Dec 26, 2021

फिर मिलेंगे

फिर मिलेंगे 


चाय आई लेकिन तोताराम ने कोई उत्साह नहीं दिखाया.

हमने कहा- क्या भोजन मन्त्र  'हरिः ॐ नाभिया आसीदंतरिक्षगंग्व ...'  के गायन की प्रतीक्षा है ?

बोला- नहीं, जब तक माफ़ी नहीं मांगेगा तब तक मैं चाय नहीं पिऊंगा.

हमने कहा- माफ़ी कोई तमाशा है ? कोई ज़बरदस्ती है ? यह तो खुद के द्वारा किसी को, किसी भी रूप में कष्ट पहुँचा दिए जाने के अहसास से उपजी आत्मग्लानि की विनम्र स्वीकृति है. हमने तो कभी तुझे जान या अनजान में कोई कष्ट नहीं पहुँचाया. हम किस बात की माफ़ी मांगें ?

बोला- क्या एक दिन तूने मुझे 'चायजीवी' नहीं कहा था ? 

हमने कहा- तो इसमें झूठ क्या है ? तुझे हमारी चाय के बिना जीवन व्यर्थ लगता है तो हमें भी तुझे चाय पिलाए बिना चैन नहीं. ऐसे में हम खुद को भी 'चायजीवी' ही मानते हैं. बचपन में चाय बेचकर जीवनयापन करने वाले मोदी जी ही नहीं और भी करोड़ों चाय बेचने वाले 'चायजीवी' नहीं तो और क्या हैं ? और फिर इसमें बुराई भी क्या है ? 

बोला- लेकिन तुझे माफ़ी मांगने में शर्म क्यों आती है ? क्या तू मोदी जी और सावरकर जी से भी बड़ा है ?  गलती हो गई तो कोई बात नहीं. आदमी से गलती हो जाती है.  मोदी जी ने भी किसानों के हितैषियों को 'अन्दोलनजीवी' कहा लेकिन माफ़ी भी मांग ली या नहीं ? सावरकर जी भी अंग्रेजों से माफ़ी मांगकर सेल्यूलर जेल से छूटे थे या नहीं. माफ़ी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता. गाँधी ने अंग्रेजों से माफ़ी नहीं मांगी जिसके फलस्वरूप आज भी हिन्दू महासभा के कुछ कार्यकर्त्ता गाँधी के पुतले को गोली मारकर दंड देते हैं. इसीलिए पीयूष गोयल निलंबित कांग्रेसी सांसदों को उनके ही भले के लिए माफ़ी मांगने को कह रहे हैं. 

हमने कहा- लेकिन मोदी जी ने किसान आन्दोलनकारियों और उनके समर्थकों से माफ़ी नहीं मांगी है. उनकी माफ़ी का भाव यह है कि मैं तो देश के सभी 'असली' किसानों के भले के लिए ये कानून लाया था लेकिन 'कुछ' नकली किसानों ने ऐसा नहीं होने दिया. मैं तुम्हारा कल्याण नहीं कर पाया. इसलिए मैं तुमसे माफ़ी मांगता हूँ.

बोला- फिर भी माफ़ी तो मांगी ही. 

हमने कहा-  इस माफ़ी का मतलब यह है कि चिंता मत करो मैं और किसी तरीके से तुम्हारा कल्याण करने के लिए फिर कृषि कानून लाऊँगा. इसका मतलब वही है जो ट्रक के नीचे आने से बाल बाल बचे आदमी ने पुलिस को बताया.

बोला- क्या है वह किस्सा ?

हमने कहा- किसी आदमी के पास से बहुत तेज़ रफ़्तार में एक ट्रक गुजर गया. घबराया हुआ आदमी थाने गया और  फरियाद की- साहब, मुझे बचा लीजिये. वह ट्रक तो मुझे कुचल ही देता. 

थानेदार ने कहा- लेकिन अब तो वह ट्रक चला गया. तुम्हें कोई चोट भी नहीं आई. फिर कैसा और किसके खिलाफ  मामला दर्ज करें ?

फरियादी बोला- लेकिन साहब, उसके पीछे लिखा था- फिर मिलेंगे. 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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