Feb 3, 2024

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है 

सामान्य लोगों का सब कुछ सामान्य होता है । कभी भी कुछ भी हो जाता है । कभी भी जन्म ले लेते हैं और कभी भी मर जाते हैं । कभी किसी शुभ या अशुभ मुहूर्त का कोई सोच विचार नहीं करते । राम सामान्य नहीं थे । उन्होंने शुभ मुहूर्त चुना ।  राम का जन्म अभिजित मुहूर्त में हुआ ।

मुहूर्त के बारे में ही सोच रहे थे । आज मध्याह्न साढ़े बारह बजे का बड़ा शुभ मुहूर्त है । राम लला की प्राणप्रतिष्ठा का मुहूर्त ।
 
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।

जब नई शताब्दी शुरू हो रही थी तो कई प्रतिष्ठित ( प्राणप्रतिष्ठा में बुलाए जाने के मापदंडों के अनुसार) माता-पिताओं ने 1 जनवरी 2001 के शुभ मुहूर्त  (1-1-1) को नहीं हो रहा था तो सिजेरियन प्रसव करवा लिया । इसी तरह कई ने 22 जनवरी 2024 को यादगार बनाने के लिए बच्चों की सिजेरियन डिलीवरी करवा ली । 

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है । 
 
ज्योतिषी तो यहाँ तक बताते हैं कि आज फलां राशि के व्यक्ति को घर से बाहर निकलते समय कौन सा पैर पहले बाहर निकालना चाहिए । किस दिन, कब, किस दिशा में जाना वर्जित या शुभ होता है ? सब कुछ उन्हें ही पता होता है लेकिन दबाव, डर या लालच में जब जैसा चाहो मुहूर्त भी निकाल देते हैं । यदि घर का दरवाजा अशुभ दिशा में हो तो पर्याप्त दक्षिणा देने पर उसे बिना तोड़े, बदले भी कोई नुस्खा बता देते हैं । यदि आप व्रत, उपवास, जप नहीं कर सकते तो उसके लिए सब्स्टीट्यूट का विधान भी उनके पास होता है। अगर कोई पीठ के पीछे सत्ता की बंदूक की नली छुआ दे तो शंकराचार्यों के अनुसार गृह प्रवेश का अशुभ मुहूर्त भी शुभ सिद्ध कर देते हैं । बाजार और पैसे वालों के चोंचलों को देखते हुए ज्योतिषी आजकल उनके कुत्तों, कारों आदि का भी दैनिक भविष्यफल छापने लगे हैं ।

मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।  

घोर निराश और भरे पेट वाले सब ज्योतिष की घोर अवैज्ञानिकता के बावजूद उस पर विश्वास करते हैं ।कुछ चतुर और धूर्त झूठा ज्ञान झाड़ते हैं और कहते हैं कि ज्योतिष विज्ञान है । लेकिन ऐसा कहते हुए वे अर्ध सत्य का सहारा लेते हैं । कहते हैं अगर ज्योतिष अवैज्ञानिक होता तो ज्योतिषी कैसे  बात देते हैं कि अमुक दिन, अमुक बजे से अमुक बजे तक ग्रहण होगा और अमुक अमुक जगह दिखाई देगा ? जब कि सत्य यह है कि ग्रह-नक्षत्रों की गणना एक विज्ञान और गणित है जो दुनिया के सभी देशों में समान ही है । तभी तो सूर्य का उत्तरायण, दक्षिणायन सभी देशों की गणना के अनुसार एक ही दिन होता है । लेकिन उन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का किसी व्यक्ति के जीवन पर क्या, कैसा, कितना प्रभाव पड़ेगा यह सब तुक्का है । अगर इस प्रकार  की बात सच है तो कभी किसी मुर्गे या बकरे के लिए कोई दिन ऐसा क्यों नहीं होता कि उस दिन उसे कोई भी काट न सके । 

यह भी सच है कि किसान मजदूर अपना काम रोज बिना किसी ज्योतिषी से पूछे करते हैं । हल चलाने और पानी देने से बीज उगता है किसी मुहूर्त से नहीं । इसलिए किसान बारिश के अनुसार चलता है न कि बकवास से ।  कोई काम करवाने वाला ज्योतिष के हिसाब से राहूकाल में काम बंद करवाकर अपने मजदूर को सवैतनिक छुट्टी नहीं देता । 
रोज अपनी मेहनत से कपड़ा बुनकर, उसे बेचकर रोटी जुटाने वाला कबीर इन झंझटों में नहीं पड़ता । तभी वह चेलेंज दे सकता है-
करम गति टारै नाहिं टरी 
मुनि वशिष्ट से पंडित ज्ञानी शोध के लगन धरी  
दशरथ मरण हरण सीता को बन में बिपत परी  
करम गति —---
कबीर का ‘करम’ श्रम वाला कर्म है न कि ज्योतिषियों वाला ग्रहदशा से फूटने वाला ‘करम’ ।   
लेकिन भक्तो, हम आजकल ज्योतिष वाले करम (भाग्य) के युग में आ पहुंचे हैं ।

 इसलिए मुहूर्त का बड़ा महत्व है । 

तोताराम ने भी आज आते ही यही कहा- मास्टर, मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है । 
हमने पूछा- तो क्या करें ?
बोला- क्या, क्या ? बनवा ले हलवा । मीठा का मीठा, मुहूर्त का मुहूर्त और प्रसाद का प्रसाद । एक पंथ तीन काज । जैसे ही प्राणप्रतिष्ठा होगी हम हलवा खाना शुरू कर देंगे । 
हमने कहा- तोताराम, हर क्षण कुछ न कुछ होता ही रहता है । सब कुछ मुहूर्त के विचार के बिना ही निरंतर चलता रहता है । धरती, सूरज, चंद्रमा का परिभ्रमण क्या मुहूर्त के हिसाब के होती है । बस, होती है ।
 
बोला- नहीं, ऐसी  बात नहीं है ।फिर भी कुछ सोच समझकर ही प्राणप्रतिष्ठा का यह मुहूर्त निकाला गया होगा । कोई तो कारण रहा होगा जो राम नवमी तक का इंतजार नहीं किया गया । तब तक शिखर और ध्वजा भी स्थापित हो जाते । शंकराचार्यों का भी मान रह जाता । 

हमने कहा- कुछ लोग तो कहते हैं कि गणतंत्र दिवस की चमक को धुंधला करने के लिए ऐसा किया गया है । कुछ कहते हैं कि यह मुहूर्त रामलला के हिसाब से नहीं लोकसभा चुनाव के हिसाब से निकलवाया गया है । वैसे एक और भी विचित्र संयोग देख कि आज ही के दिन 1999 में आस्ट्रेलिया से आकर ऑडिशा में कोढ़ियों की सेवा करने के लिए रह रहे स्टेंस और उसके दो बेटों की कुछ कट्टर लोगों द्वारा 22 जनवरी को ही जलाकर हत्या कर दी गई थी ।रामराज्य के साथ शंबूक के प्रसंग की तरह यह भी जुड़ जाएगा । 

बोला- ऐसे तो कल को लोग यह भी कह देंगे कि 15 अगस्त को सभी समुदायों के लोगों के सहयोग से मिली आजादी के उल्लास को मुसलमानों के प्रति घृणा का स्थायी भाव भरने के लिए 14 अगस्त को जानबूझकर ‘विभाजनविभीषिका दिवस’ मनाने की धूर्तता की गई है ।
 
हमने कहा- इसे बिल्कुल झूठ और नितांत संयोग नहीं कहा जा सकता क्योंकि संसद के नए भवन के उद्घाटन की जो तिथि चुनी गई है 28 मई वह सावरकर का जन्मदिन है जो भारत को कट्टर हिन्दू राष्ट्र देखना चाहते थे । और 27 मई स्वतंत्र भरत के निर्माता नेहरू जी पुण्य तिथि । अब हर साल नई संसद के उद्घाटन की बात जोर शोर से की जाएगी तो नेहरू धुंधले होकर सावरकर और उजले दिखाई देंगे । 
 
बोला- तो फिर यह भी संयोग नहीं कि मस्जिद को सबकी आजादी और सम्मान से जोड़ने वाले संविधान के रचयिता अंबेडकर के निर्वाण दिवस 6 दिसंबर को तोड़ा गया । वैसे इस दिन को एम्स को आधे दिन बंद रखने के पीछे क्या तर्क हो सकता है ?

हमने कहा- यही कि अब राम आ गए हैं । किसी को भी दैहिक दैविक भौतिक ताप नहीं  व्यापेंगे  ।और अगर कोई इस शुभ मुहूर्त में मर भी जाएगा तो यह उसका सौभाग्य होगा । वह सीधा स्वर्ग जाएगा ।
 
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है । 
 
और तो और देख, इसी दिन के इस पुण्य मुहूर्त को देखते हुए सरकार ने बलात्कार और हत्या के अपराधी राम रहीम इन्साँ को 19 जनवरी को नवीं बार  पेरॉल पर रिहा किया । उसने बाहर आकर आश्रम पहुंचते ही अपने भक्तों से कहा कि 22 जनवरी को पूरे देश में राम जी का पर्व मनाया जा रहा है । सभी लोगों को इस पर्व में भाग लेना है । इस पर्व को दीपावली की तरह मानाना है । 
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।
बोला- इसका मतलब बिलकिस बानो के बलात्कारियों को भी किसी विशेष मुहूर्त के तहत ही स्वतंत्रता के ‘अमृतमहोत्सव 15 अगस्त 2022’ को संस्कारी मानकर रिहा किया गया ।
मुहूर्त का बड़ा महत्व होता है ।  



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