आदर्श संस्कारी ट्यूशन सेंटर
मोदी जी जल्दी ही, संभवतः बजट से पहले ही विदेश यात्रा पर जा रहे हैं लेकिन उन्होंने निश्चित ही निर्मला जी को सब बता दिया दिया होगा कि किस प्रकार बजट को पिछले दस सालों की तरह विकसोन्मुख बनाए रखना है, कैसे किस सरकारी संस्थान को किसे, कब और कितने में बेचना है । टेक्स के बारे में भी बात दिया होगा कि आयकर में दी गई छूट को किस चीज के कितने दाम बढ़ाकर बराबर कर देना है ।
खैर, ये तो ऊंची बातें हैं । हमारा बजट तो पेंशन और उसमें तीस-इकतीस का भाग लगाकर उतने ही पैर फैलाने जितना होता है ।हमने कुछ रुपए मोदी जी द्वारा विशेषरूप से आविष्कृत ‘वय वंदन त्रैमासिक आय योजना’ के तहत पोस्ट ऑफिस में जमा करवा रखे हैं । जून 2024 में एक मेसेज आया कि 30 जून तक फॉर्म 15 एच /16 जी जमा करवा दें । पहले की बात और थी लेकिन आजकल किसी कार्यालय में कोई फॉर्म नहीं मिलते । बड़ी मुश्किल से कहीं से फॉर्म का इंतजाम किया और पोस्ट ऑफिस में जाकर हस्ताक्षर करके दे दिया । शेष सब उस भले आदमी ने भर दिया ।
अब, न सही नीरव मोदी, मेहुल भाई लेकिन लगता है हम सरकार के निशाने पर आ गए हैं । हम कोई नेता तो हैं नहीं जिन्हें दो दिन विधायक, सांसद या मंत्री रह जाने पर ही ज़िंदगी भर पेंशन मिले और उसका टेक्स सरकार भरे । हम तो भेड़ हैं जिसके बालों से ही तो सत्ताधारियों के दिन-रात फैलते हाथ-पैर ढंकने के लिए चादर बननी है तो मुंडने से तो बचने से रहे । जब नौकरी में थे तब तो बाबू टेक्स की गणना करके वेतन से काट लिया करता था लेकिन अब तो खुद ही हिसाब लगाना पड़ेगा ।
आज जैसे ही तोताराम आया हमने कहा- तोताराम, एक दिन किसी टेक्स वाले से मिलकर कुछ आवश्यक जानकारी कर लें ठीक रहेगा । लगता है अब टेक्स भरने का चक्कर पड़ने वाला है ।
बोला- कोई भी किसी को फ्री में जानकारी नहीं देता । सब ग्राहक पकड़ने के चक्कर में तरह तरह के निःशुल्क शिविर लगाते हैं ।
हमने कहा- यह बात तो है । 1971-1975 तक हम पोरबंदर में थे । वहाँ सरकारी अस्पताल में आँखें दिखाने गए। वहाँ एक डॉक्टर मिले- कोया।जो अस्पताल में कोई नेत्र विशेषज्ञ न होने के कारण निःशुल्क परामर्श देने आते थे और अस्पताल में कोई सुविधा न होने का बहाना बताकर अपने क्लीनिक में बुला लेते थे ।
बोला- इसलिए ठीक यही रहेगा कि कहीं ट्यूशन ले ले । अभी अमित शाह जी से फोन मिलाते हैं । उनके पास जरूर जानकारी होगी तभी तो उन्होंने संसद में राहुल गांधी से कहा कि नियमों की जानकारी नहीं है तो ट्यूशन ले लें ।
हमने कहा- लेकिन अमित जी तो सांसद 2017 में बने हैं जबकि राहुल गांधी तो 2004 से सांसद हैं । उनसे सीनियर हैं । क्या उन्हें नियमों की जानकारी नहीं है ?
बोला- जानकारी काम करने से होती है, 24 घंटे के दिन में 28 घंटे काम करने से होती है । कन्याकुमारी से कश्मीर और मणिपुर से मुंबई से पैदल घूमने से नहीं ।मणिपुर, हाथरस वाले पीड़ितों से मिलने से नहीं ।न किसी खेत में धान रोपने से और न ही किसी स्टेशन पर सूटकेस उठाने से जानकारी होती है । न ही अमरीका, ब्रिटेन या फ्रांस जाकर वहाँ के विश्वविद्यालयों में भाषण देने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से होती है । जानकारी होती है रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने, नाली के पास गटर-गैस से चाय बनाने वालों से मिलने पर । सबको नहीं पता होता कि किस क्रिकेट अकादमी से ट्यूशन लेने पर बी सी सी आई का अध्यक्ष बना जा सकता है । संस्कारों और नैतिकता की ट्यूशन लेने से ही पता चलता है कि बलात्कार और हत्या के कौन सजायाफ्ता लोग संस्कारी हैं जिन्हें स्वतंत्रता से अमृत महोत्सव पर जेल से रिहा किया जा सकता है और फिर उनका मिठाई खिलाकर स्वागत अभिनंदन किया जा सकता है । एनटायर पॉलिटिकल साइंस का अध्ययन किए बिना कैसे पता लग सकता है कि किस प्रकार के वस्त्र पहनने वाला आतंकवादी होता है, कौन किसकी भैंस खोल लेगा, कौन किसका मंगल सूत्र छीनकर किसे दे देगा ।
संस्कारी ट्यूशन के बिना यह भी कैसे पता चल सकता है कि कौन गद्दार है और किस साले को गोली मारनी है, देशभक्त कौन है-गांधी या गोडसे, किनको पाकिस्तान चले जाना चाहिए और किसे किन संसदीय नियमों के तहत पूजनीय माना जा सकता है और किसे कटुआ, भड़ुआ, मुल्ला कहा जा सकता है । और किसकी सदस्यता फटाफट रद्द की जा सकती है और किस पार्टी के एक सौ से ज्यादा सांसदों को अपना मनमर्जी बिल पास करवाने के लिए एक साथ निलंबित किया जा सकता है ? नीट में मेरिट में आना है तो गोधरा (गुजरात) के जलाराम स्कूल और सवाईमाधोपुर के आदर्श विद्यामंदिर के ट्यूशन विभाग की जानकारी होना जरूरी है ।
यह सब किसी ट्रिनिटी कॉलेज, यू. के. से एम. फिल. करने से संभव नहीं है ।
हमने कहा- इससे तो बेहतर और शॉर्ट कट यही है कि कुछ न किया जाए और पुलिस से निकाले गए सजायाफ्ता ढोंगी पुलिसिए की तरह अंधविश्वास का नेटवर्क बनाकर साक्षात ‘साकार नारायण हरि’ बन जाएँ फिर न तो किसी का बाप हमारा कुछ बिगाड़ सकेगा बल्कि बड़े बड़े नेता हमारे गए सिर झुकाएंगे । भले ही केजरीवाल, सिसोदिया और लोगों की मदद करने वाले कार्यकर्ताओं को जमानत न किले लेकिन हम जब तब जमानत पर बाहर रहेंगे और बरामद संसद में चाय पर परनिंदा करते रहेंगे ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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