हत्या नहीं, वध
तोताराम के बैठने से पहले ही हमने न्यूज ब्रेक करते हुए कहा- तोताराम, शकुन हत्या के मामले में गिरफ्तार कर ली गई है ।
बोला- तो मैं क्या करूँ ? इतना बड़ा देश है इसमें हजार दो हजार हत्याएं, आत्महत्याएं, मोब लिंचिंग, कुटाई-पिटाई आदि होते ही रहते हैं । कहाँ नहीं होता यह सब ? बिना बात सुबह-सुबह देश और संस्कारी सरकार को क्यों बदनाम करता है । यह तो नहीं कि चलो मोदी जी ने जी एस टी कम करके दिवाली के उपलक्ष्य में ‘बचत उत्सव’ मनाने का अवसर दिया है तो देशी घी का हलवा ही बनवा दे । अब तो ठंड से भी दस्तक दे दी है ।
हमने कहा- भले ही मोदी जी ने अपनी ओर से गरीबों की बल्ले बल्ले कर दी है लेकिन अभी तक तो सामान्य चीजों पर एक पैसा भी कम नहीं हुआ है । शायद डेयरी बूथ वाली चीजों पर कुछ कम हुआ हो लेकिन वहाँ भी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है । हमने तो तय कर लिया है कि बाजार से खाने की वे ही चीजें लाएंगे जो बहुत जरूरी होंगी और जो हम घर पर बना नहीं सकते । स्वाद के चक्कर में मारना है क्या ? सुना नहीं, खाने की चीजें ही नहीं बच्चों का कफ सीरप तक जहरीला । जब आप दवा वालों तक से पार्टी फंड में चन्दा लेंगे तो वे उसकी भरपाई ऐसे ही करेंगे ।
बोला- यह सब किस देश में नहीं होता । दुनिया की बहुत बड़ी बहुराष्ट्रीय कॅम्पनी जॉनसन ऐंड जॉनसन पर पाउडर में कुछ केन्सर वाला मामला पकड़ा गया कि नहीं ?
हमने कहा- लेकिन सैंकड़ों करोड़ का जुर्माना भी तो लगा कि नहीं । और अपने यहाँ चर्बी वाला घी भगवान को सप्लाई करने वाले मामले में किसी को कोई सजा नहीं ।
बोला- मुझे ये दुनिया-जहान की बातें मत सुना । एक ज़रा सी हलवे की बात क्या निकाल दी कि पेलने लगा मन की बात । वैसे वह शकुन की हत्या वाली क्या बात थी ।
ठीक भी है तोताराम और बात के चस्के में न फंसे, हो ही नहीं सकता ।
हमने कहा- शकुन पांडे मतलब पूजा शकुन पांडे उर्फ तथाकथित महामंडलेश्वर । देख ले फ़ोटो भी छपा है ।
बोला- मास्टर, मैं कुछ भी मान सकता हूँ लेकिन यह नहीं मान सकता । सबसे पहले तो इसका नाम देख और फिर पहनावा और फिर चेहरे पर आध्यात्मिक तेज । इसके नाम में सबसे पहले तो पूजा शब्द आता । पूजा भक्ति, समर्पण, दया और परोपकार का सम्मिलित शब्द । फिर शकुन मतलब शुभ मुहूर्त और अंत में पांडे । ज्ञान और पांडित्य का प्रमाण । ऊपर से महामंडलेश्वर । एक मंडल कमीशन से वी पी सिंह को लोग दलितों पिछड़ों का मसीहा बताते हैं जब कि यह तो महामंडलेश्वर है । हो ही नहीं सकता ।
हमने कहा- लेकिन गिरफ्तार तो हुई कि नहीं ?
बोला- उससे क्या होता है ? गिरफ्तार तो प्रज्ञा ठाकुर भी हुई कि नहीं लेकिन अंत में सत्य-न्याय की विजय हुई और उसे ससम्मान छोड़ दिया गया कि नहीं ?
हमने कहा- लेकिन इसे तो नहीं छोड़ा गया ।
बोला- छोड़ भी दिया जाएगा । और अगर आरोप सिद्ध होगया, सजा हो गई, जेल भी हो गई तो क्या । जनता में आध्यात्म का प्रचार करने के लिए, भक्तों के कल्याण के लिए राम रहीम और आसाराम की तरह बार बार पेरॉल पर छोड़ दिया जाएगा ।
हमने कहा- लेकिन कई बुद्धिजीवियों, विचारकों को तो दस दस साल जेल में हो गए । जमानत तो दूर केस भी शुरु नहीं हुआ ।
बोला- हमें न्याय पर विश्वास रखना चाहिए । इसके नाम, वस्त्र और जीवन दर्शन को देखते हुए मैं कभी नहीं मान सकता कि इसने हत्या की होगी ।
हमने फिर कहा- लेकिन जो मरा है उससे इसके संबंध थे, सुपारी लेकर मारने वाले से भी बहुत कुछ पता चला है ।
बोला- फिर भी । यह हत्या नहीं ‘वध' हो सकता है । अवतारी मनुष्य हत्या नहीं वध करते हैं जैसे राम ने रावण का वध किया, कृष्ण ने कंस का वध किया या फिर कलयुग में गोडसे ने गाँधी का वध किया । उसका सरनेम ही ‘गोडसे’ था क्योंकि वह गॉड का अवतार था । उसने अपनी पत्रिका ‘अग्रगामी’ में एक कार्टून में गाँधी को रावण के रूप में चित्रित करके और उसे नेहरू, पटेल, राजाजी, सुभाष, मौलाना आजाद के सिर लगाकर अपनी विचारधारा और भविष्य की लीला का संकेत दे ही दिया था । उस गाँधी रूपी रावण पर तीर चलाने वालों के रूप में सावरकर और श्यामाप्रसाद मुकर्जी को दिखाकर अपने प्रेरणा-पुरुषों का संकेत भी दे दिया था ।
यह महामंडलेश्वर पूजा शकुन पांडे भी उसी तरह से दैत्यों, राक्षसों, दानवों और असुरों का वध करने के लिए जन्मी है तभी तो देखा नहीं 2019 में गाँधी के पुतले को गोली मारने की लीला करके अपने अवतारी होने का इशारा किया कि नहीं ?
अब और क्या स्पष्ट नहीं हुआ ? प्रभु की लीलाएं हैं । देखो और सुनो-सुनाओ और पार्टी में इहलोक और तत्पश्चात परलोक सुधारो ।
-रमेश जोशी
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