Jan 17, 2009

बुश की विदाई



बुश साहब,
हाय! बाय! बाय!! अलविदा, जैराम जी की । विदाई चाहे सेवा निवृत्ति पर हो चाहे ट्रांसफर पर या मरकर दुनिया से - आदमी का इस पर कोई बस नहीं है । सरकारी नौकरी में तो आदमी को बिस्तर बाँध कर रखना पड़ता है, पता नहीं कब आर्डर आ जाए । सरकारी नौकरी में कुछ ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं जो अपने शहर में ही ज्वाइन करते हैं, वहीं सारे प्रमोशन लेते हैं और वहीं रिटायर हो जाते हैं । अगर कभी ट्रांसफर हुआ भी तो उसी शहर में, जैसे किसी की खाट इस कमरे से उस कमरे में लगा दी जाए । ट्रांसफर तो हमारे भी हुए पर जयपुर से सीधे पोर्ट ब्लेयर- तीन हज़ार किलोमीटर दूर । इच्छित स्थान पर पूरे सेवाकाल तक बने रहने की योग्यता प्राप्त करने का न तो समय मिला, न ही लोगों ने यह ट्रेड सीक्रेट बताया ।

कुछ के ट्रांसफर पर जाने से लोग दुखी होते हैं तो कुछ के आने पर । तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के प्रारम्भ में संतों और असंतों सभी को प्रणाम किया है । उन्होंने संतों और असंतों दोनों में एक समानता भी बताई है-
मिलत एक दारुण दुःख देही ।
बिछुरत एक प्राण हर लेही ॥

आपके मामले में तो पता नहीं ऐसा क्या संयोग हुआ कि जब आप आए तो ९/११ हो गया और जाने लगे तो अमरीकी अर्थव्यवस्था की आइसक्रीम मेल्ट डाउन होकर सड़क पर गिर पड़ी । अब उसे सड़क पर से उठाना मुश्किल हो रहा है । अगर एकांत हो तो और बात है पर जब सारी दुनिया देख रही हो तो ऐसा नहीं किया जा सकता न ! ऊपर से अफगानिस्तान और ईराक वाला चक्कर अलग । चलो, अब आपका तो पीछा छूटा । अब भुगतेगा तो बेचारा ओबामा । इसी को कहते हैं - बन्दर की बला तबेले के सिर ।

हमारे यहाँ तो जो भी नया मुख्य मंत्री आता है वह यही कहता है कि पिछले वाला खजाना खाली कर गया । उसके बाद जो आता वह भी यही कहता है । हम तो दोनों को सही मानते हैं । मतलब कि लोग आते-जाते रहते हैं आफत तो खजाने पर है जो हर हालत में खाली होता रहता है । जैसे कि हर आनेवाली पीढ़ी इस दुनिया को और अधिक ख़राब करके जाती है । हमारे यहाँ एक किस्सा चलता है । एक चोर था । जब वह मरने लगा तो अपने बेटे से बोला- बेटा मैनें जिंदगी भर चोरी की है । तू कुछ ऐसा करना जिससे लोग मुझे भला कहें । बाप बड़ी-बड़ी चोरियाँ करता था । बेटे ने जूते-चप्पल चुराना शुरू कर दिया । लोग कहने लगे- इस साले से तो इसका बाप ही अच्छा था । लगता है आपसे अपने पूर्ववर्तियों को फायदा ही होगा ।

तो आपका अन्तिम भाषण भी हो गया-१५ जनवरी को । अब जै राम जी की । वैसे आपको तो ओबामा के चुने जाते ही सामान बाँधना शुरु कर देना चाहिए था । पर आदमी मरते दम तक सत्य को स्वीकार नहीं करना चाहता । हमारे पड़ोस में एक बुजुर्ग-विधुर सज्जन रहते थे । जैसा कि आप जानते हैं कि पत्नी के मरते ही आदमी अपने को जवान समझने लगता है । तब हम छोटे ही थे । बरसात के दिन थे । टीलों पर खुर्रा बना कर लम्बी-कूद कूद रहे थे । वे भी दिशा मैदान को आए थे । हमें देख कर बोले -अरे, तुम डालडा खाने वाले क्या कूदोगे ? सो वे कूदे और पैर में ऐसी मोच आई कि जिंदगी भर लंगड़ाते रहे । जब कभी हम बच्चे पूछते-ताऊ, कूदोगे ? तो मारने दौड़ते । आप भी राष्ट्रपतित्व की झोंक में जाते-जाते इराक में क्या सिट्टा लेने गए थे ? करवा आए न कचरा ।

जाते हुए को कोई घास नहीं डालता । लोग तो ऐसे मौके पर खुन्नस निकालने की कोशिश करते हैं । बूढ़े शेर को तो चूहे तक परेशान कर डालते हैं । जाते समय कोई सामान बँधवाने भी नहीं आता । सब आने वाले का सामान जचवाने लग जाते हैं । पर रंडी और नेता के दिमाग से भ्रम निकलता नहीं । सत्तर साल की होकर भी बाल रँगती है और शोहदों की सीटी का इंतजार करती है । हमारे यहाँ अस्सी पार वाले भी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए ताल ठोंक रहे हैं ।

जाते-जाते आपने स्वयं अपना मूल्यांकन किया कि आपको भारत में लोग पसंद करते हैं । औरों का पता नहीं पर हम आपको अवश्य पसंद करते हैं । हमने आज तक किसी अमरीकी राष्ट्रपति को पत्र नहीं लिखा जब कि आपके नाम हमारे पत्रों की पूरी किताब तैयार है । हाथ में आते ही पहली प्रति आपको ही भेजेंगे । हमने जानबूझ कर आपके कार्यकाल के अन्तिम दिनों को कवर नहीं किया क्योंकि उसमें मेल्ट डाउन और जूता-प्रहार जैसी अशोभनीय घटनाएँ आ रही थीं ।

आपने अपने संबोधन में कहा कि आप ने आपने कार्यकाल में जो कुछ किया वह अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर किया । हमारे अनुसार तो यह अंतरात्मा बड़ी 'वो' होती है जैसे नायिका के अनुसार 'आप बड़े वो हैं ' । अपने फ़ायदे के अनुसार बोलने लगती है । जब किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता तो निर्दली की आत्मा कहने लगाती है- 'जा, सरकार बना सकने वाली पार्टी में शामिल होजा' । और वह अंतरात्मा की आवाज़ सुनता और मान लेता है । बाद में अगर वहाँ भी दाल नहीं गलती तो वह पुरानी पार्टी में चला जाता है जिसे घर-वापसी कहा जाता है । अंतरात्मा किसी को सांसद खरीदने के लिए कह देती है तो किसी सांसद को एक करोड़ में बिकने के लिए प्रेरित कर देती है । हिटलर को होलोकास्ट की प्रेरणा भी अंतरात्मा ने ही दी होगी । याहया खान को मुजीब को जेल में डालने और बंगलादेश में कत्ले-आम करवाने के लिए भी अंतरात्मा ने ही उकसाया होगा । बेचारे कॉलिन पावेल ने कहा था कि इराक के पास व्यापक विनाश के हथियार नहीं पर आपकी अंतरात्मा अड़ गई । राष्ट्रपति की आत्मा के आगे एक मंत्री की आत्मा की क्या बिसात ? इसलिए हमारा तो कहना है कि अकल से काम लेना चाहिए क्योंकि आजकल आत्मा शुद्ध नहीं रह गई है । अब रिटायर होने के बाद काफी समय मिलेगा । आपने आत्मकथा लिखने का मन बना ही लिया है । हमारा कहना है कि उस में तो कम से कम सच बोल दीजियेगा । सच बोले बिना शान्ति नहीं मिलती । गाना तो कहता है कि- सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया । पर हम कहते हैं कि देर आयद भी दुरुस्त आयद होता है । अगर आप सच बोल देंगें तो शायद इस समय जो सभ्यताओं के संघर्ष की बात की जाती है उसको भी एक नया और सही आयाम मिलेगा ।

अच्छा जी, हैप्पी रिटायर्ड लाइफ । वैसे तो भूतपूर्वों को कोई नहीं पूछता फिर भी ध्यान रखियेगा । ओसामा अभी जिंदा है । हम सोच रहे थे कि जाते-जाते ओसामा को तो गिरफ्तार करवा ही लेंगे पर संयोग की बात, दुष्ट अभी तक नहीं पकड़ा गया । अंत में आपकी बिल्ली के दुखद निधन पर हमारी संवेदनाएँ । पहले तो आपके कुत्ते का भी इंटरव्यू लेने आते थे पत्रकार, पर अब पता नहीं आपको भी कोई कवर करेगा या नहीं ? पर हम इतने स्वार्थी नहीं । पहले भी हमें आपसे कुछ नहीं चाहिए था और अब भी नहीं । सो हम जैसे निस्वार्थ लोग तो आपके संपर्क में रहेंगे ही ।

१७ जनवरी २००९

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

1 comment:

  1. हम भी जड़ देते है दुखी संसार की तरफ से उन्हें: हैप्पी रिटायर्ड लाईफ. (जबकि वो डिजर्व नहीं करते फिर भी हम उन जैसे तो न हो पायेंगे)

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