Oct 29, 2022

वही दाम : वही स्वाद, बस .......

वही दाम : वही स्वाद,  बस .......  


आज जैसे ही तोताराम आया, हमने उसे चाय का गिलास थमाते हुए कहा- पिओ, वही दाम, वही स्वाद। 

बोला- लेकिन इस स्वाद का क्या चाटूँ। ज़रा सा स्वाद अनुभव होना शुरू हुआ नहीं कि चाय ख़त्म।  इससे तो अच्छा है चाय पी ही नहीं जाए।  तनिक से ईंधन से अग्नि शांत नहीं होती, भड़कती है। मैं अनुभव कर रहा हूँ कि दिन पर दिन गिलास में चाय की मात्रा कम होती जा रही है।  

हमने कहा- लेकिन वही स्वाद, वही दाम।  मात्रा का क्या है ? चाय कोई पेट भरने के लिए थोड़े होती है वह तो एक प्रकार का सम्मान, एक प्रकार का कर्मकांड, एक बहाना, एक टाइम पास होता है। खैनी खाने या बीड़ी पीने से कोई ताकत आती है ? बस, तनिक सुस्ताने का एक बहाना होता है। 

बोला- मैं तो सामान्य आदमी हूँ। मेरे लिए तो यही मिठाई है, यही ऊर्जा का स्रोत है।  मात्रा इतनी तो कम मत कर कि ओंठ और गले के बीच ही समाप्त हो जाए। अपने गंतव्य आँतों तक ही न पहुंचे।  

हमने कहा- हर भोजन-पानी का गंतव्य आंतें नहीं गटर होता है।  मोरिंगा के परांठे और ४० हजार रुपए किलो के मशरूम सब अंततः गटर में ही जानें हैं। हमारे पास कौन सरकार की तरह मुफ्त अनाज बांटने नाम पर गैस और पेट्रोल के काम बढ़ाने का बहाना है या कौन रोटी-प्याज तक पर जीएसटी लगाने का अधिकार है। अब यदि तुझे वही मात्रा चाहिए तो फिर चाय बिना दूध और चीनी की बनेगी।  

बोला- बिना दूध और चीनी की चाय तो केवल जुमले फेंकने और आस्था का खेल खेलने वाली सरकार या बिना स्तनों की युवती की तरह होती है। 

हमने कहा- वैसे सुबह-सुबह गरम पानी पीना चाय पीने से अधिक स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।  मोदी जी के स्वास्थ्य का रहस्य मोरिंगा के परांठे नहीं, गरम पानी है।  

बोला- तू तो बिस्किट, साबुन वालों की तरह करने लग गया है।  आजकल बिस्किट के पैकेट और साबुन के दाम अधिक नहीं बढ़े हैं बस, उनका वजन काम कर दिया जा रहा है।  

हमने कहा- यह तकनीक कोई नई नहीं है।  हम तो १९७१ से १९७७ तक के अपने गुजरात प्रवास से ही इसे जानते हैं. आज जब तूने पूछा तो बता रहे हैं कि वहाँ हम देवजी भाई भरवाड़ नाम के एक व्यक्ति से दूध लिया करते थे। उसी दौरान बांग्लादेश बना। भारत के उसमें शामिल होने से तथा उसके बाद अकाल पड़ने से महंगाई बढ़ी। यहां तक कि लिफाफों तक पर 'सेस' के नाम से कोई पांच पैसे का अतिरिक्त टिकट लगाया जाता था।  गुजरात सरकार भी हमसे दारूबन्दी के नाम पर १० रुपया महिना वसूलती थी। लेकिन देवजी भाई ने अपने दूध के दाम कभी नहीं बढाए। हाँ,पानी की मात्रा ज़रूर महंगाई के अनुपात में बढ़ती गई।  ईमानदारी की बात यह कि देवजी भाई ने कभी झूठ भी नहीं बोला। साफ़ कहते थे- साहेब, भले ही सरकार कितने भी दाम बढ़ा दे लेकिन देवजी आपका बजट नहीं बिगाड़ेगा। 

बोला- कोई बात नहीं। गरम पानी पिलायेगा तो वह भी भगवान की कृपा मानकर पी लूँगा। दान की बछिया के दांत नहीं देखे जाते। 

हमने कहा-  केजरीवाल ने गुजरात में घोषणा कर दी है कि गाय पालने पर प्रति गाय, प्रति दिन ४० रुपए  दिए जाएंगे। ऐसे में अगर सेटिंग हो तो बछिया के दांत ही क्या, कोई बछिया भी नहीं देखेगा बस, केवल कागज देखे जाएंगे।  

बोला- यह बात अलग है कि फिर २०२७ में 'गौ ग्रांट घोटाले' सामने आएंगे।  




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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