Dec 19, 2021

मन चंगा तो...

मन चंगा तो...

 

जिस तरह जब चुनाव आने वाले होते हैं तब सरकारों के लिए कोई भी यम-नियम लागू नहीं होते।

समस्त वर्जनाएं टूट जाती है।सभी बंधन ढीले हो जाते है। कहीं भी, किसी भी प्रकार कोरोना प्रोटोकाल

का उल्लंघन करके रैली, प्रतीकात्मक शिलान्यास, उदघाटन, झूठे वादे  सभी कुछ जायज़ लेकिन सामान्य

आदमी की गर्दन इस उस बहाने पकड़े रहेंगे। सामान्य आदमी का पीछा नहीं छूटता।   शक्तिशाली और

चतुर लोगों ने सामान्य लोगों के लिए नियाम बनाए लेकिन प्राचीन काल से ही खुद की सुविधा के लिए रास्ते

निकाल लिए तभी संस्कृत में कहा गया है- आपत्काले मर्यादा नास्ति। खुद इसी नश्वर संसार में अनंत काल

तक बने रहना चाहेंगे और दूसरों के लिए मोक्ष के लुभाने वाले अविश्वसनीय ऑफर।  

 हमें उस लोक में विश्वास नहीं और यह लोक सुधारने का समय निकल चुका सो निश्चिन्त हैं।  

  

बरामदे की जगह कमरे में ही अखबार पढ़ रहे थे कि तोताराम ने हमें वहीँ  ‘दस्तयाब’ कर लिया।

यदि मध्यप्रदेश में होते तो यह ठेठ उर्दू शब्द काम में नहीं ले सकते थे क्योंकि शिवराज सिंह जी ने

ऐसे शब्दों को हटाने के लिए कह दिया है।तो तोताराम ने हमें ‘शयन कक्ष’ में ही ‘हस्तगत’ कर लिया

और बोला- अरे आलसी, आज अमृत सिद्धि योग में मोक्षदा एकादशी के पावन दिन भी बिस्तर में ही

पड़ा है !उठ, गंगा या किसी पवित्र स्थान पर नहीं तो कम से कम बाथरूम में जाकर की दो लोटे डाल ले। 

देख, आज के विश्वसनीय अखबार के मुखपृष्ठ पर गेरुए वस्त्रों में गंगा में डुबकी लगाकर स्वर्णिम धोती, कुरता

और अंगवस्त्रम धारण करके बाबा विश्वनाथ कोरिडोर में मुस्कराते हुए प्रवेश करते हुए मोदी कितने शोभायमान

हो रहे हैं !  और एक तू है जो चार-चार कपड़े पहने रजाई में घुसा पड़ा है।


हमने कहा- तोताराम, मोक्ष कर्म से मिलती है, दिखावे और कर्मकांड से नहीं मिलती।  दुनिया अंतकाल में

मोक्ष के लिए  गंगा के किनारे आकर पड़ जाती है जबकि कबीर अपना अंतिम समय जानकर मगहर चले गए

जहां के बारे में कहा गया है कि वहाँ मरने वाले को मोक्ष प्राप्त नहीं होती। कबीर यही सिद्ध करना चाहते थे कि

कर्मों को संवारो। सो हमने कोई ऐसे कर्म नहीं किये हैं कि नरक का डर लगे। 


जहां तक मोदी जी के गंगा में डुबकी लगाकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने की बात है तो उनका क्या ? वे

छप्पन इंची सीने वाले हैं। ब्रह्मचर्य का तेज है। पद की गरमी है। और फिर अभूतपूर्व हिन्दू-हृदय-सम्राट और

धर्म-प्राण बनने की उत्कट आकांक्षा। इसलिए वे माइनस ५ डिग्री में भी ठंडे पानी से स्नान कर सकते हैं. क्या

किसी नेता को भयंकर सर्दी में भी कम्बल ओढ़े, टोपा लगाए मंच पर भाषण देते देखा है ? पद में बहुत पॉवर

होता है. सब कुरते और जाकेट में बिना मफलर के दिखाई देते हैं. लेकिन हमारे वश का नहीं है।यहाँ तो सारे

दिन धूजते रहते हैं. टोपे पर भी मफलर खींचे रहते हैं . हम तो सूरज सिर पर आने के बाद ही धूप में बैठकर

नहायेंगे। यदि कभी बहुत ठण्ड पड़ी तो केंसिल भी कर सकते हैं। मन चंगा तो कठौती में गंगा। हमें न वोट चाहिए

और न ही दान-दक्षिणा। हम ब्रह्म को जानने वाले ब्राह्मण है. हम ब्राह्मणत्व का धंधा नहीं करते. 


बोला- मोदी जी के लक्ष्य इतने छोटे नहीं हैं । उनका तो अवतार ही हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हुआ है

अन्यथा वे तो स्थितप्रज्ञ हैं, सभी सांसारिक विकारों और कामनाओं से मुक्त हैं। विष्णु के अवतार कृष्ण को

क्या ज़रूरत थी इस नश्वर संसार में आकर बिना बात के झंझटों में पड़ने की लेकिन क्या करें- धर्म संस्थापनाय

युगे युगे संभव होना ही पड़ता है।  


तभी पत्नी चाय ले आई। कल बेटी का जन्मदिन था सो दो प्लेटों में एक एक केक का टुकड़ा और पकौड़े भी थे। 


हमने कहा- एक ही प्लेट रहने दो।  तोताराम का तो आज मोक्षदा एकादशी का व्रत है। 


बोला- भाभी, प्लेट दे दे। मन इच्छा भोजन करके आत्मा को तृप्त करना भी एक प्रकार का मोक्ष ही है। यदि कोई

आत्मा अतृप्त होकर ऊपर जाती है तो उसकी मोक्ष नहीं होती। वह फिर जन्म लेती है और संसद और राष्ट्रपति

भवन के चारों मंडराती रहेगी और सत्ताधारियों को डराती रहेगी . 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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