Jul 11, 2024

2024-07-11 दो सितारों का विएना की ज़मीं पर है मिलन


 2024-07-11 

दो सितारों का विएना की ज़मीं पर है मिलन 


आज तोताराम का कद और वज़न उसी तरह बढ़ा हुआ नज़र आ रहा था जैसे कभी अमेठी में राहुल को हराने के बाद स्मृति ईरानी का । चेहरा वैसे ही ग्लो कर रहा था जैसे फ्रांस में भारत मूल की एक भद्र महिला को मोदी का मुखमण्डल चमकता हुआ दिखाई दिया था ।


हमने पूछा- क्या बात, तोताराम । तू तो ऐसे खिल रहा है जैसे आजकल अनंत की शादी में सोने के वस्त्र पहने अंबानी परिवार के लोगों की छवि को देखकर देश के पाँच किलो राशन पाने वाले 80 करोड़ भक्तों के चेहरे खिले हुए हैं ।

 

 बोला- यह एक छेड़छाड़ करके बनाया गया फ़ोटो है, सच नहीं है ।शुरू शुरू में तो नया कपड़ा ही बहुत असहज लगता है । कॉलर पर नई कमीज का लेबल तक गर्दन पर रगड़ खाने लगता है तो उसे हटाए बिना चैन नहीं आता । फिर सोने के वस्त्र ! सर्दी में ठंडे और गरमी में गरम ।


हमने कहा- मोदी जी ने भी एक बार सोने के तारों से अपना फुल नाम कढ़ा हुआ सूट पहना था । उनका फ़ोटो तो ‘फेक’ नहीं था। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार यह एक कुंठा है । गरीबों को ऐसे दृश्य देखकर एक खास तरह का आनंद मिलता है । वे अपने घोर दुख के क्षणों में भी ऐसी चर्चाएं करके एक खास तरह का अनुभव करते हैं । प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ में घर की बहू के कफन के लिए मिले पैसों से दारू पीते और मछली खाते हुए घीसू अपने पुत्र माधव को राजा साहब के यहाँ शादी में खाए व्यंजनों की चर्चा करके ऐसा ही अनुभव कर रहा है । 


बोला- मैं सब समझता हूँ । लेकिन मोदी जी में कोई कुंठा नहीं है । वे तो ओबामा को भारत की समृद्धि और सामर्थ्य की एक झलक दिखाना चाहते थे । तभी तो दोबारा नहीं पहना बल्कि 15 लाख के उस सूट को 4 करोड़ में गुजरात के एक व्यापारी को बेचकर देश के खजाने को 3 करोड़ 85 लाख का फायदा ही करवाया ।


हमने कहा- ठीक है, लेकिन तेरे चेहरे की चमक का क्या कारण है ? 


तोताराम ने हमारे सामने अपने स्मार्ट फोन के स्क्रीन पर एक फ़ोटो निकालकर हमारे सामने कर दी । और बोला- देख, क्या दिखाई दे रहा है ?

   






हमने कहा- इसमें मोदी जी एक दाढ़ी वाले से मिल रहे हैं ।

 

बोला- यह दाढ़ी वाला भारत में मोदी जी की देखादेखी जैकेट और दाढ़ी रखने वाला साधारण छुटभैया नहीं है । यह आस्ट्रिया का नोबल पुरस्कार प्राप्त क्वांटम फिजिक्स का विद्वान एंटोन जिलिङ्गर है । 


हमने कहा- बंदा लगता तो स्मार्ट है । अभी भी चेहरे पर एक ग्लो है मोदी जी की तरह । 


बोला- यह मोदी जी के आध्यात्मिक ज्ञान और तेज का प्रभाव है । गालिब ने भी तो कहा है- 

उनको देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक 

वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है । 


हमने कहा- महान लोगों के दर्शन और संगति का प्रभाव ही ऐसा होता है । 


बोला- और क्या ? जिलिङ्गर ने खुद कहा है- मैंने अनुभव किया कि पी एम मोदी बहुत आध्यात्मिक व्यक्ति हैं । मुझे लगता है कि यही वह विशेषता है जो आज दुनिया के नेताओं में होनी चाहिए ।


हमने कहा- अच्छा है । इसी तरह संवाद और  संगति से ज्ञान विज्ञान का प्रचार होता है और मोदी जी तो एनटायर पॉलिटिकाल साइंस वाले हैं । इस विषय में ज्ञान-विज्ञान सब कुछ आ जाता है । और आध्यात्मिकता के तो मोदी जी साक्षात अवतार हैं। दिन में 26 घंटे देश की सेवा करते हुए, एक भी छुट्टी न लेते हुए भी जाने कैसे देश के हर तीरथ में जाकर ध्यान लगाने का समय निकाल ही लेते हैं । विश्व में कोई ऐसा नेता हो तो बताओ । पुतिन तो नंगे बदन घोड़े पर सवार होकर अपनी माचो मैन वाली छवि को दिखाता फिरता है । ट्रम्प अपनी लंपट शोहदे वाली इमेज पर  मुग्ध रहता है लेकिन मोदी जी ने 56 इंच की छाती होते हुए भी कभी उसका प्रदर्शन नहीं किया । क्या करें संकोची जो ठहरे । 

आजतक हमने भारत के किसी प्रधानमंत्री को किसी वैज्ञानिक से गंभीर चर्चा करते हुए नहीं देखा । अपने कम वैज्ञानिक ज्ञान के कारण गांधी जी ने  भी आइन्स्टाइन से कोई वैज्ञानिक चर्चा नहीं की । इसीलिए उसने गांधी को एक ऐसा प्राणी बताया दिया जिस पर भविष्य में लोग विश्वास तक नहीं करेंगे । और देख, वह बात सच भी हो गई । देश के ‘अमृत महोत्सव वर्ष’ में भी लोग गांधी को सीरियसली नहीं ले रहे हैं । गुजरात के स्कूल में तो यह प्रश्न तक पूछ लिया कि गांधी ने आत्महत्या क्यों की ? हो सकता है कि कल को पाठ्यक्रम में गोडसे के इस ‘पुण्यकर्म’ को छुपाते हुए यह तक पढ़ाया जाने लगे कि गांधी जी की मृत्यु गोली नहीं, फ्लू से हुई थी । 


बोला- अब बात को संसद में मणिपुर मुद्दे की तरह निचोड़ने से क्या फायदा ? सरकार को और बहुत काम है । लेकिन इससे इतना तो तय है मोदी जी के इस दौरे से आस्ट्रिया को दो लाभ जरूर होंगे । एक तो वे अपने देश में घुसे आतंकवादियों को उनके कपड़ों  और बच्चों की संख्या से पहचान लेंगे और दूसरे गटर की गैस से अपना ऊर्जा संकट सुलझा लेंगे । 


हमने कहा- और तीसरे आकाश में बादलों के चलते बिना पकड़ में आए अपने शत्रुओं को उनके घर में घुस कर मार भी सकेंगे ।  




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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