Oct 10, 2022

तुझे किसने भेजा है ?


तुझे किसने भेजा है ?


दो दिन से बरसात हो रही है।  वैसे पानी मात्रा में तो अधिक नहीं गिरा लेकिन वातावरण तो ख़राब कर ही दिया जैसे निजी यू ट्यूब चैनल वाले अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए और सरकार के भक्त अखबार प्रभु-कृपा प्राप्त करने के लिए दो महिने से हल्ला मचाये हुए हैं- मोदी जी का कर्मचारियों को दीवाली का तोहफा, केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों की होने वाली है बल्ले-बल्ले, खाते में आएगी बड़ी रकम आदि-आदि। दुकानदार तो ऐसी खबरें सुनकर दाम बढ़ाकर विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार को बदनाम करने के लिए रहते ही हैं।    

फसलों को नुकसान कितना हुआ, यह मुआवजा कबाड़ने वाले छुटभैय्ये नेता जानें।  किसानों के आय-व्यय और नुकसान की खबर किसानों के हित में तीन कानून बनाने वाली और फिर वापिस लेने वाली सरकार तक काम ही पहुंचती हैं। हाँ, सेवक एक स्टेटमेंट सुनकर ही जनसँख्या का संतुलन सुधारने के लिए अपने समुदाय को हथियार उठाने का आह्वान ज़रूर कर रहे हैं।  

हम इस बेमौसम की बरसात की रात में पंखा चलकर सोने के फलस्वरूप सर्दी खाकर बरामदे की बजाय आडवाणी जी की तरह कमरे में बैठे हैं। 

तोताराम आकर जैसे ही कुर्सी पर बैठने को हुआ, हमने पूछा- तुझे किसने भेजा है ? 

बोला- भेजेगा कौन ? जैसे रोज आता हूँ वैसे ही आ गया।  

हमने कहा- हर आने वाले को कोई न कोई भेजता भी है जिसे यहां कोई न कोई रिसीव करता है। तभी तो बच्चा पैदा होने को 'डिलीवरी' कहा जाता है। तेरी भी डिलीवरी हुई थी तो ज़रूर कोई भेजने वाला अर्थात 'प्रेषक' और  अंग्रेजी में सेंडर भी तो रहा होगा ? 

बोला- मैं तो ८० साल पहले ही आगया था। आज तक तो तूने कभी नहीं पूछा। मै तो पाला बदलकर तेरी सत्ताधारी, राष्ट्रवादी पार्टी छोड़कर गया भी नहीं। अनुशासित स्वयंसेवक की तरह सब कुछ सहकर बौद्धिक करता रहा।    फिर शंका की इस 'ईडी' और 'डीएनए'  की क्या ज़रूरत आ पड़ी ? जो मुझसे प्रश्न कर रहा है कि तुझे किसने भेजा ? आज तक तो किसी बच्चे के साथ कोई ऐसा टैग लगा हुआ आया देखा नहीं कि यह पैकेट फलां-फलां ने भेजा है। वैसे यदि मेरे साथ भी आया होगा तो बताने के लिए अब बचा कौन है ?  न माँ है, न दादी, न कुंती नर्स। उस सरकारी अस्पताल की इमारत में पहले पशु चिकित्सालय खुला था और अब तहसील का कार्यालय है। 

वैसे यदि तू आस्तिक है तो मुझे उसी ने भेजा है जो सबको भेजता है।  

हमने कहा- सबको भेजने वाला एक नहीं होता।  मुसलमान को अल्लाह भेजता है, हिन्दू को भगवान भेजता है, ईसाई को गॉड भेजता है, सिक्ख को एक ओंकार भेजता है।   

हमने कहा- लेकिन कल गुजरात में केजरीवाल ने कहा है कि मुझे भगवान ने भेजा है कंस की औलादों का संहार करने के लिए।  

बोला- लेकिन कंस तो मथुरा में था। उसकी औलादें गुजरात में कैसे पहुँच गईं ? 

हमने कहा- हो सकता है कंस की सरकार गिराने के लिए कृष्ण कंस के असंतुष्ट और पद के लालची विधायकों को चार्टर्ड प्लेन से द्वारिका ले गए हों।

बोला- क्या किसी ने केजरीवाल के पैकेट के साथ 'प्रेषक' के रूप में भगवान् का टैग देखा था ? 

हमने कहा- इस देश की जनता बहुत भली और भोली है।जब मोदी जे कहा था कि मुझे माँ गंगा ने बुलाया है तब भी बनारस के लोगों ने गंगा का अथॉरिटी लेटर कहाँ देखा था। 

बोला- जैसे केजरीवाल को भगवान ने भेजा है वैसे मोदी जी को किसने भेजा ?

हमने कहा- मोदी जी ऐसे मामलों में बहुत संकोची हैं। वे केजरीवाल की तरह अपनी प्रशंसा खुद नहीं करते। उनके लिए तो वेंकैय्या नायडू जी ने कहा था कि मोदी जी राष्ट्र को ईश्वर का तोहफा हैं।  

बोला- लेकिन गुजरात में तो केजरीवाल के स्वागत में बहुत से पोस्टर लगे हैं जिनके अनुसार केजरीवाल ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण को ईश्वर नहीं मानता।  

हमने कहा- वैसे हमारे शास्त्रों में भी इन सबको शक्ति संपन्न तो माना है लेकिन इन्हें 'ईश्वर' तो कहीं नहीं कहा गया है।अन्य धर्मों में  भी गॉड या अल्लाह का कोई धार्मिक स्थान नहीं मिलता। ईश्वर, गॉड, खुदा तो सर्वशक्तिमान है जिसे किसी एक स्वरूप, विग्रह, शब्द में समेटा ही नहीं जा सकता है। वह एक ही हो सकता है। अलग-अलग धर्मों, देशों, कालों आदि में भी अलग-अलग नहीं।  

बोला- राम, कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को न मानने वाला संस्कारहीन होता है। यदि कोई व्यक्ति नास्तिक हो, ईश्वर को नहीं मानता हो तो वह देश, दुनिया और समाज के लिए हानिकारक होता है। 

हमने कहा- फिर तो भारत और नेपाल के अतिरिक्त सभी देश संकट में ही समझो।  तुझे पता होना चाहिए कि हिटलर जेब में हर समय बाइबिल रखता था लेकिन निर्दय कितना था यह सारी दुनिया जानती है। हमारे ख़याल से तो जो जितना बुरा होता है उसे खुद को भला दिखाने का उतना ही अधिक और झूठा नाटक करना पड़ता है।वैसे कोई माला, तिलक, छाप करते हुए भी तो अंदर से लम्पट हो सकता है। ऐसे में किसे ईश्वर ने भेजा है, कौन संस्कारवान है; कौन गरबा में अवैध रूप से घुस आया; कैसे पहचाना जाए ?

बोला-  ईवीएम का बटन ज़ोर से दबाने से जिसे करंट लगता हो वह संस्कारहीन होता है। संस्कारवान को उसके कपड़ों से पहचाना जा सकता है। देखा नहीं, गुजरात में पोस्टरों में केजरीवाल कैसी टोपी पहने हुए हैं ? 

हमने कहा- यदि गोडसे ऐसा कहता कि मुझे गाँधी की हत्या करने के लिए ईश्वर ने भेजा है, तो ?

बोला- देश में जैसे हालात और हवा चल रहे हैं उन्हें देखते हुए यह असंभव भी नहीं लगता ?

हमने कहा- और इस ड्रामेबाजी में कबीर, नानक, गाँधी, भगत सिंह और अम्बेडकर कहाँ फिट होंगे ? 

बोला- अब भी ये सब कौन से फिट हैं ? सब मिसफिट हैं। कुछ दिनों की बात है।  सब 'आउट ऑफ़ कोर्स'  जाएंगे। 


  


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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