Jul 25, 2024

13 जुलाई को मोदी जी कहाँ थे ?


13 जुलाई को मोदी जी कहाँ थे ? 


आज तोताराम ने आते ही ईडी अधिकारी के लहजे में पूछा- 13 जुलाई को मोदी जी कहाँ थे ? 

हमने कहा- हमारी क्या औकात जो मोदी जी से कह सकें कि जब कहीं जाएँ तो हमें बताकर जाया करें । महान लोग किसी को कुछ बताते नहीं । क्या बुद्ध ने अपनी पत्नी यशोधरा को बताया कि मैं इतने बजे तुम सब को छोड़कर कर चुपचाप निकल जाऊंगा । हालांकि उनकी पत्नी को इसी बात का बहुत दुख रहा और उसने अपनी यह पीड़ा अपनी एक सहेली से साझा की- 

सखि, वे मुझसे कहकर जाते 

कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ बाधा ही पाते । 

जाने का उतना दुख नहीं है जितना उपेक्षा का । फिर सहचरी, अर्धांगिनी का क्या मतलब । जब कोई दुनिया से मन की बात कर सकता है तो क्या घर वाली को इतना भी कॉन्फिडेंस में नहीं लिया जा सकता ! हो सकता है कि बुद्ध इसी झेंप को जीवन भर झेलते रहे हों । जब आदमी बड़ा हो जाता है तो  मन की असली बात किसी से भी कहना और अपने अपराध को स्वीकार कर पाना उसके लिए बहुत कठिन हो जाता है ।रेडियो पर बतरस ठोंक देना और बात है । पता नहीं, मोदी जी ने भी विश्व के कल्याण के लिए घर छोड़ते समय जसोदा बेन को बताया था या नहीं । 

लेकिन हम सच कहते हैं कि मोदी जी ने हमें नहीं बताया कि वे 13 जुलाई को कहाँ थे । 


बोला- मैंने तो एक छोटा सा सामान्य प्रश्न किया था और तू पहुँच गया भगवान बुद्ध तक । 

हमने कहा- अभी गूगल पर देखते हैं । 

देखा तो पाया कि उस दिन मोदी जी मुंबई में थे और हमेशा की तरह उन्होंने कई तरह के उद्घाटन, शिलान्यास किए, रोड़ शो करके भक्तों को दर्शन दिए , फ़ोटो खिंचवाए आदि आदि । 

और रास्ते में कहीं कोई ट्रेन दिखाई दे गई होगी तो उसे हरी झंडी भी दिखा दी होगी । 

बोला- लेकिन थे तो भारत में ही या फिर कहीं विदेश चले गए थे ? 

हमने कहा- वैसे तो मोदी जी पर सारी दुनिया की जिम्मेदारी है । जगद्गुरु और विश्व नेता जो ठहरे । पता नहीं कब किस को ज्ञान या सलाह की जरूरत पड़ जाए । पता नहीं कब कहाँ युद्ध रुकवाना पड़ जाए । वे जगत के लिए वैसे ही महत्वपूर्ण हैं जैसे हरियाणा के आध्यात्मिक विकास के लिए राम रहीम । तभी तो उन्हें जब तब पेरॉल पर छोड़ दिया जाता है कि वे  भक्तों का कल्याण कर सकें ।  हेमंत सोरेन की तरह  खतरनाक अपराधी थोड़े हैं जो जमानत के समय भी अनेक शर्तें लगाई जाएँ कि वे उसी दिन जेल में लौट आएंगे, किसी से कोई राजनीतिक चर्चा नहीं करेंगे । या केजरीवाल को 50 हजार का बॉन्ड भरना पड़ेगा, किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेगा, सचिवालय नहीं जाएगा । 

 

बोला- मास्टर, तू फालतू बात बहुत करता है । वैसे ही जैसे कोई मोदी जी से पूछे कि वे मणिपुर कब जाएंगे तो वे कहेंगे कि नेहरू जी कितनी बार मणिपुर गए थे । जो पूछ रहा हूँ उसका सीधा सीधा जवाब दे ।  





 


हमने कहा- तोताराम, तू जिस तरह से मोदी जी के कार्यक्रम के बारे में पूछ रहा है उससे हमें शंका होने लगी है । बड़े लोगों के सभी कार्यक्रम गुप्त रखे जाते हैं ।  वे 140 करोड़ भारतीयों के एकमात्र और सर्वसम्मत नेता हैं । वे जहां चाहें जाएँ, बताकर जाएँ या बिना बताए जाएँ उनकी मर्जी । वे कोई सरकस के शेर थोड़े हैं जो एक पिंजरे में दर्शकों के लिए उपलब्ध रहेंगे । फिर भी साफ साफ बता कि तुझे विशेषरूप से मोदी जी के 13 जुलाई के कार्यक्रम के बारे में ही रुचि क्यों है ?


बोला- मुझे लगता है कि मोदी जी 13 जुलाई को मुंबई नहीं गए थे । वहाँ उन्होंने अपने किसी डुप्लिकेट को भेज दिया होगा और खुद अमरीका गए होंगे । 

हमने पूछा- तू यह सब इतने आत्मविश्वास से कैसे कह सकता है ? 

बोला- यह मैं नहीं खुद ट्रम्प ने कहा है । 

हमने कहा- यह लंबी लंबी छोड़ने वाले नेताओं की तरह से एक और गप्प । फोन आया था क्या ट्रम्प का ? 

बोला- एक चुनावी सभा में खुद पर हुए हमले के बाद ट्रम्प ने खुद कहा है- मैंने खुद को सुरक्षित महसूस किया क्योंकि ईश्वर मेरे साथ थे ।  

अब इस दुनिया में आज के दिन साक्षात ईश्वर और है कौन मोदी जी के अलावा । विश्वास नहीं हो तो चंपतराय से पूछ ले । 

हमने कहा- लेकिन हादसे वाले किसी भी फ़ोटो में कहीं कोई सफेद दाढ़ी वाला दिखाई तो नहीं दिया । 


बोला- तुझे पता होना चाहिए कि भगवान कभी भी कोई भी रूप धारण कर सकता है । भक्त उसे हर रूप में पहचान लेते हैं । तेरे जैसे नास्तिक के भाग्य में यह सब कहाँ ? 



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment