Oct 7, 2022

तोताराम का अद्भुत अपूर्व स्वप्न

तोताराम का अद्भुत अपूर्व स्वप्न 


आज भी तोताराम समय से कुछ पहले ही आगया जैसे कि उत्कंठिता नायिका समय से बहुत पहले ही बार-बार छत पर जाकर नायक का रास्ता देख-देख आती है. या जैसे सच्चा भक्त दिन के ग्यारह की बजाय दस बजे ही से   'मन की बात'  सुनने के लिए रेडियो से कान चिपका देता है. 

हमने छेड़ा- तोताराम, हमने तेरी चाय को जी एस टी और गैस की मूल्य वृद्धि की तरह अपरिहार्य मान लिया है. जब भी आएगा मिल जायेगी. लेकिन चाय के लिए इतनी उतावली और वह भी अस्सी साल की इस उम्र में. शोभा नहीं देती. 

बोला- और तू तो इस उम्र में जैसे बहुत ही परिपक्वता का परिचय दे रहा है. यहाँ तो जब से देखा है, रोमांच के मारे रात तीन बजे से नींद नहीं आ रही है.  तुझे बताने के लिए बड़ी मुश्किल से करवटें बदल बदलकर किसी तरह साढ़े पांच बजाये हैं. याद करते ही रोमांच हो आता है. रोम रोम में झुरझुरी होने लगाती है. एक भावावेश सा छा जाता है. 

हमने पूछा- ऐसा क्या दुस्वप्न देख लिया ?

बोला- दुस्वप्न नहीं, साक्षात शिवलिंग. ज्ञानवापी के फव्वारे जैसे लगने वाले नहीं बल्कि बिलकुल उज्जैन और काशी वाले जैसे. 

हमने कहा- पहले भी तू व्हाईट हाउस के नीचे राममंदिर का नाटक लाया था. 

बोला- वह भी नाटक नहीं था . तर्क पर आधारित निष्कर्ष था. जब हनुमान का पुत्र पाताल (अमरीका) का राजा बना था तो अमरीका में राम मंदिर न होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. लेकिन आज तो साक्षात् देखा है. 

हमने कहा- कभी कभी जब मन में कोई बात गहरे पैठ जाती है तो फिर आदमी को एक प्रकार  का दृष्टि-भ्रम भी हो जाता है. उसी स्थिति के लिए कहा गया- सावन के अंधे हो हरा ही हरा. अमरीका में आज से कोई तीसेक साल पहले भी भारत के कुछ शिव भक्तों ने एक रोड़ ब्लोकर को शिव लिंग समझ लिया था. वे वहाँ पूजा पाठ करने लगे और 'मंदिर वहीं बनायेंगे' की तर्ज़ पर मंदिर बनाने का आग्रह करने लगे लेकिन वहाँ के प्रशासन ने उस रोड़ ब्लोकर को वहाँ से हटवा दिया. और काम ख़त्म. 

बोला- आज का अखबार देख. गोवर्धन पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है- हमारी दृष्टि केवल मथुरा, काशी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मक्का के मक्केश्वर महादेव तक है. इसका मतलब उन्होंने भी देखा है. तभी कहा है- 

जा की रही भावना जैसी , प्रभु मूरत देखी तिन तैसी. 

हमने कहा- वे विद्वान नहीं, आचार्य हैं, उनके नाम के साथ शंकर भी जुड़ा हुआ है. और उनका नाम है निश्चल आनंद . अपने मत और निर्णय पर निश्चल रहने वाले. तेरी तरह अनुमान से नहीं फेंकते या वैसे ही ऊलजलूल सपने नहीं देखते. उन्होंने साफ़ कहा है- कोरोना काल में नौ महीने रिसर्च की है. 

नौ महिने में, कहीं कोई अस्तित्व न हो तो भी एक जीता जागता मनुष्य पैदा हो जाता है. तब तो मक्का में मक्केस्वर महादेव की बात का आधार बनता है. 

बोला- तो फिर अमरीका में क्यों नहीं. वहाँ तो रावण के वंशजों का राज था. वे सभी शिव भक्त थे. और फिर राम भी तो शिव भक्त थे, पक्के शिवभक्त. तभी कहा था-

शिव द्रोही मम दास कहावा 

यह मत मोहि सपनेहुँ नहिं भावा. 

और फिर हनुमान को तो शंकर सुवन कहा गया है तो अमरीका में 'अमरीकेश्वर महादेव' के होने में कोई संदेह ही नहीं है. 

और आगे पढ़, शंकराचार्य जी का इसी के साथ एक और स्टेटमेंट भी पढ़. वे कहते हैं भारत के हिन्दू राष्ट्र घोषित होते ही और १५ देश अपने आपको हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देंगे.  दुनिया के २०४ देशों में से ५३ देशों में हिन्दू रहते हैं.

हमने कहा- अरब देशों में तो एक करोड़ के लगभग भारतीय रहते हैं. अमरीका में ही ४० लाख भारतीय रहते हैं. वहाँ वे बहुत प्रभावशाली हैं. कल को कमला राष्ट्रपति भी बन सकती है. फिर तो अमरीका के हिन्दू राष्ट्र बन जाने में कोई संदेह ही नहीं. 

बोला- और क्या ? तब मेडिसन स्क्वायर और व्हाईट हाउस सभी जगह शिवलिंग ही शिवलिंग. 

हमने कहा- तोताराम, कल्पना कर, तब क्या दृश्य होगा जब लाखों कांवड़िये 'अमरीकेश्वर महादेव' से कांवड़ लाने के लिए बम बम बोलते हुए अमरीका पहुँच जायेंगे. अमरीका का पुलिस कमिश्नर हेलिकोप्टर से शिव भक्तों पर पुष्प वर्षा कर रहा होगा. लौटते समय मक्का में वहाँ के बड़े-बड़े लोग थके हुए कांवड़ियों की चरण सेवा कर रहे होंगे. 

अमरीका से अफगानिस्तान तक के रास्ते जाम हो जायेंगे शिव भक्तों की रेलमपेल से.  

बोला- मास्टर, यह स्वप्न और कल्पना नहीं है, शीघ्र ही साकार होने वाली एक हकीकत है. 

हमने कहा- तोताराम, हम तो तेरा मन रखने के लिए हाँ में हाँ मिला रहे थे. इन शंकराचार्य ने एक बार पहले भी  बहुत ऊंची फेंकी थी. कहा था-  चंद्रयान-२ में आ रही दिक्कतों को लेकर वैज्ञानिक उनके पास आये थे और उन्होंने वैदिक गणित से उनका समाधान किया था.  

जबकि सचाई यह है कि कोई वैज्ञानिक उनके पास नहीं आया था.  




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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