Feb 5, 2024

मोदी जी का बड़प्पन

मोदी जी का बड़प्पन    


जब कभी दिल्ली को विकास की छींक आती है तो उसके छींटे विज्ञापनों के माध्यम से हम तक भी वैसे ही पहुँच जाते हैं जैसे कि दिल्ली का कोहरा, बारिश के छींटे और सर्द हवाएं । इसलिए एहतियात के तौर पर कमरे में ही बैठे थे, ‘बरामदा विष्ठा’ में नहीं गए ।   

तोताराम ने बाहर से ही चिल्लाकर कहा- बधाई हो, आदरणीय । 

हमने भी कमरे में बैठे-बैठे ही आवाज ऊंची करके कहा- अंदर तो आ जा । न हम भागे जा रहे हैं और न ही तेरी यह बधाई । 

तोताराम अंदर आकर हमारे बगल में बैठ गया, बोला- ‘राम-राम’ भाई साहब । 

हमने कहा- आज तो बहुत संस्कारी आदमी की तरह बात कर रहा है । क्या बात है ?

बोला- हम तो हमेशा से संस्कारी ही रहे हैं ।बस, अब राम की प्राणप्रतिष्ठा हो जाने से उसे राष्ट्रीय मान्यता मिल गई है । 

हमने कहा- राम की इस देश में कब मान्यता नहीं रही ? मंदिर, मार्ग, मूर्ति, विज्ञापन की जरूरत उन्हें पड़ती है जिनके कर्मों में दम नहीं होता ।राम, ईसा, बुद्ध गांधी आदि के विचार और संदेश किसे बुरे और अजीब लगते हैं ? इस देश के करोड़ों लोगों की आदत में ‘राम-राम’ संबोधन रहा है । अपनी मर्यादा के कारण ‘राम’ का विस्तार मुस्लिम देशों तक में हैं । रूस और इंडोनेशिया तक में लोग उन्हें अपने जीवन से जोड़ते हैं । भगवान या खुदा से रिश्ता तो बहुत औपचारिक होता है । कर्मकांड तक का । लेकिन जब जीवन से कोई रिश्ता जुड़ता है तो वह सांस-सांस में बस जाता है ।  


लेकिन यह बधाई वाली क्या बात है ?

बोला- भारतरत्न मिलने की बधाई । 

हमने कहा- हमें तो भारतरत्न क्या, एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका का संपादक और 20-25 पुस्तकों का लेखक होने के बावजूद किसी कलेक्टर ने आज तक गणतंत्र दिवस को जिला स्तर तक पर सम्मानित करने लायक भी नहीं समझा । 

बोला- मैं तेरी बात नहीं कर रहा हूँ । मैं ताऊ आडवाणी की बात कर रहा हूँ । मोदी जी, राजनाथ, गडकरी आदि सभी ने बधाई दे दी तो तुझे क्या परेशानी है ?

भारत के विकास के लिए  ‘रामराज’ की स्थापना में उनके योगदान के लिए हम सबको भी उनका ऋणी होना चाहिए और तू एक जरा सी बधाई देने में कंजूसी कर रहा है ! 

हमने कहा- तोताराम, हम तो सबके लिए शुभकामनाओं में विश्वास करते हैं । सर्वे भवन्तु सुखिनः को मानते हैं । जब सब सुखी होंगे तो हमारे सुख को कौन रोक लेगा । और जब दूसरे दुखी होंगे तो हमारा सुख कितने दिन टिकेगा ? तुम्हें अजीर्ण हो रहा है और तुम्हारा पड़ोसी भूख है तो तुम्हें उसकी हाय लगेगी ।आडवाणी जी का योगदान अपनी हिंदूवादी पार्टी को 2 से 200 तक पहुंचाने में है, पूरे भारत की समस्त जनता के लिए नहीं ।जिस रास्ते पर उन्होंने पार्टी को चलाया उस पर चलकर आज वह 300 से 400 के सपने देख रही है । उन्होंने खुद कहा था कि मंदिर मुद्दा उनके लिए धर्मिक नहीं, राजनीतिक है । हमें उस राजनीति से क्या लेना जो केवल एक वर्ग के प्रति सदाशय हो ।धर्म का काम जीव को वैचारिक मुक्ति प्रदान करना और राजनीति का काम समस्त जन का कल्याण करना होना चाहिए । 

बोला- और कितना कल्याण चाहिए । राम मंदिर जाओगे तो अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी । 

हमने कहा- तो राम के परम भक्त रामभद्राचार्य को अस्पताल में भर्ती क्यों करवाया गया ? तोताराम ये बहुत बचकानी बातें हैं । हम तो एक बात जानते हैं कि रामराज्य का मतलब है धोबी और मंथरा तक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तक को भी दंडित नहीं किया जाना और यहाँ सरनेम की आड़ में अधिकतम दंड और बलात्कारियों को पेरॉल और सजा माफ़ी । 

तोताराम, बहुत कठिन है धरम राम का !

बोला- लेकिन कर्पूरी ठाकुर को भी तो दिया है भारतरत्न । 

हमने कहा- उसके पीछे अगला चुनावी गणित है । हाँ, इसे अपने ही परिवार के एक बुजुर्ग की पीड़ादायक उपेक्षा का प्रायश्चित जरूर कहा जा सकता है ।

अच्छा हुआ जो अटल जी वाली हालत में पहुँचने से पहले यह काम कर लिया गया ।

  

असन्तुष्ट आत्मा सबसे पहले घर वालों को सपने में डराती है ।


बोला- और क्या ? बुजुर्गों के सम्मान की इस परंपरा को देखते हुए हो सकता है कि तेरा भी किसी सम्मान के लिए नामांकन हो जाए ।और नहीं तो गृहस्थ जीवन के मामले में तो तू आडवाणी जी से छह साल सीनियर है । उनकी शादी 1965 में हुई और तेरी 1959 में ।  




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