Jul 12, 2024

शादी का ड्रेस कोड


शादी का ड्रेस कोड 

आज 12 जुलाई है । 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है ।तब तक जिसको जितने प्रीवेडिंग, रोका, हल्दी आदि रस्में, जहां जहां, जिस जिस देश में क्रूज पर, पनुडुब्बी में, बैलगाड़ी में, ऊंट पर जैसे करनी हों कर लें । उसके बाद खेती का फुल टाइम आ जाएगा और अगर इन चार महीनों में किसान मेहनत न करे तो सारे खेल तमाशे धरे रह जाते हैं । इसीलिए भगवान विष्णु सो जाते हैं कि भक्तो ! अब भोजन का इंतजाम करो । भूखे न तो भजन होता है और न ही उत्सव । मक्कर से दुनिया ठगने वालों की बात और है । 

हालांकि आजकल भगवान विष्णु के ऐसे ऐसे अवतार हो गए हैं जो बारहों महिने, सातों दिन न सोते हैं न दुनिया को सोने देते हैं लेकिन जो वास्तव में विष्णु हैं वे आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सोते हैं और फिर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं । वैसे बड़े लोग जब बड़ी दक्षिणा की बंदूक पंडित की पीठ से  छुआ देते हैं तो पंडित डाकू सरदार द्वारा उठाकर लाई गई प्रेमिका से शादी का मुहूर्त तत्काल निकाल देता है । लेकिन हम विधिसम्मत मुहूर्त की बात कर रहे हैं । हम शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद नहीं है फिर भी हमने पंचक में राम मंदिर के शिलापूजन को ठीक नहीं माना था । हम किसी का अशुभ नहीं सोचते लेकिन संयोग देखिए कि रामलला की छत टपकने लगी । रामपथ धँसक गया । 

तो  आज 12 जुलाई है । हम सबके लिए सदा शुभकामना करते हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः । इसलिए औपचारिक बधाई संदशों में विश्वास नहीं करते ।इसीलिए हमें बहुत से दिन याद नहीं रहते ।भले ही भक्त हमें राष्ट्रद्रोही ही समझें लेकिन मोदी जी का जन्म दिन भी हमें याद नहीं रहता ।

बहू सुबह सुबह ड्यूटी पर जाती है ।उसका अपना रूटीन चलता रहता है और हमारा अपना । लेकिन आज वह कुछ जल्दी ही हमारे कमरे में आई और पैर छूए । बोली- पिताजी, आज हमारी शादी की 35 वीं वर्षगांठ है । और हमारी टेबल पर चाय के साथ सूजी का हलवा रख दिया । हमने हृदय से आशीर्वाद दिया स्वस्थ और मंगलमय जीवन का ।
अब जब हलवा और वह भी घर के घी का तो तोताराम का इंतजार कौन करे । 

हम देश के उस इलाके के रहने वाले हैं जहां गली गली में सेठ पाए जाते हैं । बिरला, डालमिया, सिंघानिया, पोद्दार, बांगड़, गोयनका, सेखसरिया आदि अनेकानेक । आज के नए नए धनपतियों की तरह नहीं । वे वास्तव में सेठ (श्रेष्ठ) थे। अपने इलाकों में स्कूल, वाचनालय, कुएं, बावड़ी, मंदिर, गौशाला, औषधालय आदि बनवाते थे । शादियों और अन्य खुशी के अवसरों पर ऐसे कामों के लिए दान भी देते थे । आजकल के सेठों की तरह नहीं कि स्कूल कालेज और अस्पताल भी बनवाएंगे तो सेवा के लिए नहीं, कमाई के लिए ।  उनके स्कूलों में किसी सुदामा या एकलव्य के लिए कोई जगह नहीं है । हमारे गाँव में बिरला जी की ससुराल वाले सोमणियों  का स्कूल था जिसमें प्रारम्भिक दिनों में डालमिया जी की बड़ी बेटी रमा जैन सामान्य विद्यार्थियों के साथ सहज भाव पढ़ती थी । 

हमने अपने बचपन में उन सेठों की शादियाँ देखी हैं और किसी न किसी रूप में सेठों के पुरोहित होने के कारण उनमें सम्मिलित होने का अवसर भी मिला लेकिन आज जैसे तमाशे कहीं नहीं देखे ।

आज देश के एक धनी के बेटे की फूहड़ प्रदर्शन और आडंबरपूर्ण शादी भी है । धन से आतंकित होकर या खुशामद के लिए हम कालक्रम और क्रोनोलॉजी को घुमा नहीं सकते ।हम नहीं कह सकते कि हमारे पिताजी के निधन पर गुरुपूर्णिमा मनाई जाती है या हमारे जन्मदिन पर तुलसी जयंती मनाई जाती है । हम कहेंगे पिताजी का निधन गुरुपूर्णिमा को हुआ था या हमारा जन्म तुलसी जयंती को हुआ था । हाँ, कह सकते हैं हमारी बड़ी बहू और बड़े बेटे की शादी की 35 वीं वर्षगांठ 12 जुलाई 2024 को मुकेश अंबानी के बेटे अनंत की शादी हुई । 

न हमने हलवे के लिए तोताराम का इंतजार किया और न ही तोताराम आया । फिर भी हम चाह रहे थे कि तोताराम भी हलवे के साथ हमारी इस खुशी में शामिल हो । जब तोताराम नहीं आया तो हम ही उसकी तरफ निकल लिए । 





तोताराम के कमरे में जाकर देखा तोताराम विचारमग्न बैठा है । हमने छेड़ा, कहा- सुबह नहीं आया तो हमने तो समझ लिया कहीं तू मुकेश आंबानी के बेटे की शादी में तो नहीं निकल गया । 




बोला- निकलने में क्या है ? ऊपर से कई प्लेन गुजरे हैं, किसी से भी लिफ्ट ले लेता । ईशा अंबानी के ससुराल पक्ष की तरफ से हैं । कौन मना करता लेकिन एक तो इस समय मुंबई में होटलों में जगह नहीं है दूसरे निमंत्रण पत्र में ड्रेस कोड में ‘इंडियन’ लिखा है तो मैं कन्फ्यूज हो गया ।  
हमने कहा- इतनी सी बात ! एक दो जोड़ी कुर्ते पायजामे तो तेरे पास हैं ही । नहीं तो हमसे ले जाता दो जोड़ी । 
बोला- अपने तो त्रेता द्वापर में राम कृष्ण और कलियुग में बुद्ध सभी बिना सिले कपड़े ही लपेटते थे। ये सिले हुए वस्त्र, पायजामा, शेरवानी आदि तो विदेशियों के साथ पश्चिम से आए हैं । ये सब मुसलमान हैं । ये इंडियन ड्रेस कोड कैसे हो सकते हैं ? बस, इसी चक्कर में नहीं जा पाया । खैर, कोई बात नहीं । अबकी बार जब मिलना होगा तो सॉरी बोल दूंगा । 
हमने कहा- सरल सी बात है । इसमें क्या सोचना और क्या समझना । जो मोदी जी पहनें वही भारतीय ड्रेस, जो मोदी जी खाएं वह इंडियन भोजन, जो मोदी जी बोलें वह शालीन भाषा । 
बोला- मोदी जी की रेंज बहुत बड़ी है । वे तो दिन में दस तरह की ड्रेसें बदलते हैं-कभी काऊ बॉय टाइप, कभी रवीन्द्रनाथ ठाकुर, कभी नेताजी सुभाष, कभी संत तुकाराम,  और भाषा में कभी पचास करोड़ की गर्ल फ्रेंड, कभी कांग्रेस की विधवा, कभी जर्सी गाय शूर्पनखा जाने क्या क्या बोलते हैं । 
हमने कहा- तो फिर जिन्हें वे कपड़े देखकर पहचान लेते हैं उनके अलावा सबके कपड़े इंडियन हैं मतलब राष्ट्रीय, भारतीय । और कुछ भी समझ न आए  तो सफेद दाढ़ी लगा ले और भगवा रंग का कुछ भी लपेट ले- हो गया हिन्दू, हो गया राष्ट्रीय, हो गया भारतीय, हो गया संस्कारी, हो गया सर्वगुण सम्पन्न, हो गई केदारनाथ की गुफा में तपस्या , हो गया विवेकानंद स्मारक में मौन चिंतन । 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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