Dec 2, 2021

सेल्फी का सेल्फ कोंफिडेंस

सेल्फी का सेल्फ कोंफिडेंस   


हमने कहा- तोताराम,  तुझे याद है ना, उमा भारती का मानवीय गरिमा को गिराने वाला अहंकारी स्टेटमेंट ?                                

बोला-  कि ब्यूरोक्रेसी हमारी चप्पलें उठती है. लेकिन इसमें गलत क्या है ? जो चप्पलें नहीं उठाता उसका वही हश्र होता है जो चन्द्रसिंह गढवाली का हुआ. पेशावर में निहत्थे सत्याग्रहियों पर गोली चलाने से इनकार करने पर अंग्रेज सरकार ने उनकी वर्दी फाड़कर सेना से निष्कासित कर दिया गया और उनकी समस्त संपत्ति जब्त कर ली गई.  कोई पेंशन भी नहीं मिली.बड़ी मुश्किल से वकील उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलवाने में सफल हुआ. जबकि कुछ समझदार लोग माफ़ मांगकर सेल्यूलर जेल की यातनाओं से भी बचे रहे और उस सस्ते ज़माने में साठ रुपया महिना पेंशन आजीवन पेलते रहे.  ऐसे ही लोगों को आज भी नौकरी से रिटायर होते ही तत्काल राज्यसभा में भेज दिया जाता है. इसलिए एक समझदार ब्यूरोक्रेट को नेताओं की चप्पलें उठाने को अपना सौभाग्य समझना चाहिए. सत्ता से लाभान्वित होते रहने के लिए यदि सत्ताधारी का थूक भी चाटना पड़े तो उसे आपदा में एक अवसर मानना चाहिए.   कभी भी मध्य प्रदेश के युवा आई ए एस अधिकारी की तरह धूप का चश्मा लगाकर प्रभु के सामने नहीं जाना चाहिए. प्रभु से अधिक स्मार्ट दिखने का अपराध कभी नहीं करना चाहिए.

हमने कहा-  तभी इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. लखनऊ के पुलिस आयुक्त ध्रुव कांत ठाकुर ने प्रियंका गाँधी के साथ सेल्फी लेने वाली महिला पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ जांच के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की केंद्रीय डिवीजन के डीसीपी से कहा गया है कि वह इस बात की जांच करें कि क्या महिला पुलिसकर्मियों का सेल्फ़ी लेना पुलिस के नियम-क़ायदों का उल्लंघन है। डीसीपी की रिपोर्ट के बाद पुलिस आयुक्त ठाकुर इस संबंध में कोई फ़ैसला ले सकते हैं। 

बोला- बिलकुल आश्चर्य नहीं होना चाहिए. उन्हें तत्काल नौकरी से नहीं निकाला गया, यही गनीमत है. पुलिस का धर्म है सत्ताधारी के आदेश पर विपक्षियों को झूठे मामलों में फंसाना और अपने वालों के भरी दोपहर में सड़क पर किये गए अपराधों को छुपाना और जेल में ही उन्हें होटल जैसा ट्रीटमेंट देना. तभी तो जलियांवाला बाग़ के अपराधी  डायर को कोई सजा नहीं दी गई. 

अगर सेल्फी ही लेनी है तो किसी अलौकिक व्यक्तित्त्व के साथ लो,जैसे  मार्च २०१८ में वेंकैय्या नायडू के यहाँ आयोजित  'एक भारत : श्रेष्ठ भारत' नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान राम ने मोदी जी के साथ सेल्फी ली थी.यह क्या कि चाहे जिस किसी के साथ सेल्फी लेने लगे. अब ऐसे में कार्यवाही तो होगी ही.

सच्चे ज्ञानी और आशिक अपने प्रियतम को अपने दिल में ऐसे बसा लेते हैं कि मीरा की तरह- ना कहुं आती जाती. या जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली. कुछ आत्ममुग्धता में नार्सिसस की तरह सारी दुनिया को भूलकर अपनी ही सेल्फी लेते रहते हैं. .

हमने कहा- सेल्फी का यही अध्यात्म है  तभी सेल्फी लेते हुए मरने वालों में अपना देश नंबर वन है. 

बोला- सौ करोड़ टीकों की तरह एक और वर्ल्ड रिकार्ड. 


 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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