व्याधि और उपाधि
आज पता नहीं तोताराम को क्या हुआ जो आते ही बोला- चाय बाद में पीऊँगा पहले तेरी डिग्री दिखा ।
हमने कहा- एक ही काम होगा या तो डिग्री देख ले या चाय ही पी ले । एक ही गुनाह की दो सजायें नहीं दी जा सकतीं ।
बोला- क्या डिग्री कोई अपराध है ?
हमने कहा- हाँ, अपराध है । अगर शाह जी मोदी जी की डिग्री नहीं दिखाते तो बात आगे बढ़ती ही नहीं । अब जब दिखा दी तो लोग शंका उठाने लगे कि उस समय तो कंप्यूटर आया ही नहीं था फिर डिग्री कंप्यूटर से कैसे बनी ? जिस दिन हस्ताक्षर किए गए उस दिन तो रविवार था ।
बोला- इससे क्या फरक पड़ता है । कई बार पुराने कपड़े को दूसरे रंग में नहीं रँगवा लेते ? क्या फैशन के अनुसार पेंट की मोहरी कम ज्यादा या कुर्ते की बाहें और लंबाई कम-ज्यादा नहीं करवा लेते ? दिखाने के लिए पुरानी डिग्री को थोड़ा झाड़-पोंछकर रिनोवेट कर दिया तो क्या हो गया ?
हमने कहा- तो फिर अब फिर क्यों नहीं दिखाते ?
बोला- अब देश को यही काम रह गया है क्या ? कल को कहोगे मोदी जी खुद सुबह आठ से बारह बजे तक कर्तव्य-पथ पर डिग्री लेकर बैठें जिससे डिग्री दर्शनोत्सुक भारतीय या कोई विदेशी पर्यटक भी दिल्ली जाकर उसके दर्शन करके अपना जन्म सफल कर सके । इसीलिए हाई कोर्ट ने ऐसे व्यर्थ के कामों पर विराम लगाने के लिए कह दिया है कि मोदी जी को डिग्री दिखाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता । लेकिन तुझे तो यह विशेषाधिकार नहीं है ।
हमने कहा- लेकिन हम तो अब नौकरी भी पूरी कर चुके हैं । अब डिग्री का क्या करना है ? पहले ऐसा नहीं होता था । यह नकली डिग्री का धंधा और पेपर लीक आजकल ही चला है । और फिर वर्क एक्सपीरिएन्स भी तो कुछ होता है । अगर किसी ने चारों धाम की यात्रा कर ली हो तो उसे पूज्य माना जाता था ।
बोला- तो फिर मोदी जी के तीर्थाटन और भिक्षाटन को वर्क एक्सपीरिएंस क्यों नहीं माना जा सकता ?
हमने कहा- हम कहाँ ऐतराज कर रहे हैं ? जो कर रहे हैं उनके यहाँ भिजवा ईडी । उन्हें कर ट्रोल । हमारे पीछे क्यों पड़ा है जो आते ही न दुआ, न सलाम । बस डिग्री दिखा । अरे डिग्री तो अपराधियों के लिए होती है । सुना नहीं, तीन तीन डिग्री वाले को थर्ड डिग्री पनिशमेंट दिया जाता है । डिग्री का अर्थ उपाधि भी होता है । कबीर जी ने वैसे ही तो नहीं कह दिया -
कबिरा संगत साधु की, हरे और की व्याधि ।
संगत बुरी असाधु की, आठों पहर उपाधि ।।
असाधु अर्थात दुष्ट की संगत में हर समय उपाधि ही होती है ।
संस्कृत शब्दकोश में भी उपाधि का अर्थ देख ले । लिखा है- उपद्रव, छल कपट, व्याधि, धोखा । आधि-व्याधि दोनों ही उपाधि से सीधे संबंधित हैं ।
हम खुद न मोदी जी को इस उपद्रव में शामिल करना चाहते और न ही खुद इस उपद्रव में शामिल होना चाहते । और फिर हम कौन मोदी जी की तरह देश और दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है । बुद्ध, ईसा, महावीर, नानक की डिग्री देखी है ?
बोला- भाई साहब, आप तो वैसे ही नाराज हो रहे हैं । चाय मँगवाइए । मैं तो वैसे ही कह रहा था कि दिवाली की सफाई कर रहे हो तो डिग्री को भी धूप दिखा दो । कहीं दीमक न लग गई हो ।
हमने कहा- साठ साल हो गए हैं । इतना पुराना रिकार्ड रखने के लिए तो विश्वविद्यालय भी बाध्य नहीं है । जब पाकिस्तान बना तक वहाँ से आने वाले अधिकतर अधेड़ यही कहते थे कि हम ग्रेज्युएट हैं लेकिन डिग्री वहीं छूट गई और पंजाब विश्वविद्यालय में आग लग गई ।
बोला- पहले सुना करते थे कि ग्रेज्युएट को जेल में सम्मानजनक दर्ज दिया जाता है । हो सकता है ऊपर जाकर नरक में कोई सुविधा मिल जाए ।
हमने कहा- अब वह बात नहीं है । अब तो बिना डिग्री वाले संत-महात्मा बने फिर रहे हैं और सजायाफ़्ता होने पर भी जब तब पेरॉल मिलती रहती है और पीएचडी वाले छह छह साल में बिना जमानत के और कोर्ट में भेजे बिना ही जेल में सड़ रहे हैं ।
-रमेश जोशी
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
No comments:
Post a Comment