Oct 22, 2025

2025-10-20 अप्प दीपो भव


2025-10-20  

अप्प दीपो भव    

 

तोताराम ने आते ही किसी सच्चे पुलिसिए की तरह ‘चाय-पानी’ झटकने के अंदाज में पूछाकितने दीये जलाए ? 

हमने कहायह हमारा व्यक्तिगत मामला है । चाहे जितने दीये जलाएंएक भी न जलाएं , दिन में जलाएंरात में जलाएं । हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं ।  

बोलाइस भ्रम में मत रहना । नेहरू जी के जमाने की तेरी खराब हुई आदतें एक दिन में थोड़े सुधारेंगी । लेकिन सुधरना   तो पड़ेगा । भारत में रहना है तो जय श्रीराम तो कहना पड़ेगा ।  

हमने पूछाक्या बात है ? भेड़िये की तरह किसी न किसी बहाने मेमने को दबोचना ही है क्या ? कल तो वैसे भी छोटी दिवाली थी । आटे का एक दीया बनाकर जला दिया था । आज दीवाली है । दोपहर बाद लाएंगे 10-5 दीये ।  

बोलाघर गृहस्थी वाला हैपेंशन मिलती है लेकिन भगवान राम के स्वागत में भी कंजूसी । मोदी जी ने एक महीने पहले बचत उत्सव करवा दिया फिर भी वही 10-5 दीये । अरे आज तो ऐसा जगमग हो जाना चाहिए कि अंतरिक्ष से दिखाई देराम द्रोहियों और अधर्मियों की सुलग उठे । योगी जी को देख । बाबाजी है फिर भी 26 लाख दीये जलवा दिए राम के स्वागत में । दीये जलवाने का अपना ही पिछला रिकार्ड फिर तोड़ दिया ।  

 

 

 

 

 

हमने कहायोगी जी ने कौन से अपने घर से जलवाये हैं । पैसा जनता का नाम बाबाजी का । इन रिकार्डों का क्या है ? तोड़ते रहेंगे हर साल । लेकिन इस उत्सव की सचाई तो इससे ही पता चलती है कि हजारों लोग इसलिए नियुक्त किए गए हैं कि कहीं कोई गरीब अपनी रोटी चुपड़ने के लिए इन दीयों से तेल न चुरा ले जाए । क्या यही है रामराज का सच ? कहते हैं जब कृष्ण के द्वापर में घी दूध की नदियां बहती थीं तब उनके क्लासमेट सुदामा को दो मुट्ठी चावल पड़ोसी से माँगने पड़ते थे और अपने समय के धनुर्विद्या के आचार्य की पत्नी को अपने बेटे को दूध के नाम पर आटा घोलकर पिलाना पड़ता था ।  

बोलामैंने तो एक दीया राम के नाम अयोध्या में जला ही दिया ।   

हमने पूछातो क्या शाम को हनुमान जी तरह मन की गति से उड़कर अयोध्या में दीया जलाकर आज सुबह-सुबह लौट भी आया ? 

बोलातकनीक का कमाल है । ‘एक दीया राम के नामनामक साइट पर ओन लाइन पेमेंट करने पर 2100/- रुपये में राम के नाम पर, 1100/- में एक दीया सीता के नाम और 501/- रुपये में एक दीया लक्ष्मण के नाम अयोध्या में जलाने की व्यवस्था है । मैंने तो जी कड़ा करकेमोदी जी के बचत उत्सव की जय बोलकर जलवा ही दिया एक दीया राम के नाम का । तू भी जलवा दे एक दीया ।  

 

 

 

 

हमने कहाकोई 10-5  रुपए का ‘मंथरा दीया’' हो तो देखकर बताजलवा देंगे लेकिन उसका एडजेस्टमेंट तेरी आज की चाय से करेंगे ।  

बोलामास्टरक्या बताऊँ ?  गुस्सा तो बहुत आ रहा है । दिल तो करता है तुझ पर भावना आहत होने की एफ आई आर दर्ज करवा दूँ लेकिन लिहाज कर जाता हूँ । दीया और वह भी मंथरा के नाम ? 

हमने कहाघर में बैठकर ऐश करने से कोई राम नहीं बनता । मंथरा के माध्यम से राम को वन गमन करना पड़ा तभी तो वे राम बने । और मंथरा को क्या मिला ? बिना बात की लोक निंदा । अगर आज होती और किसी विपक्षी नेता को गाली निकालती तो कुछ नहीं तो कहीं का राज्यपाल या किसी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर अर्थात कुलगुरु तो बन ही जाती । लेकिन चेरी छाँड़ कर रानी बनना तो दूर उलटे शत्रुघ्न की लात और खानी पड़ी ।   

देश को तो मंथरा का आभार मानना चाहिए । अगर मंथरा नहीं होती तो दीये का आविष्कार भी नहीं होता ।  

बोलावह कैसे ?  

हमने कहायोगी जी ने कल 2017 में भी लाखों दीये जलवाने संदर्भ में बताया कि हमारे मन में दुनिया को यह बताने का भाव था कि दीप प्रज्वलन कैसे और किस उपलक्ष्य में होना चाहिए । हजारों साल पहले दुनिया अंधकार में जी रही थी तब अयोध्या ने अपने भगवान के आगमन में उनके अभिनंदन में दीप प्रज्वलित किए थे ।  

बोलाइस से यह भी सिद्ध होता है कि राम से पहले दुनिया अंधकार में डूबी हुई थी । अगर राम वन में नहीं जाते और वापिस नहीं लौटते तो दीये जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती ।और दीये का आविष्कार भी नहीं होता ।  जब बाबर ने मस्जिद तोड़ दी तो दुनिया में फिर अंधकार छा  गया । लोग कहते हैं कि अकबर महान था । क्या खाक महान था ? सुना नहींएक दीया जलाने भर के लिए तानसेन को ग्वालियर से बुलाया गया । जब वह घंटों ‘दीया जलादीया जला’' गाता था तो राम राम करके एक दीया जलता था ।  

हमने कहातोतारामये दीये न राम के हैं, न धर्म के ।न मंदिर के हैं, न मज़ार के ।  सुना नहींदीये तले अँधेरा होता है और फिर ये सब तो राजनीति के दीये हैं ।इनमें तो तले ही नहींऊपर-नीचे सब जगह अँधेरा ही अँधेरा ही होता है । और जो कभी कभी तेज रोशनी दिखाई देती है वह रास्ता दिखाने के लिए नहीं बल्कि आँखें चुँधियाकर रास्ता भटकाने के लिए होती है ।  

इसलिए बुद्ध की बात मान जो कहता हैअप्प दीपो भव ।  

-रमेश जोशी 


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