आत्मनिर्भरता का पहला पाठ
आजकल लोग अपनी और अपने मन की बात नहीं करते बल्कि दूसरों के मन की बातें इधर-उधर फेंकते रहते हैं । इनमें न तो फेंकने वाले का ध्यान होता है और न ही ज्ञान । अगर आपने सहानुभूति प्राप्त करने की आशा से किसी को मेसेज किया कि मुझे आज लूज मोशन हो रहे हैं तो उत्तर आ सकता है- वंडरफुल ।अब बताइए इसमें क्या वंडरफुल है ।किसी को भी हो सकती है यह व्याधि । किसी को अधिक मात्रा में पौष्टिक पदार्थ खाने से तो किसी निर्धन को भूखे पेट ज्यादा पानी पी लेने से । हम तो साधारण आदमी हैं भगवान बुद्ध को भी कहते हैं अंत काल में पेचिश हो गई थी जिसमें बार बार जाना पड़े और उपलब्धि लगभग शून्य । निष्कासित पदार्थ की मात्रा की अधिकता की अपेक्षा बार बार शौचालय जाने आने में शक्ति के अपव्यय से घुटने टूट जाते हैं ।
हम पतले दस्त को ‘लूज मोशन’ लिख रहे हैं क्योंकि लेखन में अश्लील को श्लील बनाने के लिए या तो संस्कृत के शुद्ध शब्द चाहियें या फिर अंग्रेजी के । जनता की बोली में बोलने से भाषा गंदी हो जाति है । बेचारे नीतीश कुमार को विधान सभा में ऐसे ही जनसंख्या वृद्धि के बारे में जनभाषा बोलने के कारण सांस्कृतिक पार्टी के द्वारा ट्रोल होना पड़ा । पीछा छुड़ाने के लिए अंत में पार्टी ही बदलनी पड़ी ।
हमें कल किसी ने संसद में अपनी नाक में अंगुली डालकर सफाई करते हुए गृहमंत्री अमित शाह जी की एक छोटी सी क्लिप फॉरवर्ड कर दी ।
चूंकि आजकल भारत में राष्ट्रभक्ति, धर्म, संस्कृति, हिन्दुत्व, चाल, चेहरा और चरित्र का वाइरल बुखार फैला हुआ है इसलिए हमने इसे गंभीरता से लिया और आते ही तोताराम को वीडियो दिखाकर पूछा- यह क्या है ?
बोला- क्यों ? तुझे साफ दिखाई नहीं देता ? अभी तो मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने वाले डाक्टर को पूरा भुगतान भी नहीं किया है । चलते हैं, अभी तो लेंस का गारंटी पीरियड चल रहा होगा ।
हमने कहा- शिक्षा, चिकित्सा, न्याय और सेवा में कोई गारंटी नहीं होती । अगर विद्यार्थी फेल हो जाए, मरीज मर जाए, आप केस हार जाएँ, बैंक में 15 लाख रुपए और अच्छे दिन कभी न आयें तो भी आप स्कूल, डाक्टर, वकील और प्रधानमंत्री के खिलाफ कहीं फ़रियाद नहीं कर सकते, किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं । तो जिसने आँखों का ऑपरेशन किया था वही हमें कौन रसीद देने वाला है । वैसे हमें देखने में कोई समस्या नहीं है ।
बोला- तो फिर इसमें क्या यशोदा की तरह बालकृष्ण में मुँह में ब्रह्मांड देखना है या चंपत राय की तरह मोदी जी में विष्णु के दर्शन करने हैं । ये भारत के गृहमंत्री, देश के चाणक्य श्री अमित शाह हैं ।
हमने फिर पूछा- लेकिन कर क्या रहे हैं ?
बोला- अपनी नाक में अंगुली कर रहे हैं ।
हमने कहा- तो क्या यह अच्छी बात है ?
बोला- बुरी बात भी क्या है ? अपनी नाक में अंगुली कर रहे हैं । वे गृहमंत्री हैं वे देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए चाहें तो किसी और को भी अंगुली कर सकते हैं । और फिर अंगुली करने क्या पाकिस्तान जाएंगे ? मुसलमानों की बात और है वे हिजाब पहनने, मांस खाने, मस्जिद बनाने, नमाज पढ़ने के लिए पाकिस्तान जा सकते हैं । दुनिया में 50 से ज्यादा मुस्लिम देश हैं वहाँ जा सकते हैं । लेकिन एक हिन्दू के लिए कोई विकल्प नहीं है । उसके लिए तो जीना यहाँ, मरना यहाँ , इसके सिवा जाना कहाँ ।
हमने कहा- लेकिन अजीब नहीं लगता ?
बोला- तो क्या संसद में राष्ट्रहित में चल रही महत्वपूर्ण चर्चा को छोड़कर इस जरा से काम के लिए बाहर चले जाएँ ? या यह काम किसी और से करवाएं ? अगर किसी और से यह काम करवाएं तो भी तुम लोग यही कहोगे कि जो व्यक्ति अपनी नाक खोदने तक में स्वावलंबी नहीं है वह ‘आत्मनिर्भर भारत’ कैसे बनाएगा ? लेकिन तुझे पता होना चाहिए कि खुदाई से ही सभी आवश्यक और मूल्यवान पदार्थ प्राप्त होते हैं । गहरे कुएं में पानी मीठा होता है । कोयले और ग्रेफ़ाइट के बाद गहरी खुदाई में ही हीरा मिलता है। अगर खुदाई नहीं होती तो हड़प्पा की सभ्यता का कैसे पता चलता ? उसीसे तो पता चला कि वहाँ के बड़े लोग मोदी जी जैसी दाढ़ी रखते थे । और उस समय के लोग मोदी जी की तरह शौचालय का महत्व भी समझते थे ।
हमने कहा- हाँ, यह तो ठीक है कि नाक खोदने, कान कुचरने और खुजाने का काम किसी और से करवाना न तो अच्छा लगता और न ही सुरक्षित होता । किसी और को पता भी कैसे लग सकता है कि वास्तव में कष्ट या आनंद का बिन्दु कहाँ है ? यह तो खुद को ही पता होता है ।हो सकता है कि कोई और कान को ज्यादा कुचर कर आपको बहरा बना दे या खाज आ रही हो कहीं और, और खुजाने वाला अति उत्साह में खुजा खुजाकर खून कहीं और निकाल दे । कभी कान में खुजाते या नाक की खुदाई में मगन व्यक्ति को ध्यान से देखेगा तो पता चलेगा कि ब्रह्मानन्द की स्थिति इससे भिन्न नहीं हो सकती , दीन-दुनिया से बेखबर, तल्लीन, समाधिस्थ ।
बोला- और तुझे यह भी पता होना चाहिए कि धर्म की रक्षा और पुनरुद्धार के लिए भी खुदाई बहुत जरूरी है । बिना खुदाई के कैसे पता चलेगा कि किस मस्जिद के नीचे किस मंदिर के अवशेष गड़े पड़े हैं ?
हो के मायूस न उखाड़ो आँगन से पौधे
धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी
इसलिए
खोदता रह नाक के कीचड़ को गहरे और गहरे
निकला है जो कीचड़ तो मोती भी यहीं पर होगा
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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