Jul 17, 2020

विकास की गाड़ी



विकास की गाड़ी 


आते ही तोताराम ने असामान्य स्वर में कहा- मास्टर, विकास.....


इसके बाद उसने अटल जी की तरह एक लम्बा ब्रेक ले लिया |हम पायल निगोड़ी......के बाद के रहस्य के उद्घाटन की बेसब्री से प्रतीक्षा करने लगे |जब सहन नहीं हुआ तो कहा- आगे भी तो बोल ! क्या हुआ हमारे प्यारे विकास को ? 

बोला- खल्लास !

हमने पूछा- कैसे ? कोरोना से ? बुलेट ट्रेन तो अभी तक चालू ही नहीं हुई अन्यथा उससे गिरकर भी खल्लास हो सकता था |

बोला- कानपुर से उज्जैन जाते हुए कई राज्यों में से होकर गुज़रा लेकिन कुछ नहीं हुआ लेकिन उज्जैन से कानपुर पहुँचने ही वाला था कि पुलिस की गाड़ी पलट गई | कुछ पुलिस वाले घायल हुए लेकिन विकास को कोई चोट नहीं आई |वह दोनों पैरों में रोड डली होने के बावजूद एक पुलिस वाले का रिवाल्वर छीनकर तीव्र गति से दौड़ने लगा |ऐसे में पुलिस क्या करती ? आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी |मज़े की बात यह कि भागते हुए भी गोली विकास की छाती पर लगी |चलो, पुलिस का कानून-व्यवस्था की रक्षा का कर्त्तव्य पूरा हुआ और छाती पर गोलियां लगने से विकास की वीरता की भी लाज भी रह गई |
 vikas dubey car overturned in kanpur









हमने कहा- तोताराम, तुम सबसे पहले किसी भी बात में छुपी संदेह और भ्रांतिमान अलंकार की सभी संभावनाओं से होने वाली गलफहमी को ध्यान में रखते हुए जितना हो सके उससे बचते हुए बोला करो |सबसे पहले यही कहते कि मैं कानपुर वाले विकास दुबे की बात कर रहा हूँ तो हमें इतना टेंशन तो नहीं होता |

हमारी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह गई |अरे, ६७ साल इंतज़ार करते-करते भारत माता की गोद हरी हुई और विकास का जन्म हुआ था | अभी तो सातवाँ साल ही लगा था |दूसरी क्लास में ही आया था |नटखट तो खैर, उसे होना ही था क्योंकि बुढ़ापे की औलाद जो ठहरा |शुरू में लोग इसे समझ नहीं पाए | इसीलिए गुजरात में कुछ लोग कहने लगे- विकास गांडो थई गयो |



बोला- विकास कभी 'गांडा' नहीं होता |वह और उसे जुड़े सभी पक्ष और लोग बहुत चतुर होते हैं |बिना चतुराई और सबके साथ और सबके विश्वास के विकास का होना संभव ही नहीं |जब तक पुलिस और राजनीति का सहयोग नहीं होता, विकास पैदा ही नहीं हो सकता |यह तो राजनीति, बाहुबलियों और अपराध के नाजायज संबंधो के फलस्वरूप ही पैदा होता है |वरना जब उसने थाने में पुलिस वालों के सामने एक नेता का क़त्ल किया और एक भी पुलिस वाला गवाही देने का साहस नहीं जुटा सका तभी उसके 'सबके साथ' का भाव समझ में आ जाना चाहिए था | 

वही विकास दुबे आज एक हफ्ते में ही पकड़ में आ गया और मारा भी गया |ऐसे में क्या सब कुछ समझना मुश्किल है ? 




   



















 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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