Feb 7, 2024

चीन से मुकाबला


चीन से  मुकाबला 


कहते हैं- कमजोर गुस्सा ज्यादा । अगर 56 इंच का सीना होता तो शायद गुस्सा नहीं आता । लेकिन आज क्रोधित तोताराम का 28 इंची सीना उच्छ्वास के कारण ऊपर नीचे होता साफ दिखाई दे रहा था । 

हमने कहा- वत्स, शांत । तुम्हारे क्रोध करने से देखो भयभीत होकर यह पृथ्वी किस प्रकार कंपायमान हो रही है, लगता है जैसे 7 डिग्री तीव्रता का भूकंप आ गया हो । 

बोला- मज़ाक मत कर । हर वक्त का मजाक अच्छा नहीं होता । अस्सी साल से ऊपर हो गया लेकिन बचकानापन नहीं गया । मैं वास्तव में क्रोधित हूँ । लगता है अभी सीमा पर जाकर लाल आँखें और अपना 28 इंची  दिखाकर  चीन की हालत खस्ता कर दूँ लेकिन क्या करूँ एक तो ठंड बहुत है दूसरे 'माणा' तक जाने का कोई साधन नहीं है । 

अब हमें लगा तोताराम वास्तव में क्रोधित है । कहा- जब देश का रक्षामंत्री ही कुछ नहीं बोल रहा है तो तुझे क्या पड़ी है । और फिर अपन तो चीन की सीमा से बहुत दूर हैं । उत्तरप्रदेश की तरफ से आएगा तो योगी जी अपने बुलडोज़र से निबट लेंगे । और अगर उत्तराखंड की ओर से घुसेगा तो धामी जी कोई न कोई धमाका कर देंगे ।और कुछ नहीं तो कॉमन सिविल कोड से ही डरा देंगे ।  

बोला-  जब रेलमंत्री को किसी ट्रेन को झंडी दिखाने तक का पावर नहीं है तो रक्षा के लिए रक्षामंत्री से क्या कहना । करना तो मोदी जी को ही चाहिए लेकिन उन्हें राम मंदिर, चुनाव, दुनिया की नेतागीरी करने से ही फुरसत नहीं है । चीन की हिम्मत तो देखो । सीधा सीकर में घुस आया । 

हमने कहा- तोताराम तू क्या कह रहा है ? चीन सीकर में घुस आया और हमें पता ही नहीं । किधर से आ घुसा  ? दिल्ली की तरफ से या जयपुर रोड़ की तरफ से ? क्या किया जाए ? आजकल बेचारे स्वयंसेवक भी अक्षत बांटने, रामजी के स्वागत और जमीन के नीचे त्रिशूल, चक्र, स्वस्तिक आदि ढूँढने में व्यस्त हैं नहीं तो वे अपने सुंदरकांड और हनुमान चालीसा से ही मुकाबला कर लेते । डी जे पर फुल वॉल्यूम में ऐसा शोर मचाते कि चीन की  हालत खराब हो जाती । ऐसी लाठी भाँजते कि मिसाइल तक बेअसर हो जाते ।  

बोला- घबरा मत । सेना लेकर नहीं बल्कि आकाश मार्ग से अपने मंजे से आक्रमण हुआ है । हर मकर संक्रांति पर देश में मंजे से घायल होने और मरने वालों  की संख्या सैंकड़ों में होती है । पहले-पीछे बात तो सब करते हैं। एक दो चरखी जब्त भी की जाती है फिर अखबारों में मोदी, योगी या राम की पतंगों के समाचार आने लगते हैं । पतंग पटाखे बंद करने की बात की जाती है तो धर्म खतरे में पड़ जाता है । 

हमने कहा- क्या चीन जबरदस्ती मंजे की चरखियाँ फेंक जाता है ? बाकायदा चीन से आयात किया जाता है । माँजा  ही क्या जाने क्या-क्या आयात किया जाता है । तुम चार रुपए का आयात करते हो तो बमुश्किल एक रुपए का निर्यात करते हो । 

बोला- क्या करें ? यदि आयात न करें तो वह फिर किसी किसी बहाने छेड़खानी करेगा ।  

हमने कहा- आयात करते-करते भी उसने मेजर शैतान सिंह के स्मारक पर कब्ज़ा कर लिया है । लेकिन मंजे के आयात के लिए तुम्हें कौन मजबूर कर सकता है । धर्म संस्कृति की आड़ में हर चीज का धंधा करने वाले व्यापारी मजबूर करते हैं । जब भी पटाखों पर प्रतिबंध की बात आती है तो ये ही हिन्दू धर्म को खतरा बताकर हाल मचाते हैं ।

जब कल्याण और नैतिकता को व्यापारियों के हवाले करोगे तो यही होगा । इन्हें केवल और केवल नोट चाहियें । भारत दुनिया में बीफ का निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में से एक है और उन सभी बूचड़खानों के मालिक हिन्दू हैं । हो सकता है उन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदकर संस्कारी पार्टी को खरीद लिया हो । 

वैसे धैर्य रखो मोदी जी कुछ दिनों पहले चीनी सीमा के सबसे निकट के चमोली जिले के गाँव  'माणा' में हो आए हैं । पहले तो दिल्ली में बैठकर लाल आँख दिखाई थी। शायद इतनी दूर से चीन को दिखाई नहीं दी । लेकिन अब नजदीक से अच्छी तरह से आँख दिखा आए हैं। कुछ न कुछ असर जरूर होगा । 

बोला- मास्टर, क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि हम लोग यहीं से लाउड स्पीकर का मुँह चीन की तरफ करके अखंड कीर्तन शुरू कर दें । चीन भाग जाए तो ठीक न भागे तो भी यहाँ अपने संस्कारी और धार्मिक हिन्दू होने की इमेज तो बनेगी । तुझे पता होना चाहिए अब भविष्य इसी इमेज का लगता है । क्या पता, इसी के चलते तुझे पद्मश्री मिल जाए । 

हमने कहा- लेकिन तुझे पता होना चाहिए इस शोर से चीन का तो कुछ बिगड़ेगा तब बिगड़ेगा लेकिन उससे पहले हमारे कान जरूर फूट जाएंगे । दुनिया में संस्कृति और धर्म के आडंबर के रूप में लाउडस्पीकर का उपयोग करने में हमारा नंबर पहला है ।  

तू तो शांति से चाय पी । चिंता मत कर । इस समय हम कबूतर उड़ाने वाले नहीं, चीता छोड़ने वाले बन गए हैं । दुनिया में डंका बज रहा है ।  

बोला- तभी तक जब तक हम उनका माल खरीद रहे हैं । यह डंका नहीं एक प्रकार की 'चौथ वसूली' है । 

हमने कहा- फिर भी हम मारते जरूर हैं , सर्दी में घर में घुसकर, घर में रजाई में घुसकर और गरमी में बरामदे में बैठकर । 

बोला- यह क्या अजीब स्टेटमेंट हैं ?

हमने कहा- यही कि हम मारते हैं हमेशा । पेट भरा हो तो डींग और खाली हाथ और खाली पेट  हों तो मक्खियाँ ।  



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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