Dec 29, 2021

कर्कट गिरि : हमारी गली का पुण्य-स्थल


कर्कट गिरि : हमारी गली का पुण्य-स्थल  


कहते हैं- बद अच्छा, बदनाम बुरा.  लेकिन यह कहावत भी तो ऐसे ही नहीं बनी है कि 'बदनाम भी होंगे तो क्या नाम न होगा' . इसीलिए संस्कृत में भी कहा गया है-

घटं भिन्द्यात् पटं छिन्द्यात् कुर्याद्रासभरोहणम् |
येन केन प्रकारेण प्रसिद्ध: पुरुषो भवेत् ||

घड़े फोड़कर, कपड़े फाड़कर या गधे के ऊपर चढ़कर. कुछ लोग किसी भी तरह, कुछ भी करके चर्चित होना चाहते हैं || 

जैसे कि आजकल गाँधी-नेहरू को गाली देकर, गाँधी के पुतले को गोली मारकर, गोडसे को देशभक्त बताकर, किसानों को आतंकवादी बताकर,  मोदी जी के सिंहासनारूढ़ होने के दिन  ३० मई २०१४  को भारत का स्वतंत्रता दिवस बताकर सस्ते में चर्चित हुआ जा सकता. चर्चित होने पर अखबार, टीवी में स्थान मिल जाता है, फिर चुनाव में भोपाल से लोकसभा का टिकट मिल सकता है, वाई प्लस सुरक्षा मिल सकती है; पद्मश्री मिल सकती है.

पहले हम अपनी गली की बदनामी को लेकर लज्जित हुआ करते थे लेकिन लोकतंत्र में बदनामी के महत्त्व को समझ लेने पर अब हमें कोई शर्म नहीं आती.वैसे हमारी गली किसी कुकर्म के लिए बदनाम नहीं है, बात इतनी सी है कि हमारी गली शहर के 'स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत' कार्यक्रमको लेकर चर्चित है. स्वच्छता में नंबर वन नहीं, बल्कि गन्दगी के मामले में. 

मोटर साइकल और कार में चलने वाले तो इतना ध्यान नहीं देते लेकिन हमारे जैसे पैदल चलने वालों को पता होता है कि वार्ड नंबर ४६ में स्थित कृषि मंडी के कोल्डस्टोरेज के प्लाट के कोने के पास कूड़ादान कितने दिन से साफ़ नहीं हुआ है. हमें ही सर्वाधिक बदबू सहन करनी पड़ती है सो हम ही नगर परिषद् में सबसे अधिक शिकायत करते हैं. अब जब हम जैसे ही नाम बताते हैं तो उधर से आवाज़ आती है- समझ गए मास्टर जी, वही कूड़े वाली गली ना.   

कल १५ दिन हो गए सफाई हुए. कई दिन से शिकायत नोट करवा रहे हैं. संबंधित व्यक्ति ने कहा- मास्टर जी, कल सवेरे-सवेरे आप वाली गली से ही शुरू करेंगे. 

सो जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, चाय पर चर्चा बाद में, पहले 'करकट गिरि' की तरफ हो आते हैं.

बोला- जहां परशुराम जी ने तपस्या की वह महेंद्र गिरि, संजीवनी के लिए हनुमान जी उठा लाये थे वह द्रोण गिरि, और मलय गिरि तथा हिमगिरि आदि तो सुने थे लेकिन अब यह 'कर्कट-गिरि' कहाँ से आ गया ? 

हमने कहा- व्यक्ति में दृष्टि हो तो कूड़े में से भी कोहीनूर खोज लेता है जैसे 'रेग्स टी रिचेज'.अब मोदी जी एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने गए तो वहाँ उन्होंने वह स्थान विजेथुवा महावीरन मंदिर के नाम से सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील में खोज निकला जहां हनुमान जी ने द्रोण गिरि जाते समय उनको भटकाने-उलझाने वाले कालनेमी को मारा था. कल को अगर मोदी जी सीकर आयें तो वे कर्कट गिरि के नाम से बदनाम कूड़े के इस पहाड़ का संबंध किसी कर्कटासुर से जोड़कर इसे भी प्राचीन भारत की हिन्दू अस्मिता से लेकर अपने 'स्वच्छ भारत: स्वस्थ भारत' से जोड़ देंगे. 

बोला- चल, वैसे तो बदबू और कूड़े को क्या देखना. फिर भी जैसे दिल्ली के गाजीपुर में दुनिया का सबसे बड़ा कचरे का पहाड़ है वैसे ही यह अपने सीकर का सबसे ऊंचा कूड़े का पहाड़ है और फिर तूने इसका सबन्ध मोदी जी के 'स्वच्छ भारत' अभियान से भी  जोड़ दिया है. ऐसे में स्वच्छता के लाभार्थी होने के नाते  शामिल न होना भी उचित नहीं.चल इस पुण्य-स्थल को नमन कर ही आते हैं.



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment