Apr 30, 2022

नीयत हो तो काम की क्या कमी है


नीयत हो तो काम की क्या कमी है


भारत में हर मनुष्य एक अर्थशात्री, दार्शनिक, विचारक न जाने क्या क्या है. हो सकता है कि यहाँ के पशु-पक्षी और कीड़े-मकोड़े तक भी इसी तरह अलौकिक हों.  

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, मोदी जी पहले चार घंटे सोते थे और बीस-बीस घंटे काम किया करते थे अब महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने बताया है कि मोदी जी आजकल केवल दो घंटे सोते हैं. उनके अनुसार वे अब इससे आगे भी प्रयोग कर रहे हैं जिससे सोने की ज़रूरत ही न पड़े और वे दिन में चौबीस घंटे काम करते रहें.

बोला- तभी तो भागवत जी का १५ साल में अखंड भारत बनाने, अर्थव्यवस्था को ५ ट्रिलियन का बनाने, देश को कांग्रेस मुक्त बनाने और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का काम पूरा हो सकेगा. 

हमने कहा- लेकिन तोताराम, इस प्रकार के हठयोग के अपने खतरे भी हैं. नींद न लेने से हो सकता है कि आदमी एक ऐसी तन्द्रा जैसी स्थिति में चला जाए कि उसे बहुत सी सामान्य बातों तक पर विचार करने तक का होश न रहे. यह भी हो सकता है कि किसी दिन ऐसी नींद आ जाए कि बहुत ज़रूरी काम के समय भी जागना संभव न हो. 

बोला- लेकिन अकेले मोदी जी पर ही आ पड़ा है सारा भार. क्या-क्या करें. जनता चाहती तो सब कुछ है लेकिन सहयोग बिलकुल नहीं करती. 

हमने पूछा- बता जनता क्या करे ? बेचारी जब कहो तब ताली-थाली बजा देती है, जब कहो दीये जला देती है, हर जुलूस में अधिकाधिक संख्या में जाती है, भगवा झंडे लहराती है, जय श्री राम का जयघोष करती है, हलाल-झटका, बुरका विरोध करती है. और क्या कर, वह भी बता दे. 

बोला- सब कुछ मोदी जी ही बताएँगे क्या ? प्रज्ञा, नरसिन्हानंद यती, साक्षी महाराज, तोगड़िया, ऋतंभरा आदि भी तो उसी महान संस्कृति के उद्गाता हैं. उसी एजेंडे के अभिकर्ता हैं.

हमने पूछा- विकास के लिए उनके नीति-आयोग की क्या सिफारिशें हैं ? 

बोला- सरल-सा एजेंडा है. अधिकाधिक बच्चे पैदा करो. इससे राष्ट्र के मुस्लिम राष्ट्र बन जाने खतरा टलता रहेगा. मुसलमानों को देखो, चार-चार बीवियां रखते हैं और बच्चे पैदा करने के अलावा और क्या करते हैं.

हमने कहा- लेकिन तोताराम हमने तो यह अनुभव किया है कि रोजगार के लिए आन्दोलन-जुलूसबाज़ी करने वालों में मुसलमान सबसे कम और हिन्दू अधिक होते हैं. वयस्क होने से पहले ही उनके बच्चे कुछ न कुछ करने के लिए निकल पड़ते हैं.

बोला- काम करने की नीयत हो तो कामों की क्या कमी है. अब इससे ही समझ. सभी हिन्दू महिलाओं को नौकरियां छुड़वाकर दड़बों में बंद कर दो और साल में कम से कम एक बच्चा पैदा करो. 

हमने कहा- क्या औरतें कोई मुर्गी है जिसका काम केवल अंडे देना है ? 

बोला- यह काम मर्द तो कर नहीं सकते और जनसंख्या के बल पर ही राष्ट्र बनता है, धर्म की रक्षा होती है. 

हमने कहा- लेकिन जब लोगों के खुद के खाने का ही जुगाड़ नहीं है तो इतने बच्चों को कौन खिलाएगा ?

बोला- साध्वी ऋतंभरा ने आज ही कहा तो है चार में से दो विश्व हिन्दू परिषद् और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सौंप देना. 

हमने पूछा- देखो, जब आदमी तन-मन से राष्ट्र सेवा में लग जाता है तो फिर दो-चार और दस-बीस का ठिकाना नहीं रहता. सोच ले.

बोला- सोचना क्या है. बहुत स्कोप है. अभी तो हर मस्जिद और हर मुसलमान, हर नकली हिन्दू और हमसे असहमत हर भारतीय के घर सामने लाउड स्पीकर लगाकर, हर नमाज से १५ मिनट पहले और १५ मिनट बाद तक  फुल वोल्यूम में हनुमान चालीसा का पाठ करना है, उसकी धुन पर हाड़-तोड़ और सर-फोड़ नृत्य भी करना है. सारे देश में कांवड़, गंगाजल,एकता और भी जाने कौन कौन सी शोभा यात्राएं निकालनी हैं.अभी तो सेवकों की बहुत डिमांड है. 

तुम लोग लगो तो सही  'हिन्दू राष्ट्रीय-प्रजनन-महायज्ञ' में.   

प्रज्ञा, नरसिन्हानंद यती, साक्षी महाराज, तोगड़िया, ऋतंभरा कुछ न भी करें तो परवाह नहीं. उनका काम तो मन्त्र पढ़ना है, साँप के बिल में तो हाथ राष्ट्र-प्रेमी हिन्दू जनता को ही डालना है. उठो, जागो और जब तक पांच-सात अरब न हो जाओ तब तक सांस मत लो. 

आत्मनिर्भर भारत का मतलब इसके अतिरिक्त और क्या हो सकता है ? यदि हिन्दू नहीं जागेंगे तो बजरंग मुनि जैसों को मुस्लिम महिलाओं पर पराक्रम दिखाना पड़ेगा.



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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