है बेचारा पर्यावरण मंत्री |हाँ, कुछ उत्साही मंत्री ही ऐसे होते हैं जो गंगा सफाई का बजट दीये जलवाने और आरती उतारने के लिए तेल में ही खर्च कर देते हैं |अब नापने कौन जाएगा कि एक दीये में पचास मिलीलीटर तेल डाला या पाँच मिलीलीटर और दीये भी पाँच लाख जलवाए या डेढ़ लाख ? अगर कोई हिम्मत करके पूछ ले तो विधर्मी, अधर्मी और अंततः देशद्रोही |

तो जी, दिल्ली में टिड्डियाँ आ गई बताते हैं |हमारे यहाँ तो कल शाम को आई थीं |घर के ऊपर का 'सारा आकाश' चितकबरा हो गया |मंडी के बबूलों पर डेरा जमाया और हमारे ग्वार, भिन्डी और बैंगन के कुछ पौधों का सफाया कर गईं लेकिन मुआवज़ा किसके माँगें |सरकार ने तो कोरोना से मरने वालों का पूर्व घोषित चार लाख रुपए का पॅकेज ही चुपचाप केंसिल कर दिया | ऊपर से लोगों को कोरोना से  इतना डरा दिया है कि बेचारे पेट्रोल दरों की रोजाना गुपचुप बढ़ोतरी के विरोध में आवाज़ उठाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं |  

अड़ोस-पड़ोस के लोगों ने, जिन्हें मोदी जी की ताली-थाली तकनीक पर विश्वास था, यह टोटका भी किया |टिड्डियाँ भी उतनी ही भागीं जितना कोरोना भागा |उसके बाद से तो कोरोना ने इतनी स्पीड पकड़ ली है कि सरकार ने बदनामी से डरकर जाँच करवाना ही बहुत कम कर दिया है |इसके बावजूद हम चौथे नंबर पर आ गए हैं | यह बात और है कि अखबार पहले पेज पर सारे आँकड़े दिखाते हैं लेकिन संक्रमित देशों की लिस्ट से भारत को गायब किए हुए हैं |यहाँ तक कि स्वघोषित 'विश्वसनीय' अखबार भी | 

तो टिड्डी दल राजधानी में प्रवेश कर गया है सभी ५६ इंच के सीने वालों, आँख में आँख डालकर बात करने वालों, घर में घुसकर मारने वालों की उपस्थिति के बावजूद |सभी तरह के सीमा सुरक्षा बालों के होते हुए भी टिड्डियाँ पाकिस्तान की तरफ से घुस ही आईं |क्या किया जाए ? यह कांग्रेस और यह केजरीवाल पता नहीं स्पष्ट बहुमत वाली, धुआँधार काम करने वाली, एक मिनट भी चैन से न बैठने वाली सरकर को बदनाम करने के लिए क्यों पीछे पड़े हुए हैं |

क्या करें बेचारे दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय |अपने नाम के अनुरूप गायों का पालन ही नहीं कर पा रहे हैं |केंद्र में काबिज़ गौभक्त सरकार की कृपा से आवारा गायें दिल्ली की सड़कों की शोभा बढ़ा रही हैं |अपने सरनेम 'राय'  के अनुरूप  सभी की राय मानने को विवश | और फिर भारत-भक्तों की वैदिक तकनीक न मानें, ऐसा कैसे हो सकता है ? भारत में रहना नहीं है क्या ? सो जारी कर दिया ढोल और डीजे बजाने का विज्ञान सम्मत आदेश |  
76664532

एक बात समझ नहीं आई कि जब दिल्ली में खेती नहीं होती तो ये टिड्डियाँ पाकिस्तान से उड़कर यहाँ क्या करने आई हैं |लगता है बीस लाख करोड़ की फाइलों में उगी खेती को चरने आई हैं |  



गुजरात-राजस्थान में टिड्डियों का आतंक, कीट नियंत्रण जुगाड़ भरोसे

वैसे टिड्डियों से बचाव के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु का बहुत महत्त्व मानने वाली पार्टी के शासन में गुजरात के बनासकांठा जिले में अध्यापकों को टिड्डियाँ भगाने की ज़िम्मेदारी दी गई है |

ठीक भी है, जब शिक्षा का उद्देश्य, शिक्षा का दर्शन, इतिहास और संविधान लिखने की ज़िम्मेदारी सरकार के मंत्रियों ने ले ली है तो मास्टरों के लिए और काम ही क्या रह जाता है |सरकार का ढोल बजाएं और टिड्डियाँ भगाएँ |हालाँकि तथाकथित देशभक्तों द्वारा टुकड़े-टुकड़े गैंग और देशद्रोहियों का अड्डा प्रचारित की  जाने वाली जे एन यू अब भी रेंकिंग में नंबर दो है |















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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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