Feb 16, 2024

पहले डंका, अब परचम

पहले डंका, अब परचम 


हमारा घर धार्मिक रूप से बहुत सट्रेजेटिक पॉइंट पर है । दक्षिण में जयपुर रोड़ जहां एक हनुमान और शिव मंदिर है, थोड़ा और दक्षिण में चलें तो इंडस्ट्रियल एरिया की मस्जिद और मंदिर भी हैं । पश्चिम में मंडी के मंदिर-मस्जिद और पूर्व में एक भक्त द्वारा बनवाया गया निजी मंदिर । चारों तरफ सूर्योदय से पहले ही परलोक सुधारने वाली पुण्य ध्वनियाँ मिलकर एक ऐसा कोलाज रचती हैं कि कुछ समझ में नहीं आता । 

वैसे भी धर्म समझने की कम और  अंधानुकरण की चीज अधिक है ।  

इन सब के बीच एक पतली सी आवाज सुनाई दी जैसे किसी कव्वाली में कोई एक अलग सा आलाप । 

लगता है तोताराम आ गया । 

 अंदर घुसते हो बोला- चल, छत पर चलते हैं । 

हमने पूछा- क्यों ? हम कोई इमाम हैं जो देखकर बताएंगे कि ईद का चाँद दिखाई दिया या नहीं । क्या किसी का करवा चौथा का व्रत खुलवाने की उतावली में सबसे पहले चाँद दिख जाने की सूचना देनी है । 

बोला- जब मोदी जी ने दीये जलाने, थाली बजाने का आदेश दिया था तब तो नहीं पूछा कि यह अवैज्ञानिक नाटक क्यों करें । ठीक है मैं प्रधान सेवक नहीं हूँ लेकिन मोदी जी से साढ़े सात साल बड़ा हूँ । महान हिन्दू संस्कृति का उत्तराधिकारी संस्कारी ब्राह्मण हूँ । ऐसे ही कोई बकवास थोड़े कर रहा हूँ । 

अब हम कोई बात बढ़ाए बिना तोताराम के साथ छत पर चले गए । तोताराम ने  मंडी की दीवार के पार इशारा करते हुए पूछा- इधर कौनसी दिशा है ?

हमने कहा- पश्चिम । 

तोताराम ने फिर पूछा- क्या दिखाई दे रहा है ?

हमने कहा- सब कुछ दिखाई दे रहा है , इजराइली बबूल, पॉलिथीन की थैलियाँ, सड़ती सब्जियां, ओने-कोने गर्दन झुकाए खुले में शौच करते लोग और शीतल-मंद-सुगंध पवन जहँ बैठे हैं सब्जी वाले । 

बोला- और उस दुकान की छत पर ?

हमने कहा- एक भगवा झण्डा । 

बोला- गुड । तेरी दृष्टि इस बुढ़ापे में भी ठीक है । और अब ध्यान से सुनकर बात क्या सुनाई दे रहा है ?  

हमने कहा- दलालों की आवाजें सुनाई दे रही हैं- पैंसठ रूपिया, सत्तर रुपिया , सत्तर रुपिया , एक दो तीन । और मंडी के मस्जिद मंदिर से उठता  अजान, भजन आरती और नगाड़ों का मिला जुला शोर जिसमें कुछ समझ नहीं आ रहा है । 

बोला- ठीक है । अब सुन, इसी दिशा में मक्का-मदीना और आबूधाबी हैं । मुसलमान इसी दिशा की ओर मुँह करके नमाज पढ़ते हैं । ये जो नगाड़े की आवाज है वह मोदी जी का डंका बज रहा है और यह जो भगवा झण्डा देख रहा है वह हिन्दू परचम है । हिंदुओं के लिए दोहरी खुशी का अवसर है । अयोध्या के बाद अब एक मुस्लिम देश में मंदिर का उद्घाटन । 

हमने कहा- तोताराम, अपनी भाषा और उसका स्वर ठीक कर । यह कोई इस्लाम को पराजित करके हिन्दू धर्म की ध्वजा लहराने जैसा मामला नहीं है । और न ही अयोध्या जैसा विवादास्पद । तू ये सब हिन्दू-मुस्लिम घृणा फैलाने वाले गोदी मीडिया की हैड लाइनें पढ़ रहा है ।ऐसा लिखने , बोलने और फैलाने वाले बहुत घटिया और खतरनाक लोग हैं । ऐसे लोग इस देश की हजारों साल से चली आ रही सद्भावना को बिगाड़कर चुनाव जीतना चाहते हैं । उन्हें पता नहीं चुनाव जीतने से बड़ी बात है देश की सुख-शांति । एक बार दिलों में घृणा भर जाने के बाद उसे निकालना सदियों तक संभव नहीं होता । नहीं रोका गया तो जो काम अंग्रेज नहीं कर सके वह ये टुच्चे और कमीने लोग कर देंगे । 

तुझे पता होना चाहिए यह मंदिर कोई मस्जिद ढहाकर, किसी को पराजित करके नहीं बनाया जा रहा है । इसके लिए वहाँ के राष्ट्रपति ने यह जमीन खुशी से धर्मिक सद्भाव के तहत  ‘सूरज के चमकने तक के लिए’ दान में दी है । इसका डिजाइन एक ईसाई ने तैयार किया है ।   

इस भाव और अवसर की पवित्रता को छोटा मत कर । नेता आते-जाते रहेंगे लेकिन इंसानी सद्भाव की यह मिसाल हजारों साल सलामत रहेगी । 

हो सके तो अमन और भाईचारे की दुआ मांग । 

तोताराम ने जोर से कहा- आमीन । 

हमने कहा- तो इस खुशी में इस शनिवार को हनुमान जी को एक किलो पेड़ों का प्रसाद चढ़ाएंगे और तेरे दो पेड़े पक्के । 

बोला- इसके लिए और भी जोर से आमीन । 

 



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment