Oct 13, 2022

अब क्या किसी की जान लेगा

अब क्या किसी की जान लेगा 


आज तोताराम ने आते ही बधाई दी। 

बधाई हो भाई साहब, बिना कुछ किये धरे, बिना आंदोलन-धरने-धमकी के हो गई बल्ले-बल्ले; ऐसे जैसे निर्देशक मंडल में बैठे-बैठे आडवाणी जी पर राष्ट्रपति या भारतरत्न का छींका टूट पड़े।  

हमने कहा- मोदी जी केजरीवाल की तरह नहीं हैं जो बिना कुछ करे धरे रेवड़ियां बाँट कर जनता की आदतें खराब करें। रेवड़ियां तो अंधा बांटता है। मोदी जी तो दो आखों से ही सहस्रनेत्र हैं। हालांकि नाम अब्दुल नहीं है लेकिन सबकी खबर रखते हैं। वे खुद मेहनत में विश्वास करते हैं, ८ घंटे की जगह उसी वेतन में, बिना किसी ओवर टाइम के २४-२४ घंटे काम करते हैं। उनके रहते कोई मुफ्त का नहीं खा सकता।  उन्होंने तो शुरू में ही कह दिया था- न खाऊँगा, न खाने दूँगा।इसलिए बिना किये धरे वे किसी को कुछ देने वाले नहीं हैं।  मेहनत की कमाई भी बहुत रगड़-रगड़ कर देते हैं जिससे लेने वाले को अपने श्रम की सार्थकता भली भांति अनुभव हो जाए।  

पता नहीं, बहुप्रचारित डीए कब आएगा। बनियों ने तो अखबार देख-देखकर ही दाम बढ़ा दिए हैं।  १८ महिने  के एरियर का तो कहीं दूर दूर तक पता नहीं है।  

बोला- आ जाएगा, डीए  भी आजायेगा। एरियर भी आ जायेगा। सबर कर।  अभी ८० का होने पर २०% बेसिक भी तो बढ़ गई होगी।  उससे पेट नहीं भरा क्या ?

हमने कहा- सर्विस रिकार्ड के अनुसार ५ जुलाई को ८० साल के हो गए हैं और आज २ अक्टूबर है।  २०% बेसिक तो बढ़कर कब की आ जानी चाहिए थी ।  कल ही बैंक जाकर पूछ कर आये थे लेकिन- इल्ले। गुजराती  में  नथी ? 

बोला- अच्छा है, एक साथ आएगी तो कोई बड़ा काम सरेगा।  

हमने कहा- लेकिन यह तो सिस्टम में फीड है। जब एक दिन के लेट पेमेंट पर पेनल्टी अपने आप जुड़ जाती है तो देने वाला काम ऑटोमेटिक क्यों नहीं होता ? देते समय अर्थव्यवस्था डिजिटल नहीं रहती क्या ? 

बोला- वैसे मोदी जी ने कल ५ जी का उदघाटन करते हुए ४००० रूपए महिने की बचत का गणित समझा तो दिया था।

हमने कहा- हाथ में तो कुछ आना नहीं।  बस, गणित समझते-समझाते रहो। फिर भी क्या गणित समझाया है, सुनें तो।  

बोला- उन्होंने कहा है-डेटा के माध्यम से अब आम आदमी चार हजार रुपये महीना बचा रहा है। पहले एक जीबी डेटा 300 रुपये में मिलता था, लेकिन आज यह दस रुपये में है। उन्होंने बताया, औसतन एक आदमी महिने में 14 जीबी डेटा खर्च करता है। इससे उसकी लागत 4200 रुपये महीना आती, लेकिन अब यह 150 रुपये से भी कम में मिल रहा है। यानी आदमी अब 4000 रुपये महीना बचा रहा है। 

तू तो कम से कम ५० जीबी डेटा यूज करता होगा तो तेरी तो बचत १०-१२ हजार रुपया महिना हो गई कि नहीं ?  

इतना तो कर दिया। अब क्या किसी की जान ही लेगा !

हमने कहा- यह ग़ालिब वाली बात है- यूं होता तो क्या होता-----? इस हिसाब से तो १५-२० साल पहले बच्चों से फोन पर अमरीका बात किया करते थे तो एक मिनट के ७२ रुपए लगा करते थे लेकिन अब मोदी जी की कृपा से वाट्स ऐप पर घंटों बात कर लो तो भी कोई ख़ास खर्च नहीं आता।  इस गणित के हिसाब से तो महीने की ४००० रुपए ही नहीं, लाखों की बचत हो सकती है।  

बोला- सोच का फ़र्क़ है। जिसको खुश होना ही नहीं तो उसका कोई क्या करे। पहले किसी को व्यक्तिगत रूप से खैर-खबर लेने के लिए भेजा जाता तो सोच कितना महंगा पड़ता होगा । कोई सेठ-साहूकार, राजा-महाराजा ही अफोर्ड कर सकते थे। अब रुपए-आठ आने में काम हो जाता है। 

जब तक २०% बेसिक और ४% डीए और १८ महीने का एरियर नहीं आता तब तक इस गणित से ही मन बहला।  

दिल के बहलाने को मास्टर यह  ख़याल अच्छा है कि नहीं ? 

हमने कहा- तोताराम, ५ जी वाले उद्घाटन समारोह में मोदी जी मोटा काला चश्मा लगा रखा है। 

कहीं मोतियाबिंद का ऑपरेशन तो नहीं करवाया है ? 

बोला- नहीं,  वे बहुत संयमी और अनुशासित व्यक्ति हैं।  उनकी आँखें तो अब भी अनादि और अनंत भूत-भविष्य को बिना किसी दूरबीन के देख सकती हैं। कोई सामान्य आदमी की आँखें थोड़े ही हैं जिनसे उसे आसपास घूमते-फिरते अच्छे दिन भी दिखाई नहीं देते। 

यह तो विशेष दृष्टि प्रदान करने वाला विशेष प्रकार का चश्मा है जो ५ जी की मदद से 'आभासी' को भी 'वास्तविक' जैसा दिखाता है।  यह अभी बड़े और ख़ास लोगों के लिए ही है।  बाद में अआधार कार्ड की तरह सबके लिए ज़रूरी कर दिया जाएगा जिससे सब आभासी विकास का वस्तविक  आनंद  ले सकें।    

तेरी तरह थोड़े ही हैं जिससे अपना एक 'जी' ही नहीं सँभल रहा है। जिसे 'वास्तविक' भी 'आभासी' जैसा नज़र आता है।  


  







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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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