Jul 29, 2024

2024-07-29 झूठ तो मर्दों की शोभा है


2024-07-29 


झूठ तो मर्दों की शोभा है 





माई फ्रेंड मिस्टर ट्रम्प,

वैसे तो हम आपसे कभी मिले नहीं । 2019 में आए थे अमरीका लेकिन कुछ तो हमारा शिड्यूल टाइट था और कुछ बिना बुलाए मेहमान बनना ठीक नहीं लगा । फिर भी जब आपसे चार साल छोटे नरेंद्र भाई आपको ‘फ्रेंड’ कह सकते हैं तो आपसे चार साल बड़े हम भी आपको फ्रेंड कह सकते हैं । आपने बाइडेन को बूढ़ा कहकर मज़ाक बनाया । वैसे 78 और 81 में कोई खास अंतर नहीं होता । अगर आप चाहते तो अपने कार्यकाल में ही 75 साल का नियम बनाकर आडवाणी जी की तरह बाइडेन को चुनाव से पहले ही बरामदे में बैठा सकते थे लेकिन मोदी जी की तरह आपको आइडिया ही नहीं आया ।अब हम बता रहे हैं तो आप 78 के हो गए । लेकिन नियम दूसरों के लिए बनाए जाते हैं अपने लिए नहीं जैसे कि मोदी जी के बारे 75 का नियम लागू  नहीं होगा । अब तो वे 75 से 100 तक का एजेंडा घोषित कर चुके हैं जब वे भारत को नंबर 1 बना चुके होंगे । 


हमारे यहाँ तो एक बार ‘अबकी बार मोदी सरकार’ चल गया लेकिन आप इस मंत्र की ढंग से साधना नहीं कर सके तो मंत्र ने काम नहीं किया ।कमजोर  तो हमारे यहाँ भी हो गया ।  400 पार के नारे के साथ चले थे लेकिन रह गए 240 और वह भी तरह तरह के धत कर्म करने के बाद । लेकिन कोई बात नहीं देश को नंबर 1  बनाने के लिए इतना भी कम नहीं है ।इरादे पक्के हों तो वैशाखी के सहारे भी मैराथन दौड़ी जा सकती है । ब्लेड रनर  तो आपको याद ही होगा ।  


तो लगे रहिए । जैसे हम शिक्षा का बजट कम करके, पेपर आउट करके, कोर्स से विकासवाद और पीरियोडिक टेबल हटाकर देश को विश्वगुरु बनाने में लगे हुए हैं वैसे ही आप भी अमरीका को फिर ग्रेट बनाकर ही छोड़ना । वैसा ही ग्रेट जैसा कालों को गुलाम बनाकर बनाया था ।


अब बाइडेन के बुढ़ापे वाला मुद्दा तो रहा नहीं ।  जवान तो आप भी नहीं हैं लेकिन लालची, लंपट और झूठा कभी बूढ़ा नहीं होता । बूढ़ा क्या, परिपक्व भी नहीं होता । काला कुत्ता बूढ़ा होने पर भी काला ही रहता है । समय के साथ आदमी के बाल भी सफेद होते हैं, तृष्णा भी कम होती है और वैराग्य का उदय भी होता है,  वह सन्यास भी लेता है लेकिन कुत्ता कभी कुत्तागीरी नहीं छोड़ता ।  

 

तो अब मुकाबला कमला से है तो बुढ़ापे वाला कार्ड तो चलेगा नहीं । कोई बात नहीं, और बहुत से आरोप हैं जो किसी भी विपक्षी पर लगाए जा सकते हैं बस, थोड़ा सा साहस मतलब झूठ और बेशर्मी चाहिए । आपके राष्ट्रपति रहते लोगों ने आपके गले में एक मीटर लगा दिया जिससे आपके झूठों की गिनती कर ली गई । हमारे यहाँ तो ऐसी व्यवस्था नहीं है । यदि कोई मीटर लगाया जाता तो वह भी कब का फुँक गया होता । 


हमने तो यहाँ के न्यूज चेनलों और आलेखों में पढ़ा कि आपने अमरीकी लहजे में स्तरहीन भाषा में कमला को ‘लिन’ कहा ।  पहले तो हमारी समझ में नहीं आया लेकिन फिर बच्चों से पता किया तो मालूम हुआ कि LYING को अमरीका में G को साइलेंट करके ‘लिन’ कर दिया जाता है । इसके दो मतलब होते हैं- एक तो झूठ बोल रहा और दूसरा झूठा । यह तो कोई बड़ा आरोप ही नहीं है ।सच के किसी का कोई काम चला है ?  देख लो, सुकरात, ईसा, गांधी का हश्र । आपके वहाँ पता नहीं  लेकिन हम तो यहाँ उस बूढ़े गांधी की रोज मिट्टी कूटते हैं । अजी, सच बोलकर किसी का राज चला है ? , सच बोलकर किसी ने धंधा किया है ? झूठ के बिना एक पत्नी को संभालना मुश्किल होता है । आपने तो कई पत्नियाँ और प्रेमिकाएं कबाड़ी हैं । झूठ का महत्व आपसे अधिक कौन जानता है ?  


हमारे यहाँ झूठ को सबसे बड़ा पाप माना गया है- झूठ बरोबर पाप । 

लेकिन चूंकि झूठ है बड़े काम की चीज इसलिए इसका महत्व भी बताया गया है ।  इस्लाम में युद्ध, किसी को मनाने मतलब पटाने के लिए, संधि करवाने के लिए आदि में झूठ जायज है । ऐसे ही महाभारत में भी कहा गया है-

न नर्मयुक्तं वचनं हिनस्ति न स्त्रीषु राजन्न विवाहकाले ।

प्राणात्यये सर्वधनापहारे पञ्चानृतान्याहुरपातकानि ॥ १६॥


स्त्रियों के साथ, परिहास में, विवाह के समय, प्राण और सर्वस्व अपहरण के समय झूठ बोलने में कोई बुराई नहीं है । अब तो सत्ता मतलब जीवन मरण और सर्वस्व अपहरण का प्रश्न है । हमारे यहाँ भी तो दो करोड़ नौकरियां, हर खाते में 15 लाख जैसे झूठ बोले ही गए थे और उनके लिए जब कोई शर्मिंदा नहीं है तो आप भी निधड़क और बेफिक्र रहिए । 


सुना है आपने कमला को पागल और चट्टान सी गूंगी कहा है । क्या हो गया तो । हमने भी तो शुरू में इंदिरा को गूंगी गुड़िया ही कहा था और अपने मुख्य विरोधी को पागल-पप्पू प्रचारित करके 10 साल निकाल दिए । अब उसे बालबुद्धि कह रहे हैं लेकिन उसने हमें बैलबुद्धि सिद्ध कर दिया है । लेकिन हम बाज कहाँ आ रहे हैं । झूठ की निरन्तरता और ऊंचे स्वर में बोला जाना ही उसकी शक्ति होती है । वैसे कितनी समानता है हम दोनों में ! वास्तव में सभी महान लोग एक ही तरह से सोचते हैं । 


अब हम आपके मार्गदर्शन के लिए कुछ और भी संस्कारी, शालीन तरीके बताते हैं हैं जो हम अपनी महान और मदर ऑफ डेमोक्रेसी का दुनिया में सम्मान बढ़ाने के लिए अपनाते हैं । 




वैसे तो हमारे शस्त्रों में कहा गया है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते लेकिन वास्तव में हम उनका कितना सम्मान करते हैं यह तो नारी का जी ही जानता है । कभी कभी महिला पहलवानों की सड़क पर घिसाई-पिटाई या मणिपुर में उनकी निर्वस्त्र प्रदर्शनी या फिर किसी महिला के बलात्कारियों को संस्कारी बताकर अमृत महोत्सव पर मुक्त और अभिनंदित किया जाता है तो हमारा नारी सम्मान प्रमाणित हो जाता है । हम महिलाओं का धर्म, जाति, मूल देश आदि के आधार पर भी सम्मान करते हैं जैसे कि



 योरप की किसी महिला को हम ‘जर्सी गाय ‘ के विशेषण से संबोधित करते हैं लेकिन महत्व सड़क पर कूड़ा और धक्के खाने के लिए छोड़ दी गई गाय जितना भी नहीं देते । इसलिए यदि आप कमला को इसी तरह सम्मानित करना चाहते हैं तो बता दें कि वे तमिलनाडु की रहने वाली हैं । वहाँ की उम्ब्लाचेरी नस्ल की गाय का फ़ोटो भी आपकी जानकारी के लिए यहाँ दे रहे हैं । 


हम अपनी विरोधी, मुखर, अपने तथ्यों और अंग्रेजी से डराने वाली महिला सांसद को संसद से निकाल भी देते हैं और अपने भक्तों से उसे आम्रपाली (एक प्राचीन राज नर्तकी )कहकर अपनी कुंठा भी निकालते हैं । 


हमारे यहाँ देश भक्ति की आड़ में तीन एम चलते हैं। मुसलमान, मिशनरी और मार्कसिस्ट । यही हमारा दर्शन और प्रदर्शन है । अच्छा हुआ आपने एक एम (मार्कसिस्ट) तो कमला से चिपकाना शुरू कर दिया है । एक दो और भी ढूँढ़िए । 


वैसे फिलहाल आप जब तक चुनाव न हो जाएँ तब तक कान पर पट्टी बांधे रखिए और पट्टी पर खून का इंप्रेशन देने के लिए लाल रंग लगाए रहिए । यह प्रचार भी कर सकते हैं कि मुझ पर हमला अमरीका और लोकतंत्र के दुश्मनों ने करवाया है जैसे हम कहते हैं कि लोग मुझे कई कई किलो गालियां देते हैं और इस बार तो संसद में प्रतिपक्ष ने मेरा गला ही घोंट दिया था ।  

 

संपर्क बनाए रखें । हमें आपका मार्ग दर्शन करके बहुत खुशी होगी क्योंकि हम जगद्गुरु ही नहीं मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी हैं ।


आपका मित्र 

भारत का एक अहर्निश सेवक 

जो न सोता है न किसी को सोने देता है । 




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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